Rajasthan

Iloji Maharaj’s unique wedding procession, which returned empty handed without the bride. – News18 हिंदी

सोनाली भाटी/ जालौर. राजस्थान में कई ऐसी परंपराएं हैं जो सालों से चली आ रही हैं. आज लोकल 18 लेकर आया है जालौर के इतिहास से जुड़ी एक ऐसी ही अजबोगरिब परंपरा, जो सालों से परंपरागत रूप से चल रही है. जी हां राजस्थान के जालोर में लोक देवता इलोजी की मान्यता और परंपरा है. हर साल होली से पहले लोक देवता इलोजी की अनोखी बारात पारंपरिक रूप से निकाली जाती है, जिसमें शहर के सभी लोग बारात में शामिल होते हैं. इलोजी की प्रतिमा अनोखे तरीके से तैयार की जाती है. इलोजी बड़े ही उत्साह से अपनी दुल्हन को बारात लेकर चलते हैं. नाचते-गाते सभी बाराती भक्त प्रह्लाद चौक पर हैं और सूचना मिलती है कि उनकी दुल्हन की मौत हो गई है. ऐसे में शादी नहीं हो सकेगी. कहा जाता है कि इसके बाद इलोजी ने ताउम्र शादी ही नहीं की.

इस बारात में आनंद भैरू मित्र मंडल और व्यापार मंडल सहित प्रशासन के लोग भी शामिल होते हैं. होली के दिन यह शाही बारात धूम-धाम से निकलती है. जहां इलोजी (आनंद भैरू) के रूप में एक युवा को बनाया जाता है. विशेष रूप से सजाकर, घोड़ी पर अस्त्र-शास्त्र, साफा का सामान तैयार किया जाता है. ‌इस शाही बारात में शहरवासी भी सज-धज कर साफा बारात में शामिल होते हैं. ढोल और डी.जे. पर नाचते हुए यह बारात शहर के मुख्य बाजार से होती हुई भक्त पहलाद चौक पर पहुंचती है.

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होलिकी की राख शरीर पर चढ़ाकर की थी ये कल्पना
इलोजी होलिका से बेहद प्रेम करते थे. उनकी शादी हिरण्यकश्यप की बहन होलिका से होने वाली थी, लेकिन बारात से पहले ही होलिका प्रह्लाद को जलाने के प्रयास में खुद ही जल गई. अपनी होने वाली पत्नी की मौत के शोक मे इलोजी पूरी जिंदगी कुंवारें ही रहे हैं. यहां इलोजी बारात लेकर होलिका से विवाह करने की घटनाएं होती हैं, मगर रास्ते में ही उन्हें होलिका के निधन की खबरें आती हैं. अपने प्यार के गम में डुबे इलोजी जले हुए शरीर को देखकर कल्पनाएं करते हैं और होलिका की राख को उनके शरीर पर चढ़ाकर वह ताम्र विवाह नहीं करते हैं. इसलिए उनकी याद में एक दिन पहले इलोजी देवता की बारात निकाली जाती है.

इसलिए लगाते हैं गुलाल
बता दें कि शादी के एक दिन पहले ही होलिका की मौत हो जाती है. इस बात से इलोजी काफी दुखी हो जाते हैं. बारात दुल्हन की चौखट पर पहुंच नहीं पाती है और दुखद समाचार आ जाता है. गम में डूबे इलोजी होलिका के पास पहुंचते हैं और शव को देखकर जमकर विलाप करते हैं. माना जाता है कि इलोजी ने होलिका की राख को अपने शरीर पर मलकर अपना प्यार जताया था. साथ ही ताउम्र शादी नहीं की और होलिका की याद में जीवन बिताया. होली जलने के दूसरे दिन धूल भरी होली के रूप में लोग एक-दूसरे को गुलाल लगाते हैं. आनंद भैरू के बारती बताते हैं कि हिंदुओं के जो 56 भैरू है उनमें से एक हैं. आनंद भैरव हिंदू धर्म के अनुसार इन्हें स्वास्थ्य के देवता भी माना जाता है. जालौर में इस लोक देवता की बारात 25 से 30 सालों से निकल रही है. मान्यता है कि यदि कोई व्यक्ति साल में एक दिन इनको नारियल गोटा पूजा अर्पण करें तो उसको स्वास्थ्य संबंधी कोई तकलीफ नहीं रहती है.

Tags: Holi, Holi celebration, Holi festival, Local18, Rajasthan news, Religion

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