स्वाद, सुगंध और मुनाफे का खजाना है पान मेथी की खेती, जानें बुवाई से लेकर फसल तैयार करने तक की पूरी प्रक्रिया

नागौर. राजस्थान की धरती अपनी वीरता, इतिहास, आभूषण और विभिन्न व्यंजनों के अनोखे स्वाद के लिए जानी जाती है. ठीक इसी प्रकार एक खास तोहफा है पान मेथी, जिसे स्थानीय लोग कसूरी मेथी के नाम से भी जानते हैं. यह नागौर जिले की विशेष किस्म की मेथी है जो अपने अनूठे स्वाद, तीखी सुगंध और औषधिय गुणों के लिए प्रसिद्ध है. यह एक ऐसी फसल है, जिसने छोटे किसानों के आमदनी को बढ़ाने में मदद की है. इस फसल का उपयोग न केवल व्यंजनों में किया जाता है, बल्कि यह सेहत के लिए भी वरदान है और किसानों के लिए यह किसी कुबेर से कम नहीं है.
पान मेथी साधारण मैथी से अलग किस्म की होती है. इसके पत्ते थोड़े मोटे और गोली लिए होते हैं, जिनमें गजब की खुशबू होती है. यह मेथी खेतों में ठंड के मौसम में उगाई जाती है और सूखने के बाद कसूरी मेथी के रूप में घर-घर में इस्तेमाल होता है. चाहे दाल का तड़का हो या आलू मटर की सब्जी एक चुटकी पान मेथी डालते ही स्वाद और सुगंध का पूरा जादू छा जाता है. यह मेथी सिर्फ रसोई तक ही सीमित नहीं है, बल्कि अब किसान की मेहनत और बदलती खेती के तौर तरीकों की मिसाल है. जहां पहले किसान गेहूं ,चना या सरसों जैसी पारंपरिक फसल उगाते थे, वहीं अब वह पान मेथी को नगदी फसल के रूप में अपना रहे हैं, क्योंकि इसकी खेती में लागत कम और मुनाफा ज्यादा है.
अक्टूबर से दिसंबर तक कर सकते हैं बुवाई
पान मेथी की बुवाई अक्टूबर से दिसंबर तक की जाती है और फसल 90 से 100 दिन में तैयार हो जाती है. इसकी खेती के लिए हल्की दोमट मिट्टी और ठंडा मौसम बेहतर माना जाता है. किसान को एक बीघा जमीन में करीब 6 से 7 किलो बीज लगते हैं. इसकी देखभाल में ज्यादा खर्च नहीं होता, बस हल्की सिंचाई और समय पर निराई गुड़ाई कर दी जाए तो फसल लहलहा जाती है. कटाई के समय पत्तों को सावधानी से तोड़कर धूप में सुखाया जाता है ताकि उसकी प्राकृतिक सुगंध बरकरार रहे.
सेहत के लिए भी फायदेमंद है पान मेथी
पान मेथी केवल स्वाद ही नहीं सेहत का खजाना भी है. पान मेथी से सिर्फ सब्जी स्वादिष्ट नहीं बनाई जा सकती, बल्कि सेहत को और भी बेहतर किया जा सकता है. यह आयरन ,कैल्शियम और फाइबर से भरपूर यह एक पोस्ट औषधिय पौधा भी है. इसकी खेती से किसान अपनी आर्थिक स्थिति सुधार रहे तो, वहीं उपभोक्ता अपनी सेहत और स्वाद का लुफ्त उठा रहे हैं. यह आयरन, कैल्शियम और फाइबर का बेहतरीन स्रोत है तथा इससे पाचन तंत्र को मजबूती प्राप्त होती है और भूख बढ़ती है. सर्दियों में यह खांसी में राहत देती है. इसके अलावा यह ब्लड शुगर नियंत्रित करने और कोलेस्ट्रॉल कम करने में भी सहायक है. तथा इसका सेवन शरीर से विषैला तत्व निकालकर त्वचा को भी निखरता है.
एक बीघा से 60 हजार तक किसान कमा सकते हैं मुनाफा
नागौर और आस-पास के किसानों के लिए फसल मुनाफे का सौदा बन चुकी है. थोड़ी जमीन भी में भी इसकी खेती से अच्छा मुनाफा मिल जाता है. सुखी पान मेथी की मांग शहरों में साल भर बनी रहती है, इसलिए किसानों के लिए हरियाली में सोना साबित हो रही है. एक बीघा में कुल खर्च 5 से 6 हजार तक आता है. इसकी खेती में एक बीघा खेत से औसतन 6 से 8 क्विंटल सुखी पान मेथी निकल आती है. सुखी पान मेथी की कीमत 250 से 400 रूपए प्रति किलो तक रहती है, जबकि कसूरी मेथी के रूप में पैक एक हजार रुपए प्रति किलो तक बिक जाती है. इस तरह किसान एक बीघा में 40,000 से 60,000 तक का मुनाफा आसानी से कमा लेते हैं.
किसानों के लिए मुनाफे का सौदा है पान मेथी की खेती
पान मेथी की सबसे बड़ी खूबी इसकी तेज सुगंध और लंबे समय तक टिकने वाली गुणवत्ता है. यही वजह है कि इसकी मांग अब पूरे देश में ही नहीं, बल्कि विदेशों तक में फैल रही है बड़ी मसाला कंपनी इसे बड़े पैमाने पर खरीदती है. इसकी बढ़ती मांग को देखकर किसान इसकी तरफ आकर्षित हो रहे हैं. आज पान मेथी नागौर की पहचान बन चुकी है. इसके बढ़ते उपयोग ने इसके भाव को बढ़ा दिया है जो किसानों के लिए मुनाफे का सौदा साबित हो रहा है.



