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यकीन मानिए आप भी खा रहे सनस्क्रीन ! इन फूड्स में मिलाया जाता है यह केमिकल, जानकर फटी रह जाएंगे आंखें

Processed Foods & Health: क्या आपने कभी सनस्क्रीन का स्वाद चखा है? आप सोच रहे होंगे कि भला यह क्या वाहियात सवाल है और सनस्क्रीन कोई खाने की चीज थोड़े ही होती है. जी हां, आप सही सोच रहे हैं कि सनस्क्रीन खाने की चीज नहीं है. हालांकि आपको जानकर हैरानी होगी कि आजकल आप कई ऐसी चीजें खा रहे हैं, जिनमें सनस्क्रीन वाले पदार्थ मिलाए जाते हैं. ये पदार्थ सेहत के लिए नुकसानदायक भी माने जाते हैं. आखिर किन चीजों में सनस्क्रीन वाले इंग्रेडिएंट्स होते हैं और ये फूड्स में क्यों मिलाए जाते हैं. चलिए इन सभी सवालों के जवाब जानने की कोशिश करते हैं.

न्यूयॉर्क पोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक सनस्क्रीन और कॉस्मेटिक प्रोडक्ट्स में टाइटेनियम डाइऑक्साइड (Titanium dioxide) मिलाया जाता है. इसका इस्तेमाल सिर्फ कॉस्मेटिक प्रोडक्ट में ही नहीं, बल्कि कई फूड्स और दवाओं में भी किया जाता है. अलग-अलग तरह की कैंडी, च्युइंग गम, प्री-पैकेज्ड मील्स जैसे- फ्रोजन पिज्जा समेत कई चीजों में टाइटेनियम डाइऑक्साइड मिलाया जाता है. यह तत्व टैटू बनाने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली इंक में भी पाया जाता है. यह एक पाउडर जैसा मेटलिक कंपाउंड होता है, जो कॉस्मेटिक प्रोडक्ट को ब्राइट बनाता है और सूरज की किरणों से आने वाली UV रेज को ब्लॉक करता है.

टाइटेनियम डाइऑक्साइड जब सनस्क्रीन, कॉस्मेटिक प्रोडक्ट, टैटू इंक, दवाओं और फेमिनिन हाइजीन प्रोडक्ट में मिलाया जाता है, तब यह नुकसानदायक नहीं माना जाता है, लेकिन खाने में मिलाना इसे ज्यादा सुरक्षित नहीं माना जाता है. अब सवाल है कि यह खाने-पीने में मिलाया क्यों जाता है? इस पर एक्सपर्ट्स बताते हैं कि प्रोसेस्ड फूड्स का रंग आकर्षक बनाने और उन्हें कई दिनों तक खराब होने से बचाने के लिए टाइटेनियम ऑक्साइज इस्तेमाल किया जाता है. हालांकि फूड्स में मिलाया जाने वाला यह तत्व पेंट, पेपर और प्लास्टिक में इस्तेमाल किए जाने वाले टाइटेनियम डाइऑक्साइड से अलग ग्रेड का होता है.

कनाडा की गुएल्फ यूनिवर्सिटी में शोधकर्ता और फूड साइंस के प्रोफेसर डॉ. कीथ वारिनर का कहना है कि चिंता की बात यह है कि जब टाइटेनियम डाइऑक्साइड का सेवन नैनोपार्टिकल्स के रूप में किया जाता है, तो यह हमारी कोशिकाओं में प्रवेश कर सकता है. इससे हमारी सेल्स में रेडिकल जेनरेट हो जाते हैं और गड़बड़ी पैदा होने लगती है. यह कैंसर का कारण बन सकता है. इंटरनेशनल एजेंसी फॉर रिसर्च ऑन कैंसर ने टाइटेनियम डाइऑक्साइड को कार्सिनोजेन (Group 2B carcinogen) के रूप में क्लासिफाई किया है. यह वही ग्रुप है, जिसमें मोबाइल फोन डिवाइस को रखा गया है.

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Tags: Health, Lifestyle, Trending news

FIRST PUBLISHED : June 20, 2024, 14:30 IST

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