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Bangladesh Violence: बांग्लादेश को जिसने आजाद करवाया, उसी की बेटी अब दर-दर भटक रही.. 1975 में शेख हसीना के साथ क्या हुआ था?

नई दिल्ली (Bangladesh Violence). बांग्लादेश में आरक्षण को लेकर भयंकर हिंसा फैली हुई है. सोशल मीडिया पर वहां के वीभत्स माहौल की तस्वीरें वायरल हो रही हैं. हालात इतने बिगड़ गए कि 2009 से प्रधानमंत्री की कुर्सी पर काबिज शेख हसीना से इस्तीफे की मांग की जाने लगी. मौजूदा स्थिति को देखते हुए शेख हसीना ने इस्तीफा दे भी दिया. फिल्हाल उन्होंने भारत में शरण ली हुई है. उन्होंने ब्रिटेन से शरण मांगी है. जब तक उन्हें ब्रिटेन से राजनीतिक शरण नहीं मिल जाती है, वह भारत में ही रहेंगी.

शेख हसीना की कहानी अभी नहीं शुरू हुई है. उनके संघर्ष की दास्तां को समझने के लिए हमें 1975 में हुई क्रांति की जानकारी भी होनी चाहिए. वह ठीक 49 साल पहले यानी अगस्त 1975 में भी भारत में शरण ले चुकी हैं. तब मामला उनके पिता और भारत के पड़ोसी देश बांग्लादेश के संस्थापक शेख मुजीबुर रहमान से जुड़ा हुआ था. इन सब बातों को सही तरीके से समझने के लिए हमें थोड़ा और पहले यानी 1971 में जाना होगा, जब बांग्लादेश का निर्माण हुआ था.

भारत या पाकिस्तान, किसका हिस्सा था बांग्लादेश?1947 में भारत को अंग्रेजों से आजादी मिली थी. तब इसके 2 टुकड़े हुए थे. मोहम्मद अली जिन्ना की मांग पर मुस्लिम बहुल आबादी के लिए अलग राष्ट्र यानी पाकिस्तान का निर्माण किया गया था. तब पाकिस्तान के भी दो हिस्से हुए थे. एक भारत के पश्चिम में, जिसे पश्चिमी पाकिस्तान कहा गया और दूसरा भारत के पूर्वी छोर पर, जिसे पूर्वी पाकिस्तान कहा गया. पूर्वी पाकिस्तान की अधिकांश आबादी बांग्ला भाषी थी, जबकि पश्चिमी पाकिस्तान की आबादी उर्दू भाषी. बांग्लादेश तब पूर्वी पाकिस्तान का ही हिस्सा था.

India Pakistan Map 1971
India Pakistan Map 1971: बांग्लादेश को पहले पूर्वी पाकिस्तान के तौर पर जाना जाता था

जीत के बावजूद मिली जेल की सजाउस समय देश के शासन-प्रशासन पर पश्चिमी पाकिस्तान का जोर था. वहीं के लोग राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री व सेना में अहम पदों पर थे. उर्दू को राजभाषा घोषित किए जाने के बाद बांग्ला भाषी पूर्वी पाकिस्तान के लोगों ने विद्रोह करना शुरू कर दिया था. बढ़ते असंतोष के बीच पूर्वी पाकिस्तान के नेता शेख मुजीबुर रहमान (शेख हसीना के पिता) ने अवामी लीग नाम से पार्टी बना ली थी. 1970 के चुनाव में उनकी पार्टी भारी मतों से जीत गई थी. लेकिन पश्चिमी पाकिस्तान के प्रभाव वाले सैनिक शासकों ने उन्हें जेल में डाल दिया था.

पाकिस्तान के विभाजन की नींवलोग उम्मीद कर रहे थे कि शेख मुजीबुर रहमान को प्रधानमंत्री बना दिया जाएगा लेकिन ऐसा होने के बजाय उन्हें सजा सुना दी गई. इसके बाद पाकिस्तान के विभाजन का दौर शुरू हो गया था. 26 मार्च 1971 को शेख मुजीबुर रहमान ने बांग्लादेश को आजाद घोषित कर दिया. तब स्वतंत्रता संघर्ष में भारी खून-खराबा हुआ था. बताया जाता है कि पश्चिमी पाकिस्तान की सेनाओं ने पूर्वी पाकिस्तान के लोगों पर बहुत जुल्म ढाए थे. इस दौरान लाखों लोगों ने भारत में शरण ली थी.

Sheikh Mujibur Rahman
Sheikh Mujibur Rahman: इंदिरा गांधी के साथ शेख मुजीबुर रहमान

भारत से यारी है पुरानीभारत ने बांग्लादेश की मुक्ति वाहिनी को सैनिक सहयोग दिया था. आखिरकार 16 दिसंबर 1971 को पाकिस्तानी सैनिकों ने भारतीय सेना के सामने आत्मसमर्पण कर दिया. इसके साथ ही बांग्लादेश का स्वतंत्रता संग्राम पूरा हुआ और उसे एक अलग देश के तौर पर मान्यता मिली थी. शेख मुजीबुर रहमान बांग्लादेश के प्रथम राष्ट्रपति और बाद में प्रधानमंत्री भी बने. उन्हें ‘शेख मुजीब’ और ‘फादर ऑफ द नेशन’ भी कहा जाता है. शेख मुजीबुर रहमान को ‘बंगबंधु’ की पदवी से सम्मानित किया जा चुका है.

