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बांग्लादेश के छात्र नेता नाहिद इस्लाम ने बनाई नई राजनीतिक पार्टी.

Last Updated:March 01, 2025, 10:45 IST

Student Leader Nahid Islam: बांग्लादेश के छात्र नेता नाहिद इस्लाम ने शेख हसीना को सत्ता से बेदखल किया और मोहम्मद यूनुस की कैबिनेट से इस्तीफा देकर नेशनल सिटिजन पार्टी नाम से नई राजनीतिक पार्टी बनाई. उनकी पार्टी …और पढ़ेंकौन है वो बांग्लादेश का छात्र नेता, जिसने केजरीवाल से प्रेरित होकर बनाई पार्टी

नाहिद इस्लाम पहली बार तब सुर्खियों में आए जब वे छात्रों के विरोध प्रदर्शनों का चेहरा बनकर उभरे,

हाइलाइट्स

नाहिद इस्लाम ने नई पार्टी बनाई, नाम नेशनल सिटिजन पार्टीनाहिद इस्लाम ने मोहम्मद यूनुस की कैबिनेट से इस्तीफा दियानाहिद इस्लाम की नई पार्टी 2025 के चुनावों में भाग लेगी

Student Leader Nahid Islam: बांग्लादेश में पिछले साल शेख हसीना को सत्ता से बेदखल कर दिया गया था. प्रधानमंत्री शेख हसीना के पद छोड़ने और देश से भागने के पीछे जो शख्स था, उसका नाम नाहिद इस्लाम है. नाहिद इस्लाम स्टूडेंट लीडर हैं और वे ‘स्टूडेंट्स अगेंस्ट डिसक्रीमिनेशन’ नामक संगठन के को-ऑर्डिनेटर थे. नाहिद इस्लाम पहली बार तब सुर्खियों में आए जब वे छात्रों के विरोध प्रदर्शनों का चेहरा बनकर उभरे, जिसके कारण शेख हसीना को सत्ता से बाहर होना पड़ा. फिर, गुजरे मंगलवार को वे एक बार फिर खबरों में तब आए जब उन्होंने मोहम्मद यूनुस की कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया. 28 फरवरी को वे एक बार फिर खबरों में तब आए जब उन्होंने अपनी नई राजनीतिक पार्टी की घोषणा की.

नाहिद इस्लाम की उम्र अभी मात्र 27 वर्ष है. वह बांग्लादेश की अंतरिम सरकार में सूचना एवं प्रसारण (आई एंड बी) सलाहकार के पद पर कार्यरत थे. कई लोगों के लिए उनका इस्तीफा कोई आश्चर्य की बात नहीं थी, क्योंकि उनके इस्तीफे की अफवाहें लगभग एक महीने से चल रही थीं. शुक्रवार को नाहिद इस्लाम ने ढाका में संसद के करीब माणिक मिया एवेन्यू में एक नई पार्टी की घोषणा की. उन्होंने इस पार्टी का नाम जतीया नागरिक पार्टी या नेशनल सिटिजन पार्टी (एनसीपी) रखा है. यानी ‘स्टूडेंट्स अगेंस्ट डिसक्रीमिनेशन’ नाम का संगठन अब राजनीतिक पार्टी में तब्दील हो गया है. ऐसे में सवाल यह है कि क्या यह पार्टी बांग्लादेश की राजनीति में हलचल मचा देगी? ऐसे आसार तो नजर आ रहे हैं क्योंकि इस नई पार्टी ने घोषणा की कि अब बांग्लादेश में भारत या पाकिस्तान समर्थक राजनीति की कोई जगह नहीं होगी. 

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कौन है नाहिद इस्लाम?ढाका विश्वविद्यालय में समाजशास्त्र के छात्र नाहिद इस्लाम 26 वर्ष की उम्र में शेख हसीना के खिलाफ आरक्षण विरोधी प्रदर्शनों के चेहरे के रूप में प्रसिद्ध हो गए. 1998 में जन्मे नाहिद का इतिहास सरकार के आलोचक होने का रहा है. 2017 में विश्वविद्यालय के अपने पहले सप्ताह में, ढाका में जन्मे एक शिक्षक के बेटे ने भारत की सीमा पर स्थित सुंदरबन के किनारे मैंग्रोव वन में एक कोयला संयंत्र के खिलाफ विरोध प्रदर्शन में भाग लिया. दो साल बाद उन्होंने विश्वविद्यालय चुनावों में भाग लिया और बाद में अपने साथियों के साथ मिलकर ढाका विश्वविद्यालय में डेमोक्रेटिक स्टूडेंट फोर्स नामक एक छात्र संगठन का गठन किया.

