Bengaluru News Isro urged to conduct lunar terrain test on Bellandur in Bengaluru crumbling roads – अगर आप सच में चंद्रमा की सतह का परीक्षण करना चाहते हैं, तो अपने मिशन व्हीकल को बेलंदूर की गड्ढों से भरी सड़कों पर चलाइए!

Last Updated:March 13, 2025, 14:20 IST
Bengaluru News: बेंगलुरु के बेलंदूर में लोग सड़कों के गड्डों से इतना परेशान हो गए हैं कि उन्होंने इसरो से मदद मांगी है. उन्होंने कहा है कि अगर इसरो में किसी मिशन व्हीकल का परीक्षण करना चाहता है तो वह उन्हें हमा…और पढ़ें
बेलंदूर के लोगों का कहना है कि इसरो मिशन व्हीकल का टेस्ट हमारे यहा की गड्ढों से भरी सड़कों पर करें
हाइलाइट्स
ISRO मिशन व्हीकल को बेलंदूर की गड्ढों से भरी सड़कों पर चलाइए!लोगों का कहना था कि चंद्रमा मिशन की जरूरत नहीं, इसरो – बस यहां चलाइए!बेलंदूर के एक निवासी वेंकट ने कहा कि यह सड़क पिछले छह महीनों से भयानक स्थिति में
बेंगलुरु. जैस ही लोगों को पता चला कि डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार पहुंच रहे हैं तो वह सड़कों पर उतर आएं. लोगों का कहना था कि चंद्रयान को भूल जाइए, इसरो. अगर आप सच में चंद्रमा की सतह का परीक्षण करना चाहते हैं, तो अपने मिशन व्हीकल को बेलंदूर की गड्ढों से भरी सड़कों पर चलाइए!
उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार के शाम 4 बजे बेलंदूर दौरे के कार्यक्रम के लिए जैसे ही पहुंचे सैकड़ों निवासी सकरा अस्पताल के पास देवरबीसनहल्ली में सड़कों पर उतर आए. लोगों का कहना था कि चंद्रमा मिशन की जरूरत नहीं, इसरो – बस यहां चलाइए! जैसे पोस्टर लहराते हुए, नाराज निवासियों ने “बेकू बेकू, रोड बेकू” के नारे लगाए. जब लोगों को पता चला कि शिवकुमार नहीं आ रहे हैं तो उनकी नाराजगी और बढ़ गई.
क्यों है लोगों में इतना गुस्सा?बेलंदूर के एक निवासी वेंकट ने कहा कि यह सड़क पिछले छह महीनों से भयानक स्थिति में है, एक बुजुर्ग निवासी कुसुम सहाय ने कहा कि पैदल चलने वालों के लिए कोई फुटपाथ नहीं है, और कार से उतरना ही एक चुनौती है. वहीं एक अन्य स्थानीय ने गुस्सा जाहिर किया और कहा कि हम बेंगलुरु के सबसे महत्वपूर्ण लोगों में से हैं, फिर भी यहां की बुनियादी ढांचा शर्मनाक है. यह कोरमंगला और इंदिरानगर को जोड़ने वाली एक प्रमुख सड़क है – इसे जल्दी ठीक करना कितना मुश्किल है?
7 मिनट के सफर में लगते हैं 20 मिनटएक अन्य निवासी ने रोजाना की मुश्किलों के बारे में बताते हुए कहा कि हम दो साल पहले यहां आए थे, उम्मीद थी कि चीजें सुधरेंगी, लेकिन कुछ भी नहीं बदला. कल ही (मंगलवार) मैंने अपने पिता को आंखों के अस्पताल ले गया – सात मिनट की ड्राइव में 20 मिनट लग गए क्योंकि इन गड्ढों के कारण. बुजुर्ग लोगों के लिए सकरा अस्पताल तक पैदल चलना असंभव है. हमें छोटी दूरी के लिए भी कार लेनी पड़ती है, और इससे ट्रैफिक की समस्या और बढ़ जाती है.
साइकिल चलाने की हिम्मत भी नहीं…एक अन्य प्रदर्शनकारी कंचना गणेशन ने याद किया कि चार साल पहले वह झील रोड पर साइकिल चलाती थीं. अब, मैं ऐसा करने की हिम्मत नहीं करूंगी. जो एक समय में एक सहज सवारी थी, वह अब एक हड्डी-हिलाने वाला दुःस्वप्न बन गई है. हर दिन, सिर्फ सात किलोमीटर की यात्रा एक कठिनाई बन गई है. बेलंदूर राइजिंग 2025 पहल का प्रतिनिधित्व करने वाले राजेश नर्का ने त्वरित कार्रवाई की मांग की. उन्होंने कहा है कि बेलंदूर कुछ सबसे बड़े आईटी हब का घर है, फिर भी सड़कों की हालत खस्ता है.
एक निवासी जोगिंदर यादव ने उपमुख्यमंत्री के दौरे से पहले किए गए अंतिम समय के पैचवर्क की विडंबना की ओर इशारा किया. उन्होंने कहा कि बीबीएमपी ने अचानक कंकड़ बिछा दिए और पानी छिड़क दिया क्योंकि एक मंत्री का दौरा होने वाला था. अवैध पार्किंग, फुटपाथ अतिक्रमण और ट्रैफिक लाइट की कमी से स्थिति और खराब हो जाती है. हम अपने टैक्स का भुगतान करते हैं – हम राष्ट्र निर्माण में योगदान देते हैं. भले ही हम में से कई प्रवासी हैं, सरकार को ‘अतिथि देवो भव’ याद रखना चाहिए और बदले में हमें बुनियादी ढांचा देना चाहिए.
Location :
Bangalore Rural,Karnataka
First Published :
March 13, 2025, 14:20 IST
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