1975 में क्या हुआ था?15 अगस्त 1975 की सुबह बांग्लादेश की सेना के कुछ बागी युवा अफसरों के हथियारबंद दस्ते ने ढाका स्थित राष्ट्रपति आवास पर पहुंच कर राष्ट्रपति शेख मुजीबुर रहमान की हत्या कर दी. हमलावर टैंक लेकर गए थे. उन लोगों ने पहले बंगबंधु मुजीबुर रहमान के बेटे शेख कमाल को मारा और फिर मुजीब व उनके अन्य परिजनों को. इस घटनाक्रम में मुजीब के तीनों बेटों और उनकी पत्नी की बारी-बारी से हत्या कर दी गई. हमले में कुल 20 लोग मारे गए थे. शेख हसीना के परिवार के 17 लोगों ने अपनी जान गंवा दी थी.

खत्म हो गया था मुजीबुर रहमान का वंशमुजीब शासन पर हुए अप्रत्याशित हमले में उनके परिवार का कोई भी पुरुष सदस्य नहीं बचा था. बस उनकी 2 बेटियां (शेख हसीना और शेख रेहाना) बच गई थीं, जो घटना के समय जर्मनी में थीं. अपने पिता की हत्या के बाद शेख हसीना ने भारत में शरण ली. इंदिरा गांधी सरकार ने संकट के समय में उनकी मदद की. यहीं रहते हुए उन्होंने बांग्लादेश के नए शासकों के खिलाफ अभियान चलाया था. भारत में 6 साल गुजारने के बाद 1981 में वह बांग्लादेश लौटीं और सर्वसम्मति से अवामी लीग की अध्यक्ष चुन ली गईं.

संघर्ष से भरा था राजनीतिक करियरशेख हसीना के राजनीतिक करियर की नई शुरुआत 1981 में हुई. हालांकि 80 का दशक उनके लिए अच्छा नहीं रहा. वह विभिन्न जगहों पर हिरासत में रहीं. उन्हें नवंबर, 1984 तक हाउस अरेस्ट रखा गया. लेकिन शेख हसीना ने कभी हार नहीं मानी. उनके नेतृत्व में 1986 में अवामी लीग ने चुनाव में हिस्सा लिया. शेख हसीना संसद में विपक्ष की नेता चुनी गईं. वह 1996 में पहली बार प्रधानमंत्री बनीं. उन्होंने 2001 तक सत्ता की कमान संभाली. 2008, 2014, 2018 और 2024 में भी आम चुनाव जीतकर वह प्रधानमंत्री बनीं.

Sheikh Hasina Award
Sheikh Hasina Award: 2021 में शेख हसीना को इंदिरा गांधी शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया था

15 सालों की सत्ता, 45 मिनट में इस्तीफाबांग्लादेश में अराजकता का माहौल होना नई बात नहीं है. ताजा मामला आरक्षण से जुड़ा हुआ है. हाईकोर्ट ने आरक्षण को लेकर फैसला सुनाया, जिससे हिंसा भड़क गई. इस हिंसा में अब तक 300 से ज्यादा लोग जान गंवा चुके हैं. सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के आरक्षण वाले फैसले को बदल दिया है. इसके बावजूद बांग्लादेश में हिंसा और विरोध प्रदर्शन नहीं रुके. प्रदर्शनकारियों ने शेख हसीना के इस्तीफे की मांग को लेकर ढाका में मार्च भी निकाला था, जिसके बाद 5 अगस्त को उन्होंने पीएम पद से इस्तीफा दे दिया.

बांग्लादेश का विवादित आरक्षण सिस्टम क्या है?बांग्लादेश में विवादित आरक्षण कोटा के खिलाफ उग्र प्रदर्शन चल रहा है. 1971 में बांग्लादेश की स्वतंत्रता के लिए लड़े गए संग्राम में हिस्सा लेने वालों के रिश्तेदारों को सरकारी नौकरी में 30% आरक्षण दिया जाता है. स्टूडेंट्स का तर्क है कि इस रिजर्वेशन पॉलिसी के जरिए शेख हसीना अपने रिश्तेदारों को फायदा पहुंचा रही थीं. जुलाई में शुरू हुए इस विरोध में अब तक 300 से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं. यह प्रोटेस्ट सिविल सेवा में कोटा के खिलाफ शुरू हुआ था लेकिन अब सरकार विरोधी रूप ले चुका है.

Bangladesh Violence Protest
Bangladesh Violence Protest: बांग्लादेश विरोध प्रदर्शन काफी आक्रामक रूप ले चुका है

Tags: Bangladesh, Sheikh hasina, Sheikh Mujibur Rahman, शेख

FIRST PUBLISHED : August 6, 2024, 12:40 IST

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