पहली बार कब आए सुर्खियों मेंजुलाई 2024 में नाहिद तब चर्चा में आए जब देश की खुफिया एजेंसियों ने उनका अपहरण कर लिया और उन्हें प्रताड़ित किया. मीडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक घटना को याद करते हुए उन्होंने बताया कि 19 जुलाई की रात को करीब सादे कपड़ों में 30 पुलिस अधिकारी उनके दोस्त के घर पहुंचे, जहां वह चल रहे आरक्षण विरोधी प्रदर्शनों में अपनी भूमिका के लिए गिरफ्तारी से बचने के लिए छिपे हुए थे. नाहिद ने बताया, “उन्होंने मेरे सिर पर एक काला कपड़ा बांध दिया और मुझसे कहा कि दुनिया तुम्हें फिर कभी नहीं देख पाएगी.”

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गुप्त जेल में रखा और पीटा गयाटाइम की एक रिपोर्ट में उन्होंने बताया कि उन्हें किस ‘गुप्त जेल’ में रखा गया था और लोहे की रॉड जैसी किसी चीज से पीटा गया था. एक दिन बाद उन्हें एक पुल के पास फेंक दिया गया. उनका दावा है कि 26 जुलाई को उन्हें धानमंडी के गोनोशस्थया नगर अस्पताल से एक बार फिर से अगवा कर लिया गया था. उस समय उन्होंने कहा था कि ढाका मेट्रोपॉलिटन पुलिस की डिटेक्टिव ब्रांच सहित विभिन्न खुफिया एजेंसियों से होने का दावा करने वाले व्यक्ति उन्हें ले गए. हालांकि, इन सब बातों ने नाहिद को विचलित नहीं किया और उन्होंने ‘छात्रों के खिलाफ भेदभाव’ आंदोलन के राष्ट्रीय समन्वयकों में से एक के रूप में शेख हसीना के प्रशासन के खिलाफ अपनी आलोचना जारी रखी.

‘हसीना को इस्तीफा देना चाहिए’3 अगस्त को, उन्होंने ढाका विश्वविद्यालय के परिसर से ‘ हसीना को इस्तीफा देना चाहिए’ का स्पष्ट आह्वान भी किया. 5 अगस्त को, जब ढाका के मध्य में शेख हसीना के निवास पर लाखों प्रदर्शनकारी उमड़ रहे थे, तो वह एक जहाज में सवार होकर भारत चली गईं, जहां वे निर्वासन में हैं. हसीना के सत्ता से बाहर होने के बाद उन्हें मोहम्मद यूनुस मंत्रिमंडल में सूचना सलाहकार नियुक्त किया गया. पिछले साल अक्टूबर में उन्हें टाइम पत्रिका की प्रतिष्ठित ‘टाइम 100 नेक्स्ट लिस्ट’ में भी शामिल किया गया था.

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क्यों दिया नाहिद ने मंत्री पद से इस्तीफा?मोहम्मद यूनुस की अंतरिम सरकार में छह महीने तक काम करने के बाद नाहिद ने 25 फरवरी को अपना इस्तीफा दे दिया. नाहिद ने पद छोड़ने के अपने फैसले पर कहा, “देश में मौजूदा हालात को देखते हुए, एक नई राजनीतिक ताकत का उदय जरूरी है. मैंने जन-विद्रोह को मजबूत करने के लिए सड़कों पर रहने के लिए इस्तीफा दिया है. दो मंत्रालयों के अलावा, मुझे अतिरिक्त जिम्मेदारियां भी लेनी थीं… छह महीने बहुत कम समय है, और लोग (मेरे काम के परिणामों का) मूल्यांकन करेंगे. आज से, मैं अब किसी भी सरकारी पद पर नहीं हूं.” उन्होंने कहा कि यह सलाहकार परिषद पर निर्भर करता है कि वह तय करे कि उनकी जगह कौन लेगा. उन्होंने कहा, “सरकार में छात्र सलाहकार न्याय और सुधार के वादों को लागू करने में सक्रिय रहेंगे, जिसके लिए सरकार प्रतिबद्ध है.” उन्होंने कहा, “अंतरिम सरकार को कई बाधाओं और नौकरशाही की जटिलताओं से जूझना पड़ा. हमें उम्मीद है कि सरकार जन-विद्रोह की आकांक्षाओं को साकार करने में सफल होगी.”

