Rajasthan

Bhilwara dedicated her two sons to service of Mother India

Last Updated:May 19, 2025, 18:32 IST

एक मां ने अपने 3 में से 2 कलेजे के टुकड़ों को भारत की देश सेवा में समर्पित कर दिया. अगर बेटे को एक खरोच भी आ जाए, तो एक मां का दिल भर आता है. लेकिन भीलवाड़ा की एक ऐसी मां हैं, जिसने अपने दिल को मजबूत कर अपने बे…और पढ़ेंX
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हाइलाइट्स

भीलवाड़ा की माँ ने दो बेटों को सेना में भेजा.परीक्षित लेफ्टिनेंट कर्नल, नवलेश जूनियर कमीशंड ऑफिसर हैं.माँ को बेटों पर गर्व, देश सेवा में समर्पित.

भीलवाड़ा:- वैसे तो हर मां चाहती है कि उसका बेटा पढ़-लिखकर एक अच्छी नौकरी हासिल करे और उसकी सेवा करे. लेकिन आज हम आपको भीलवाड़ा की एक ऐसी मां के बारे में बताने जा रहे हैं, जो चाहती है कि उसके बेटे भारत मां की सेवा करें. इसी को लेकर इस मां ने अपने 3 में से 2 कलेजे के टुकड़ों को भारत की देश सेवा में समर्पित कर दिया. अगर बेटे को एक खरोच भी आ जाए, तो एक मां का दिल भर आता है. लेकिन भीलवाड़ा की एक ऐसी मां हैं, जिसने अपने दिल को मजबूत कर अपने बेटों को भारत माता की सेवा के लिए इंडियन आर्मी में भेज दिया है.

बेटे कर रहे भारत मां की सेवाभीलवाड़ा शहर के आर के कॉलोनी की रहने वाली एक मां ने अपने दो बेटों को भारतीय सेना में भेजकर एक अनोखा उदाहरण पेश किया है. इस मां का कहना है कि वह अपने बेटों की फिक्र करती है. लेकिन वह भारत माता की सेवा के लिए उन्हें समर्पित करने में गर्व महसूस करती है. मां का कहना है कि उन्होंने अपने बेटों को देश सेवा के लिए प्रेरित किया और उन्हें भारतीय सेना में शामिल होने के लिए प्रोत्साहित किया. अब उनके दोनों बेटे देश की रक्षा के लिए अपनी सेवाएं दे रहे हैं.

इस पद पर हैं दोनों बेटेभीलवाड़ा शहर के आर. के. कॉलोनी निवासी एडवोकेट जगदीश चंद्र शर्मा व सुमित्रा देवी के छोटे बेटे परीक्षित भारतीय सेना में लेफ्टिनेंट कर्नल हैं. साथ ही वह पैरा कमांडों के साथ घातक ब्लैक कमांडों की ट्रेनिंग भी ले चुके हैं और कई महत्वपूर्ण ऑपरेशंस का हिस्सा बन चुके हैं. वहीं उनके बड़े बेटे नवलेश आचार्य भारतीय सेना में जूनियर कमीशंड ऑफिसर की पोस्ट पर रहते हुए अपनी सेवाएं दे रहे हैं. उनके माता-पिता, भाई एडवोकेट राघव आचार्य सहित पत्नी और बच्चे भीलवाड़ा में ही रहते हैं.

बेटों पर है मां को गर्वमां सुमित्रा देवी का कहना है कि मैंने अपने दोनों बेटों को जन्म देकर मां भारती को सौंप दिया है. मुझे अपने दोनों बच्चों पर गर्व है कि वे देश सेवा का कार्य कर रहे हैं, और देश के दुश्मनों को धूल चटा रहे हैं. मां हूं तो कभी-कभी चिंता भी हो जाती है, पर मन को कंट्रोल कर लेती हूं कि बेटे देश के लिए कुछ कर रहे हैं. ईश्वर से मेरी यही प्रार्थना है कि दोनों बेटों को लंबी आयु प्रदान करे और वे इसी प्रकार देश सेवा करते रहें.

वहीं दूसरी तरफ पिता जगदीश चन्द्र शर्मा ने लोकल 18 को बताया कि मैं स्वयं शुरू से भारत के वीरों और स्वतंत्रता सेनानियों की कहानियां पढ़ता था और तय कर लिया था कि अपनी संतान को भी देश सेवा के लिए भेजना है. मैंने अपने दोनों बेटों को अभिमन्यु की तरह लड़ना सिखाया है. आज दोनों बेटों को सेना में देखकर गर्व महसूस होता है. ईश्वर भारतीय सेना के हर एक जवान से लेकर अफसरों तक सभी की रक्षा करे, भारत मां की विजय हो और पूरी दुनिया में भारत गौरवान्वित हो.

परीक्षित ने जापान की कंपनी का पैकेज छोड़ चुनी सेनालेफ्टिनेंट कर्नल परीक्षित आचार्य इंडियन आर्मी में 2011 बैच से पास आउट पैरा कमांडों हैं. उन्होंने इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्युनिकेशन में  इंजीनियरिंग की डिग्री भी ली, लेकिन जापान की कंपनी में बड़ा पैकेज ठुकराकर उन्होंने आर्मी को चुना और बतौर लेफ्टिनेंट ज्वाइन किया. 2013 में वह कैप्टन और 2014 में मेजर बने. उन्होंने एयर डिफेंस में पैरा कमांडों के लिए क्वालीफाई किया और घातक ब्लेक कमांडों की भी ट्रेनिंग ली. उनके परिवार में उनकी पत्नी दीक्षा और बेटी अंजिनी है.

नवलेश में शुरू से रही देशभक्ति की भावनाभारतीय सेना में जूनियर कमीशंड ऑफिसर नवलेश आचार्य 2012 बेच से पास आउट है. उन्होंने इससे पूर्व एमए और एलएलबी की डिग्री भी प्राप्त की. उनमें प्रारंभ से देश भक्ति और देश प्रेम की भावना कूट-कूट के भरी थी. इसी कारण वह एनसीसी से भी लंबे समय तक जुड़े रहे और अवसर मिलते ही भारतीय सेना ज्वाइन कर ली.

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मां ने देश की सेवा में समर्पित किए अपने दो बेटे, भारतीय सेना में दे रहे सेवा

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