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जब पंडित नेहरू ने एक बच्ची के एडमिशन के लिए की थी स्कूल में सिफारिश, फिल्मों में बनती थीं लड़का

Daisy Irani: अगर आप हिंदी फिल्मों में दिलचस्पी रखते हैं तो आपको 1950 और 60 के दशक का वो घुंघराले बालों वाला बच्चा जरूर याद होगा. यह चाइल्ड आर्टिस्ट ब्लैक एंड व्हाइट फिल्मों के उस दौर में छोटे लड़के के रोल में नजर आता था. लेकिन घुंघराले बालों वाला यह छोटा बच्चा लड़का नहीं, बल्कि लड़की थी. उसका नाम था डेजी ईरानी. डेजी का जन्म 17 जून 1950 को मुंबई में एक पारसी परिवार में हुआ था. उनके पिता नोशिर ईरानी एक ईरानी रेस्त्रा चलाते थे, जबकि मां पेरिन हाउस वाइफ थीं. 

डेजी ईरानी का फिल्मी करियर महज ढाई साल की उम्र में शुरू हो गया था. उनकी पहली फिल्म थी टकसाल, जिसकी शूटिंग 1953 में शुरू हुई थी, लेकिन यह रिलीज 1956 में हुई थी. बंदिश डेजी ईरानी की दूसरी फिल्म थी, लेकिन वह टकसाल से एक साल पहले यानी 1955 में ही रिलीज हो गई थी. बंदिश में अशोक कुमार और मीना कुमारी जैसे बड़े और नामी स्टार थे. टकसाल में डेजी ईरानी ने बलराज साहनी और निरूपा राय जैसे दिग्गज कलाकारों के साथ काम किया था. 

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संयोग था डेजी का फिल्मों में आनाबिपिन गुप्ता उस समय के बड़े फिल्म निर्देशक थे. उनको अपनी एक फिल्म के लिए छोटे लड़के की तलाश थी. एक दिन डेजी अपने भाई की शर्ट पहनकर घर के बाहर खेल रही थीं. तभी बिपिन गुप्ता की नजर उन पर पड़ी. उनको लगा कि डेजी लड़का हैं. बिपिन गुप्ता को पता चला कि जिसे वह लड़का समझ रहे थे वह तो एक लड़की है. लेकिन फिर उनके दिमाग में आया कि दर्शकों को क्या पता चलेगा कि यह लड़का नहीं लड़की है. पहले तो डेजी के फिल्मों में काम करने के लिए उनके पिता नहीं माने, लेकिन उनकी मां को कोई ऐतराज नहीं था. आखिरकार बिपिन गुप्ता ने डेजी के माता-पिता दोनों को मना लिया. डेजी ईरानी ने उस फिल्म में लड़के का रोल इतनी अच्छी तरह निभाया कि उन्हें फिर उसी तरह के रोल मिलने लगे. 

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डेजी की नेहरू से मुलाकातडेजी ईरानी की साल 1957 में आई फिल्म ‘हम पंछी एक डाल के’ को राष्ट्रीय पुरस्कार मिला था. फिल्म में काम करने वाले सभी कलाकारों को दिल्ली बुलाया गया था. डेजी भी अपनी मां के साथ दिल्ली गईं. वहां उनकी मुलाकात तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू से हुई. नेहरू से मुलाकात के दौरान डेजी ने इंग्लिश का एक शब्द गलत बोला. नेहरू को डेजी की यह गलती खटक गई. उन्होंने डेजी की मां से पूछा कि क्या ये स्कूल नहीं जाती है. मां ने नेहरू को बताया कि फिल्मों में काम करने की वजह से यह स्कूल नहीं जा पाती है. 

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छोड़ना पड़ा स्कूलनेहरू जी को यह बात अच्छी नहीं लगी. उन्होंने डेजी की मां से कहा कि पढ़ाई बहुत जरूरी है, इसे पढ़ाइये. तब नेहरू ने मुंबई के एक मशहूर स्कूल में एडमिशन के लिए एक सिफारिशी पत्र भी दिया. उस सिफारिशी पत्र के आधार पर डेजी का सांताक्रूज के रोज मैनर गार्डन स्कूल में चौथी कक्षा में एडमिशन हो गया. लेकिन डेजी का मन पढ़ाई में नहीं लगता था. वह चौथी कक्षा में तीन बार फेल हो गईं. आखिरकार उन्होंने स्कूल जाना छोड़ दिया फिल्मों में ज्यादा काम करना भी इसकी एक वजह थी. फिर उनके लिए घर पर ही ट्यूशन पढ़ने का इंतजाम किया गया. यह इसलिए किया गया ताकि उनका उच्चारण और संवाद अदायगी बेहतर हो सके. डेजी ने अपनी जिंदगी में जो कुछ सीखा अपने भाई-बहनों से सीखा.

डेजी पांच भाई-बहन थेडेजी ईरानी के पांच भाई-बहन थे. दो भाई थे, सरोश और बोमन. उनकी दो बहनें थीं मेनका ईरानी और हनी ईरानी. हनी ईरानी गीतकार और मशहूर पटकथा लेखक जावेद अख्तर की पूर्व पत्नी हैं. जबकि मेनका ईरानी मशहूर कोरियाग्राफर फरहा खान और साजिद खान की मां थीं. डेजी के भाई-बहनों ने भी फिल्मों में काम करने के लिए प्रयास किया, लेकिन किसी को खास सफलता नहीं मिली.

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फिल्मी सफर पर एक नजरडेजी ने बंदिश, टकसाल, हम पंछी एक डाल के, के अलावा एक ही रास्ता, देवता, भाई-भाई, नया दौर, भाभी, राज तिलक, कैदी नंबर 911, दो उस्ताद, धूल का फूल में बतौर बाल कलाकार काम किया था. इन सभी फिल्मो में उन्होंने लड़के का किरदार निभाया था. फिर एक उम्र ऐसी आई जब डेजी को बाल कलाकार की भूमिकाएं मिलना बंद हो गईं. फिर उन्होंने फिल्मों में टीन ऐज वाले रोल किए. शराबी, आरजू, आंखें, तलाश, पहचान, कटी पतंग और गोमती के किनारे वहीं फिल्में थीं, जिसमें उन्होंने सहयोगी भूमिकाएं निभाईं.

साल 1971 में डेजी ने राइटर केके शुक्ला से शादी कर ली और फिल्मों से दूर हो गईं. लेकिन 1995 में पति की मौत के बाद डेजी ने फिर से फिल्मों में काम करना शुरू किया. इस दौरान उन्होंने कई फिल्मों के अलावा कई टीवी शोज में भी काम किया.   

Tags: Bollywood film, Jawahar Lal Nehru, PM Nehru

FIRST PUBLISHED : July 11, 2024, 12:14 IST

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