बाड़मेर की बेटियों ने किया कमाल! पेड़ों पर लगाए पढ़ाई वाले परिंदे

मनमोहन सेजू/बाड़मेर- एक समय था जब शिक्षा का मतलब सिर्फ किताबी ज्ञान होता था, लेकिन अब समय बदल चुका है. नवीन राष्ट्रीय शिक्षा नीति ने पढ़ाई को सिर्फ पुस्तकों तक सीमित नहीं रखा बल्कि नवाचार और रचनात्मकता को भी पाठ्यक्रम का अहम हिस्सा बना दिया है. इस बदलाव की झलक राजस्थान के बाड़मेर जिले के सबसे बड़े कन्या महाविद्यालय में साफ तौर पर देखने को मिल रही है.
‘ऑर्टिस्टिक परिंडा विद स्टडी कंटेंट’ बना आकर्षण का केंद्रश्री मुल्तानमल भीखचंद छाजेड़ कन्या महाविद्यालय की छात्राओं ने ‘ऑर्टिस्टिक परिंडा विद स्टडी कंटेंट’ अभियान शुरू किया है. हर पेड़ की शाख पर सजाए गए ये परिंडे सिर्फ पक्षियों के लिए पानी और दाना ही नहीं रखते, बल्कि ये इतिहास और दर्शनशास्त्र की अध्ययन सामग्री से भी भरे हुए हैं.
इतिहास की छात्राओं ने रचा ज्ञान का संसारइतिहास संकाय की छात्राओं ने असहयोग आंदोलन, सविनय अवज्ञा आंदोलन, स्वदेशी आंदोलन जैसे भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महत्त्वपूर्ण आंदोलनों को इन परिंडों पर चित्रित किया है. इससे न केवल पक्षियों को राहत मिलेगी, बल्कि अन्य छात्राएं भी अध्ययन सामग्री पढ़कर प्रेरित होंगी.
प्रोजेक्ट के रूप में रचनात्मक सीखकॉलेज प्राचार्य डॉ. मुकेश पचौरी के अनुसार, यह कार्य प्रोजेक्ट असाइनमेंट के रूप में किया गया है. छात्राओं को चार-चार के समूह में बांटकर परिंडे तैयार करने और उनमें नियमित पानी भरने की जिम्मेदारी दी गई है, जिससे वे जिम्मेदारी और टीमवर्क भी सीख सकें.
दर्शनशास्त्र की छात्राओं ने निभाई सेवा की भूमिकाराष्ट्रीय सेवा योजना और दर्शनशास्त्र संकाय की छात्राओं ने पक्षियों के लिए चुग्गा और अध्ययन सामग्री युक्त परिंडे तैयार किए हैं. यह पहल न केवल प्रकृति से जुड़ाव बढ़ाती है, बल्कि दार्शनिक सोच को भी व्यवहार में उतारने का प्रयास है.
शिक्षा और संवेदना का संगमयह पहल यह भी दर्शाती है कि शिक्षा सिर्फ किताबी ज्ञान नहीं, बल्कि सामाजिक संवेदना, प्रकृति के प्रति दायित्व और रचनात्मकता का मेल भी है. इस नवाचार ने यह साबित कर दिया है कि कैसे एक छोटा-सा प्रयास भी बड़े बदलाव की नींव रख सकता है.
रचनात्मकता से मिली नई पहचानमहाविद्यालय में लगने वाले ये रचनात्मक परिंडे न केवल पर्यावरण और पक्षियों के लिए उपयोगी हैं, बल्कि छात्राओं की रचनात्मक प्रतिभा को भी एक नया मंच देते हैं. हर परिंडा एक कहानी कहता है. ज्ञान की, स्वतंत्रता संग्राम की और सेवाभाव की.
बाड़मेर की बेटियों से प्रेरणा लें दूसरे संस्थान भीयह नवाचार अन्य शिक्षण संस्थानों के लिए भी प्रेरणादायक है. जहां एक ओर यह शिक्षा को सार्थक बनाता है, वहीं दूसरी ओर सामाजिक और पर्यावरणीय दायित्वों की ओर भी ध्यान खींचता है.