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Indo-Pak Border News : जैसलमेर और बाड़मेर सबसे ज्यादा प्रभावित क्यों हैं, जानें यहां क्या पाबंदियां लागू हैं?

Last Updated:May 12, 2025, 07:26 IST

India Pakistan Border Samachar : भारत पाकिस्तान के बीच होने वाले तनाव में सबसे ज्यादा पश्चिमी राजस्थान में स्थित बाड़मेर और जैसलमेर जिला प्रभावित होता है. यह इलाका पूरी तरह से पाक बॉर्डर से जुड़ा है. इस इलाके …और पढ़ेंभारत पाकिस्तान बॉर्डर: जैसलमेर और बाड़मेर सबसे ज्यादा प्रभावित क्यों हैं?

पश्चिमी राजस्थान में भारत पाकिस्तान का लंबा चौड़ा बॉर्डर लगता है.

हाइलाइट्स

बाड़मेर और जैसलमेर में ब्लैकआउट जारी है.पाकिस्तानी ड्रोन की गतिविधियों से सतर्कता बढ़ी.बॉर्डर इलाकों में जासूसी की घटनाएं बढ़ी.

बाड़मेर/जैसलमेर. भारत पाकिस्तान के बीच सीजफायर भले ही हो गया हो लेकिन राजस्थान में बॉर्डर इलाके में सरहद पर हलचल बदस्तूर जारी है. सीजफायर के बाद भी भारत-पाक सीमा से सटे बाड़मेर और जैसलमेर में लगातार सीमा पार से ड्रोन उड़कर आ रहे हैं. बार-बार आ रहे ड्रोन को देखते हुए दोनों जिलों में रविवार को भी पूरी रात को भी ब्लैक आउट रखा गया. बॉर्डर इलाके में सायरन की आवाजें थम नहीं रही है. बाजार खुल जरुर रहे हैं लेकिन कब बंद करने पड़ जाएं कुछ नहीं कहा जा सकता.

दरअसल पश्चिमी राजस्थान में करीब 1070 किलोमीटर लंबा भारत पाक बॉर्डर है. इस बॉर्डर इलाके में राजस्थान के चार जिले सीधे जुड़ते हैं. इनमें जैसलमेर, बाड़मेर, श्रीगंगानगर और बीकानेर जिला शामिल है. बाड़मेर और जैसलमेर से जोधपुर जुड़ता है. भारत-पाकिस्तान के बीच जब भी तनाव होता है यह इलाका जबर्दस्त तरीके से प्रभावित होता है. इसके वजह है इस इलाके का सामरिक महत्व.

पश्चिमी राजस्थान सामरिक महत्व वाला है इलाका हैपश्चिमी राजस्थान में भारतीय सेना, एयरफोर्स और बीएसएफ का बड़ा बेड़ा है. जोधपुर, जैसलमेर और बाड़मेर एयरफोर्स के बड़े स्टेशन हैं. यहां सेना के जंगी जेट्स की उपस्थिति और तैनाती रहती है. पश्चिमी राजस्थान में इस लंबे चौड़े बॉर्डर की हिफाजत का जिम्मा बॉर्डर सिक्योरिटी फोर्स (बीएसएफ) के पास है. बाड़मेर और जैसलमेर शहर की दूरी बॉर्डर से कोई बहुत ज्यादा नहीं है. पाकिस्तानी घुसपैठिए भारत में घुसपैठ करने के लिए इस बॉर्डर का इस्तेमाल करते हैं.

इस बॉर्डर इलाके में घुसपैठ की कोशिश होती रहती हैहालांकि बॉर्डर की निगाहेबान बीएसएफ पाकिस्तानी घुसपैठियों की घुसपैठ की हर कोशिश को नाकाम कर देते हैं लेकिन फिर भी वह इससे बाज नहीं आता है. बॉर्डर इलाके में आए दिन पाकिस्तान जासूसी पकड़े जाते हैं. इस इलाके में पाकिस्तानी जासूसी होने की संभावनाएं इसलिए भी ज्यादा बढ़ जाती है क्योंकि दोनों जिलों के लोगों की पाकिस्तान में काफी रिश्तेदारियां हैं. इसके चलते जैसलमेर और बाड़मेर से पाकिस्तान से आने और जाने वालों की तादाद काफी है.

बॉर्डर के इलाके के लोगों की पाकिस्तान में रिश्तेदारियां हैंसीमा पार पाकिस्तान में बाड़मेर से ज्यादा जैसलमेर जिले के लोगों की रिश्तेदारियां हैं. यहां से पाकिस्तान जाने वाले वहां कई बार पाक की खुफिया एजेंसी आईएसआई के संपर्क में आ जाते हैं. वह उनका ब्रेनवॉश कर और रुपये का लालच देकर उन्हें जासूसी के लिए तैयार लेते हैं. इसका ताजा उदाहरण हाल ही में पकड़ा गया पाक जासूस पठान खान है. वह रिश्तेदारों से मिलने के बहाने तीन बार पाकिस्तान गया और वहां से भारत का जासूस बनकर आ गया. पठान खान जैसलमेर के मोहनगढ़ का रहने वाला है.

बीकानेर जिला भी साफ्ट टारगेट हैपाकिस्तान से यहां आने वाले लोग भी यहां बॉर्डर इलाके में भारतीय सैन्य बलों की जासूसी करने से नहीं चूकते हैं. बॉर्डर एरिया का बीकानेर जिला भी पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी का सॉफ्ट टारगेट है. वह बीकानेर के खाजूवाला इलाका जो किस बॉर्डर से जुड़ा है वहां के लोगों से सोशल मीडिया के जरिये कई बार संपर्क साध कर लालच देने की कोशिश करता है. इसका भी कई बार खुलासा हो चुका है. श्रीगंगानगर राजस्थान का नहरी इलाका है. यहां के लोगों के खेत बॉर्डर से जुड़े हैं.

लगातार ब्लैकआउट चल रहा हैभारत पाक युद्ध विराम हो जाने के बाद भी यहां हालात कोई बहुत ज्यादा नहीं बदले हैं. यहां अभी भी पाक ड्रोन मंडराने की बार-बार सूचना आ रही है. लिहाजा बाड़मेर और जैसलमेर में अन्य इलाकों की बजाय ज्यादा सतर्कता बरती जा रही है. हालात को देखते हुए रोजाना यह तय किया जाता है कि ब्लैक आउट रहेगा या नहीं. प्रशासन ने दोनों जिलों के लोगों से अपील कर रखी है कि अनावश्यक रूप से घरों से बाहर नहीं निकलें. रात को लाइट्स का उपयोग नहीं करें. कोई भी संदिग्ध गतिविधि या चीज दिखने पर प्रशासन को सूचित करें. अलर्ट रहें. सरकारी निर्देशों की पूरी तरह से पालना करें.

authorimgSandeep Rathore

संदीप ने 2000 में भास्कर सुमूह से पत्रकारिता की शुरुआत की. कोटा और भीलवाड़ा में राजस्थान पत्रिका के रेजीडेंट एडिटर भी रह चुके हैं. 2017 से से जुड़े हैं.

संदीप ने 2000 में भास्कर सुमूह से पत्रकारिता की शुरुआत की. कोटा और भीलवाड़ा में राजस्थान पत्रिका के रेजीडेंट एडिटर भी रह चुके हैं. 2017 से से जुड़े हैं.

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