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नाहिद के लिए आगे क्या है?अपने इस्तीफे के समय नाहिद इस्लाम ने यह भी घोषणा की कि वह एक नई राजनीतिक पार्टी का गठन करेंगे. उन्होंने पहले फेसबुक पर लिखा था, “मैं अगस्त में सरकार में शामिल हुआ था, और जुलाई में विद्रोह के शहीदों, सेनानियों और जनता की आकांक्षाओं को पूरा करने की जिम्मेदारी ली थी. लेकिन यह सपना केवल सरकार के भीतर से साकार नहीं हो सकता. इसीलिए आज मैं एक नई राजनीतिक ताकत बनाने की प्रतिबद्धता के साथ अपनी सदस्यता समाप्त कर रहा हूं.” उन्होंने कहा, “संघर्ष अभी खत्म नहीं हुआ है, यह तो बस एक नए रूप में शुरू हुआ है.” यह पार्टी स्टूडेंट्स अगेंस्ट डिस्क्रिमिनेशन (एसएडी) और जातीय नागरिक समिति (जेएएनएसी) के बीच सहयोग से बनी है. जेएएनएसी जुलाई विद्रोह के बाद बना एक राजनीतिक मंच है. नई पार्टी आगामी चुनावों में लड़ेगी, जो 2025 के अंत तक हो सकते हैं.

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केजरीवाल से ली है प्रेरणानागरिक समिति की प्रवक्ता सामंथा शर्मिन ने कहा कि नई पार्टी तुर्की की रेसेप तैयप एर्दोगन की अगुआई वाली एके पार्टी, पाकिस्तान की तहरीक-ए-इंसाफ और अरविंद केजरीवाल की अगुआई वाली भारत की आम आदमी पार्टी जैसी ही होगी. उन्होंने बिजनेस स्टैंडर्ड से कहा, “यह एक मध्यमार्गी पार्टी होगी, जिसकी विचारधारा मौजूदा मुख्य राजनीतिक पार्टियों से अलग होगी.” कई राजनीतिक पंडितों का मानना ​​है कि अगर बांग्लादेश में 2025 के अंत या 2026 की शुरुआत में चुनाव होते हैं, तो यह नाहिद और उनकी पार्टी के लिए बहुत फायदेमंद होगा.

नाहिद के लिए मुफीद समययह तब हो रहा है जब देश की दोनों प्रमुख पार्टियां – अवामी लीग और बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) मुश्किलों का सामना कर रही हैं. शेख हसीना के देश छोड़ते ही उनकी पार्टी आवामी लीग के कई नेता देश छोड़कर भाग गए. जो लोग भाग नहीं पाए, वे कानूनी पचड़ों के डर से छिप गए हैं. इसके अलावा, यूनुस सरकार ने घोषणा की है कि अवामी लीग को चुनावों में भाग लेने की अनुमति नहीं दी जाएगी. और अगर उन्हें अनुमति भी मिल जाती है, तो भी आवामी लीग के खिलाफ बहुत गुस्सा है और इससे चुनावों में उनकी संभावनाओं को नुकसान पहुंच सकता है.

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खालिदा की पार्टी भी कर रही संघर्षदूसरी ओर, खालिदा जिया के नेतृत्व वाली विपक्षी पार्टी बीएनपी भी संघर्ष कर रही है क्योंकि इसके सदस्य आपस में ही लड़ रहे हैं. इसके अलावा, बीएनपी को लगता है कि उनका पारंपरिक वोट बैंक खत्म हो गया है और युवा मतदाताओं की किसी भी राजनीतिक पार्टी के प्रति कोई निष्ठा नहीं है. जैसा कि द प्रिंट ने एक रिपोर्ट में बताया, बांग्लादेश की जेन जेड और जेन अल्फा एक विचारधारा-विहीन दुनिया में रह रही हैं, जहां चीजें परिस्थितिजन्य हैं और राजनीतिक व्यवस्थाएं सामाजिक-सांस्कृतिक मुद्दों पर आधारित हैं. बीएनपी इस नई भाषा को नहीं समझती है और उसे ‘रद्द’ किए जाने का जोखिम सता रहा है. ऐसे में यह तो समय ही बताएगा कि नाहिद इस्लाम बांग्लादेश की राजनीति में किंग होंगे या किंगमेकर.


Location :

New Delhi,Delhi

First Published :

March 01, 2025, 10:45 IST

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कौन है वो बांग्लादेश का छात्र नेता, जिसने केजरीवाल से प्रेरित होकर बनाई पार्टी

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