Rajasthan

Bheruji Maharaj temple Sikar unique beliefs associated Shiva is worshipped as the fifth Rudra avatar

सीकर. ज़िले के रींगस कस्बे में लोक देवता भेरुजी महाराज का सैकड़ों साल पुराना मंदिर मौजूद है. इस मंदिर को लेकर लोगों की अनेकों मान्यताएं हैं. देश के कई राज्यों से लाखों की संख्या में श्रद्धालु भेरुजी महाराज के दर्शन करने के लिए आते हैं. भेरुजी महाराज के चमत्कार ऐसे हैं कि दर्शन मात्र से ही भक्तों के सारे कष्ट दूर हो जाते हैं. भैरव बाबा की पवित्र जोहड़ी में श्रद्धालु स्नान करते हुए अपने पुराने से पुराने रोगों से मुक्ति पाते हैं. यहां दरबार में नव विवाहित जोड़े गंजौड़े की जात देते हैं. इसके अलावा यहां अपने बच्चों के जात जडूलै भी उतारते हैं.

कौन थे भेरुजी महाराज

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार ब्रह्मा जी के 5वें मुख के द्वारा शिवजी की आलोचना की गई थी, जिसके बाद शिव जी ने पांचवे रूद्रवतार में भैरव बाबा के रूप में अपने नाखून से ब्रह्मा जी का पांचवा मुख धड़ से अलग कर दिया था. तभी से भैरू बाबा पर ब्रह्म हत्या का अभिशाप लग गया था. इससे मुक्ति प्राप्त करने के लिए भैरू बाबा ने तीनों लोकों की यात्रा की. ऐसा माना जाता है कि भैरू बाबा के तीनों लोकों की यात्रा पृथ्वी लोक पर रींगस से शुरू हुई थी.

ऐसे यहां भैरव बाबा की शुरू हुई पूजा-अर्चना

पुजारी के पूर्वज मंडोर से चलते हुए रींगस पहुंचे. जहां तालाब किनारे रात में विश्राम के लिए रुके और फिर वहां पर झोली से पत्थर की मूर्ति निकालकर पूजा की और खाना खाकर सो गए. सुबह जाते वक्त जब मूर्ति को वापस उठाने लगे तो, मूर्ति वहां से नहीं हिली और अचानक आकाशवाणी हुई. आवाज आई कि जहां से मैंने ब्रह्म हत्या का प्रायश्चित करने के लिए पृथ्वी लोग की पदयात्रा शुरू की थी, आज उसी स्थान पर आ गया हूं और मैं यही निवास करना चाहता हूं. इसके बाद पुजारी के पूर्वज गुर्जर प्रतिहार वहीं रुक गए और भैरव बाबा की पूजा-अर्चना करने लग गए.

बच्चों के उतरते हैं यहां जात-जडुले

भेरुजी मंदिर के पास ही श्मशान भूमि है. पुजारियों द्वारा बताया जाता है कि यह श्मशान वासी भैरव का स्थान है. यहां पर कोई भी औरत बैठकर किसी भी समय खाना खाए या कोई उसको कोई भी परेशानी नहीं होती. यहां औरतें अपने बच्चों के साथ जडुले उतारने के लिए आती रहती है और उनकी मन्नते पूरी होती है.

Tags: Dharma Aastha, Local18, Rajasthan news, Sikar news

FIRST PUBLISHED : November 27, 2024, 17:38 IST

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