Rajasthan

Barmer MGNREGA Water Tank Construction Ban In Thar Desert.

Last Updated:October 24, 2025, 13:45 IST

Barmer News: बाड़मेर में सरकार द्वारा मनरेगा योजना के तहत टांका निर्माण पर रोक लगाने से ग्रामीणों में निराशा फैल गई है. थार के इस सूखे इलाके में टांके ही वर्षा जल संग्रहण का प्रमुख और जीवनदायिनी स्रोत हैं. अब लाखों लोगों की रोजमर्रा की जरूरतें और पशुपालन संकट में आ सकते हैं. इस रोक को हटाने के लिए स्थानीय सांसद उम्मेदाराम बेनीवाल ने सरकार से पुनर्विचार की मांग की है.

बाड़मेर. थार के रेगिस्तान में पानी की हर बूंद सिर्फ जरूरत नहीं, बल्कि जीवन की नींव और अस्तित्व की गारंटी है. ऐसे में सरकार का हालिया फैसला — मनरेगा (MGNREGA) योजना के तहत टांका निर्माण पर रोक — रेगिस्तानी इलाकों के ग्रामीणों के लिए एक बड़ा झटका साबित हुआ है. बाड़मेर जिले में अब तक करीब 4 लाख टांके बनाए जा चुके हैं. ये टांके सालभर वर्षा का पानी सहेजने का एकमात्र साधन हैं, जिनसे ग्रामीण पीने, घरेलू कार्यों और पशुपालन के लिए पानी प्राप्त करते हैं.

केंद्र सरकार ने हाल ही में मनरेगा के तहत व्यक्तिगत लाभ की योजनाओं (Individual Beneficiary Schemes) में टांका निर्माण को शामिल करने पर रोक लगा दी है. इस फैसले के बाद रेगिस्तानी इलाकों के ग्रामीणों में गहरी चिंता बढ़ गई है. बाड़मेर, जैसलमेर और आसपास के सैकड़ों गांवों के लोगों को अब दोबारा मीलों चलकर पानी लाना पड़ सकता है. इस क्षेत्र में वर्षा का जल संग्रहण करना ही पानी की समस्या का सबसे विश्वसनीय समाधान रहा है.

टांके: रेगिस्तान के जीवनदायिनी

टांके पश्चिम राजस्थान की परंपरागत और सबसे सफल जल-संरक्षण प्रणाली हैं. ये ग्रामीण क्षेत्रों की जीवनदायिनी रही हैं.
संरचना और लागत: एक औसत टांका 13.5 x 13.5 फीट का होता है, जिसकी निर्माण लागत मनरेगा के तहत लगभग ₹3 लाख रुपये आती है.
क्षमता: इसमें करीब 35,000 लीटर वर्षा जल संग्रहित किया जा सकता है, जो एक परिवार और उनके पशुओं के लिए कई महीनों तक पर्याप्त होता है.
इन टांकों ने सालों से सूखे और कम बारिश की स्थितियों में ग्रामीणों के जीवन को संबल दिया है. अब इनके निर्माण पर रोक का मतलब है — भविष्य में जल संकट और सूखा लौटने की आशंका.

योजनाएं बनीं लेकिन ज़मीन पर हकीकत अलगहालांकि सरकार की महत्वाकांक्षी ‘जल जीवन मिशन’ और ‘नहरी पानी’ योजनाएं कागज़ों पर तो हर घर नल से जल की गारंटी देती हैं, लेकिन बाड़मेर जैसे सुदूर और अत्यधिक फैले हुए इलाकों में इनका लाभ अभी भी अधूरा है. धरातल पर हकीकत यह है कि कई गांव आज भी पूरी तरह से इन्हीं पारंपरिक टांकों पर निर्भर हैं. ग्रामीणों का कहना है कि जब तक नहर का पानी हर घर तक नहीं पहुंचता, तब तक टांका निर्माण जारी रहना चाहिए.

सांसद उम्मेदाराम बेनीवाल ने जताई चिंताबाड़मेर-जैसलमेर-बालोतरा सांसद उम्मेदाराम बेनीवाल ने इस फैसले पर तुरंत अपनी गहरी चिंता व्यक्त की है. उन्होंने कहा, “रेगिस्तान में वर्षा जल संग्रहण के लिए टांका ही सबसे सस्ता, स्थायी और प्रभावी समाधान है. सरकार को इस फैसले पर पुनर्विचार करना चाहिए, क्योंकि इससे लाखों ग्रामीणों की जीवनरेखा पर संकट आ सकता है.” उन्होंने इस फैसले को जल्द से जल्द वापस लेने की मांग की है.

Location :

Barmer,Barmer,Rajasthan

First Published :

October 24, 2025, 13:45 IST

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थार के रेगिस्तान में फिर प्यासा होगा मरुस्थल? सरकार के एक फैसले ने सब बदल दिया

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