Barmer News : बाड़मेर के बाजरे को अब मिलेगी दुनियाभर में पहचान, पायलट प्रोजेक्ट के तहत हुआ चयन
मनमोहन सेजू/ बाड़मेर.बाड़मेर जिले में बाजरे का बहुतायात तरीके से उत्पादन किया जाता है. यही वजह है कि बाड़मेर का बाजरा अब केवल रोटी बनाने तक ही सीमित नहीं रहेगा. इसकी पहचान अब ब्रेकफास्ट सहित कई प्रोडक्ट बनाने के रूप में भी होगी. इतना ही नहीं भारत सरकार ने राजस्थान में एक मात्र बाड़मेर जिले का मिलेट वेल्यू चैन डवलपमेंट पायलट प्रोजेक्ट के लिए चयन किया गया है.
आपके शहर से (बाड़मेर)
बाड़मेर जिले में बाजरे की बुआई सर्वाधिक भूभाग में की जाती है. यहां के लोग कई दशकों से बाजरे का उपयोग कर रहे है. पुराने समय में बाजरे की खुशबू से रसोईयां महकती थीं. छोटे दानों वाली इस फसल से बने उत्पाद जितने पौष्टिक होते हैं, किसानों के लिए इनकी खेती भी उतनी ही ज्यादा फायदेमंद है. बाड़मेर प्रदेश का सबसे ज्यादा बाजरा उत्पादन करने वाला जिला है. मिलेट वैल्यू चैन डवलपमेंट पायलट प्रोजेक्ट के लिए दिल्ली से केंद्रीय टीम बाड़मेर पहुंची और यहां जिला कलेक्टर सहित कृषि अधिकारियों व अन्य स्वयंसेवी संस्थाओं के साथ बैठक कर बाजरे की प्रोसेसिंग यूनिट और बनने वाले प्रोडक्ट को लेकर किसानों के साथ संवाद किया.
सबसे अच्छी बात तो यह है कि बाजरा जैसे मोटे अनाज आज देश की खाद्य और पोषण सुरक्षा में अहम योगदान दे रहे हैं. यही वजह है कि अंतर्राष्ट्रीय पोषक अनाज वर्ष 2023 के दौरान देश में बाजरा के उत्पादन के साथ-साथ खानपान में इस्तेमाल को बढ़ावा दिया जा रहा है. कृषि मंत्रालय भारत सरकार से पीएयू डॉ. स्वाति, मिनिस्ट्री आफ एग्रीकल्चर के अतिरिक्त निदेशक दीपक कुमार यादव, कृषि विभाग बाड़मेर के संयुक्त निदेशक किशोरी लाल वर्मा, कृषि संयुक्त निदेशक पदमसिंह भाटी, नाबार्ड के जिला विकास प्रबंधक महेंद्र सिंह उमट, केवीके दांता के विनय कुमार सहित के एफपीओ, स्वयं सहायता समूह बैठक में शामिल रहे.
सरकार ने 2023 को अंतरराष्ट्रीय मिलेट ईयर घोषित किया है. इसके तहत बाड़मेर का पायलट प्रोजेक्ट के रूप में चयन हुआ है. बाजरे को अब केवल रोटी चपाती तक ही सीमित नहीं रखा जाएगा. इसके कई प्रोडक्ट तैयार कर मार्केट डवलप किया जाएगा. बाजरे से बनने वाले प्रोडक्ट के लिए चैन डवलप की जाएगी.
कृषि विभाग के संयुक्त निदेशक किशोरी लाल वर्मा ने कहा कि बाड़मेर में 9.50 लाख हेक्टेयर में बाजरे की खेती होती है, जिसमें करीब 8 लाख हेक्टेयर में ऑर्गेनिक खेती हो रही है. इतना ही नहीं उन्होंने कहा कि बाजरे की 90 फीसदी खेती बारिश पर आधारित है. अब बाजरे के उत्पादन से लेकर बेचने तक के लिए एक्शन प्लान बनाया जाएगा.
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Tags: Barmer news, Rajasthan news
FIRST PUBLISHED : May 05, 2023, 16:22 IST