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Bharatpur News: आधुनिकता की आंधी में गुम होती परंपरागत बिलइया, जो कभी आती थी कुओं से सामान निकालने के काम

Last Updated:March 16, 2025, 13:48 IST

Bharatpur News: बिलइया लोहे से बनी एक विशेष प्रकार की हुकदार छड़ होती थी. जिसका उपयोग कुएं में गिरी हुई चीजों को निकालने के लिए किया जाता था. पुराने समय में जब हर गांव में कुएं ही जलस्रोत हुआ करते थे. बाल्टी र…और पढ़ेंX
बिलइया
बिलइया

समय के साथ जीवनशैली में बदलाव आना स्वाभाविक है. लेकिन, इन परिवर्तनों के साथ ही कई परंपरागत औजार भी इतिहास के पन्नों में दर्ज होते जा रहे हैं. कभी किसानों का सबसे भरोसेमंद औजार मानी जाने वाली बिलइया आज बस किसी पुराने कोने में धूल खा रही है. भरतपुर और इसके आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों में यह केवल एक औजार नहीं थी बल्कि किसानों की रोजमर्रा की जिंदगी का अभिन्न हिस्सा हुआ करती थी.

बिलइया लोहे से बनी एक विशेष प्रकार की हुकदार छड़ होती थी. जिसका उपयोग कुएं में गिरी हुई चीजों को निकालने के लिए किया जाता था. पुराने समय में जब हर गांव में कुएं ही जलस्रोत हुआ करते थे. बाल्टी रस्सी या अन्य सामान कुएं में गिर जाना आम बात थी. ऐसे में बिलइया किसानों और ग्रामीणों के लिए एक उपयोगी औजार थी. जो आसानी से उनकी मदद कर देती थी. इसकी सहायता से किसान न केवल अपने खेतों में सिंचाई के लिए आवश्यक उपकरण निकालते थे. बल्कि कई बार तो यह जीवन बचाने में भी सहायक सिद्ध होती थी.

पारंपरिक औजारों की उपयोगिता घटने लगीतकनीक उन्नत होती गई. वैसे-वैसे पारंपरिक औजारों की उपयोगिता घटने लगी है. पहले जिन कुओं से पानी खींचने के लिए चरखी और बाल्टी का उपयोग किया जाता था. वहां अब पंप और मोटर ने जगह ले ली है.इससे न केवल पानी निकालना आसान हो गया. बल्कि कुएं से संबंधित अन्य कार्य भी कम हो गए. धीरे-धीरे बिलइया का उपयोग घटता गया. अब यह सिर्फ पुराने घरों में किसी कोने में पड़ी नजर आती है. फिर कहानियों तक सीमित रह गई है.

बिलइया का लुप्त होना एक औजार की समाप्तिबिलइया का लुप्त हो जाना केवल एक औजार की समाप्ति नहीं है.बल्कि यह हमारी संस्कृति और परंपरा से दूरी का भी संकेत है. यह औजार किसानों की संघर्षभरी जिंदगी का प्रतीक थी जो उनके कठिन परिश्रम और जीवन की जटिल परिस्थितियों को दर्शाती थी. आज की पीढ़ी ने शायद ही इसका कभी उपयोग किया हो या नाम सुना हो हमे इन परंपरागत औजारों को संग्रहालयों या कृषि प्रदर्शनियों में संरक्षित करें ताकि नई पीढ़ी भी इनसे परिचित हो सके इसके अलावा गांवों में ऐसे पारंपरिक उपकरणों को संजोकर रखने के लिए विशेष प्रयास किए जाने चाहिए.

Location :

Bharatpur,Rajasthan

First Published :

March 16, 2025, 13:48 IST

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