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बनारसी साड़ी असली है या नकली? चुटकियों में लगेगा पता, IIT के छात्र ने निकाला समाधान!

Last Updated:March 17, 2025, 17:11 IST

दिल्ली IIT के एक छात्र कुणाल मौर्य ने एक हस्तकला प्रमाणक नाम का एक ऐसा सॉफ्टवेयर एप और चिप बनाई है. जिसकी मदद से आपको पल भर में मालूम चल जाएगा कि यह साड़ी असली बनारसी हैं या नहीं.X
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दिल्ली IIT छात्र ने बनाया सॉफ्टवेयर, बनारसी साड़ी असली है या नकली तुरंत लगेगा पता

हाइलाइट्स

दिल्ली IIT छात्र ने बनाया साड़ी असली-नकली पहचानने वाला सॉफ्टवेयर.साड़ी पर लगी चिप से मोबाइल पर टैप करने से मिलती है जानकारी.सॉफ्टवेयर और चिप के लिए वेबसाइट से संपर्क करना होगा.

दिल्ली: बनारसी साड़ी का तो हर कोई दीवाना है, इसलिए इसकी डिमांड भी पूरी दुनिया में काफी ज्यादा है. लेकिन कई बार ग्राहकों को बनारसी साड़ी में ठगी का शिकार होना पड़ता है, क्योंकि उन्हें असली बताकर नकली साड़ियां असली दाम में बेच दी जाती हैं. लेकिन अब ग्राहकों के साथ ऐसा फ्रॉड नहीं हो सकेगा. दरअसल, दिल्ली IIT के एक छात्र कुणाल मौर्य ने “हस्तकला प्रमाणक” नाम का एक ऐसा सॉफ्टवेयर एप और चिप बनाई है, जिसकी मदद से आपको पल भर में मालूम चल जाएगा कि यह साड़ी असली बनारसी है या नहीं.

कैसे काम करती है यह चिप और सॉफ्टवेयर एप?कुणाल ने बताया कि एक चिप को साड़ी पर लगाया जाता है. जब कोई व्यक्ति अपना मोबाइल इस पर टैप करता है, तो तुरंत साड़ी की पूरी डिटेल मोबाइल में दिखने लगती है. उन्होंने कहा कि इस प्रक्रिया के लिए कंज्यूमर को किसी भी चिप या सॉफ़्टवेयर की जरूरत नहीं है, क्योंकि हर फोन में NFC रीडर होता है. जब आप अपना फोन साड़ी पर लगी चिप से लगाते हैं, तो साड़ी की सभी डिटेल्स स्क्रीन पर आ जाती हैं. हालांकि, साड़ी बनाने वाले मैन्युफैक्चरर्स और डिजाइनर्स को इस सॉफ्टवेयर और चिप को इस्तेमाल करने के लिए उनकी वेबसाइट “हस्तकला प्रमाणक” से कॉन्टैक्ट करना पड़ेगा. इसके लिए उन्हें एक चिप के लिए 180 रुपए और सॉफ्टवेयर एप के इस्तेमाल के लिए प्रति महीने 250 रुपए देने होंगे.

आईडिया कैसे आया?कुणाल ने बताया कि वह खुद एक बुनकर परिवार से आते हैं, इसलिए उनके परिवार के सभी लोग कई पीढ़ियों से बनारसी साड़ी का काम करते आ रहे हैं. इसी कारण उन्हें इस काम के सभी पहलू मालूम हैं. उन्होंने कहा कि बनारसी साड़ी को बेचने और लेने वालों के बीच काफी ठगी हो रही थी. नकली साड़ी को असली साड़ी बताकर बेचा जाता था, जिससे असली साड़ी बनाने वाले को घाटा होता था और ग्राहक भी नुकसान में रहता था. इस समस्या को देखकर उन्हें यह आइडिया आया कि वह एक ऐप या सॉफ्टवेयर बना सकते हैं, जिससे यह पता लग सके कि कौन सी बनारसी साड़ी असली है और कौन सी नकली.


Location :

Delhi,Delhi,Delhi

First Published :

March 17, 2025, 16:55 IST

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