Barmer News : रेतीली पगडंडियों से निकलकर देश के लिए जीता गोल्ड मेडल, खिलाड़ी महिपाल भाटी नौसेना में दे रहे सेवाएं
बाड़मेर. दूर तलक फैले रेत के समंदर में टापू सरीखा नजर आने वाले झींझनीयाली गांव. यहां से निकलकर एक युवा आज अंतराष्ट्रीय मैदानों में अपनी सफलता का परचम लहरा रहा है. बाड़मेर जैसे पिछड़े जिले के बास्केटबॉल मैदान से अपने खेल की शुरुआत करने वाले महिपाल सिंह भाटी ने आज खुद को वह मुकाम दिया है जिसकी प्रेरणा से हजारों युवा बास्केटबॉल कोर्ट में पसीना बहाते नजर आते हैं.
महिपाल सिंह ने अपनी शुरूआती पढ़ाई जैसलमेर से की है. जैसलमेर बास्केटबॉल अकादमी में अपने खेल का सफर शुरू किया. उसके बाद बाड़मेर के उण्डखा गांव में स्थित ज्योति विद्यापीठ से अपनी 11वीं और 12वीं की पढ़ाई पूरी की. अंडर 17, अंडर 19 और सीनियर 3 ऑन 3 में भारतीय बास्केटबॉल टीम के कप्तान बनने का गौरव इस रेत के लाल को मिला. सीनियर भारतीय बास्केटबॉल टीम के महिपाल भाटी नियमित सदस्य भी रहे.
सैफ गेम्स में भारतीय टीम ने बास्केटबॉल में स्वर्ण पदक जीता था. इस विजेता टीम के कप्तान महिपाल सिंह थे. अंडर 17 में इरान तेहरान में आयोजित प्रतियोगिता में एशियन देशों मे सर्वाधिक प्रति मैच 31 अंक अर्जित करने वाले भारत के पहले और इकलौते खिलाडी बनने का गौरव महिपाल के नाम है. महिपाल को उनके खास प्रदर्शन के लिए राज्य सरकार द्वारा सरकारी नौकरी का ऑफर दिया गया, जिसे उन्होंने बड़ी विनम्रता से अस्वीकार कर दिया.
वर्तमान में महिपाल सिंह भाटी भारतीय नौ सेना में अधिकारी पद पर खेल कोटे से चयनित हैं. महिपाल सिंह लोकल 18 से खास बातचीत करते हुए बताते है कि राजस्थान सरकार द्वारा भी इन्हें उत्कृष्ट खेल कोटे के तहत वन विभाग में रेंजर ग्रेड 1 पद पर नौकरी करने के लिए कहा था, लेकिन सेना ने अपने इस बेहतरीन खिलाडी को सेना से ही खेलने के लिए आग्रह किया जिसको इन्होंने स्वीकार कर लिया.
वह बताते हैं कि इनके गुरु गेमर सिंह सोढा ने जो उन्हें सिखाया उस पर वह आज भी चल रहे हैं. उनकी सफलता के पीछे उनकी मेहनत के साथ-साथ कई लोगों का आशीर्वाद और प्रेरणा भी है. वह बताते हैं कि सफलता हमेशा संघर्ष मांगती है और कोई शख्स जितना संघर्ष करेगा उसकी सफलता की गारंटी उतनी बढ़ जाएगी.
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FIRST PUBLISHED : October 4, 2024, 17:33 IST