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BHU के वैज्ञानिकों का कमाल, जीन थैरेपी से खत्म किया महिलाओं के कोख का सूनापन

अभिषेक जायसवाल/वाराणसी. बनारस हिंदू विश्वविद्यालय यानी बीएचयू के जीन वैज्ञानिकों ने कमाल कर दिखाया है. जीन थेरेपी के जरिए एक्सपर्ट ने माताओं के गोद का सूनापन खत्म किया है. बीएचयू के सेंटर फॉर जेनेटिक डिसऑर्डर के जेनेटिक्स वैज्ञानिकों ने शोध के बाद इसमे सफलता पाई है और छह बार कोख में नेचुरल एबॉर्शन हुए महिला ने अब सातवीं बार बच्चे को जन्म दिया है.

दरसअल, बीएचयू के अस्पताल में चार महिलाओं की सूनी कोख भरी, लेकिन नेचुरल एबॉर्शन के कारण उनके घर में किलकारियां नहीं गूंज सकीं. अलग-अलग महिलाओं के गर्भ में पल रहे बच्चे में अलग-अलग तरह की परेशानी थी जिसके कारण जन्म से पहले ही गर्भ में उनका बच्चा खराब हो गया. महिलाएं सूनी कोख में किलकारियों की गूंज के लिए अस्पताल में भटकते रही, लेकिन उनके मर्ज का इलाज नहीं हो सका.

इलाज के दौरान चारों गर्भवती महिलाओं को सेंटर फ़ॉर जेनेटिक डिसऑर्डर केंद्र भेजा गया. सेंटर में एक्सपर्ट ने सभी महिलाओं की जीन के सैंपल लिए और फिर उनकी सिक्वेंसिंग की. जब रिजल्ट आया तो पता चला कि जीन रिसेप्टर में म्यूटेशन हुआ है, जिसकी वजह से बच्चों में फोलिक एसिड और विटामिन बी-12 की कमी हो जा रही है. इसके अलावा, प्रोटीन भी तैयार नहीं हो पा रहा है. इसके कारण उनका नेचुरल एबॉर्शन हो जा रहा है.

जीन थेरेपी से इलाज

जेनेटिक्स एक्सपर्ट डॉ. अख्तर अली ने बताया कि जीन थेरेपी के जरिए इन महिलाओं की इस समस्या को जड़ से खत्म किया गया जिसके बाद इन्होंने स्वस्थ बच्चे को जन्म दिया. बता दें कि, भारत में प्रति 1,000 जन्म पर दो बच्चों की मौत गर्भ में ही हो जाती है. प्रेग्नेंसी से पहले फोलिक एसिड, विटामिन की जांच करा कर इसे रोका और कम किया जा सकता है.

डॉ. अली ने बताया कि प्रेग्नेंसी के तीन महीने के अंदर फोलिक एसिड की जांच जरूर करानी चाहिए. कई बार ऐसा होता है कि इसकी कमी के कारण गर्भ में बच्चे के रीढ़ की हड्डी और सिर में समस्या आती है और शरीर का अंग विकसित नहीं हो पाता है. इससे ऐसी समस्या आती है.

Tags: Banaras news, BHU, Birth, Health News, Local18, Pregnant woman, Varanasi news

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