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Bihar Politics news:: बिहार में अमित शाह…पर चिराग पासवान के स्टैंड ने चौंकाया, धर्म और राजनीति पर बयान के मायने समझिये

”कौन कहां नमाज पढ़ेगा…नवरात्रि में दुकानें बंद रहेंगी…फालतू की बात है. इस पर कोई चर्चा की जरूरत नहीं, गुंजाइश भी नहीं है. लोग अपनी राजनीतिक रोटियां सेकने की सोच की वजह से समाज में बंटवारा पैदा करने की कोशिश करते हैं. किसी भी धर्म पर राजनीतिक दलों को टिप्पणी नहीं करनी चाहिए. राजनेता धर्म के विषय में हस्तक्षेप करना बंद करें तो 90 प्रतिशत समस्या हल हो जाएगी.” केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने साफगोई से अपनी बात रखी है या फिर वह दुविधा की राजनीति कर रहे हैं? सवाल यह भी कि क्या राजनीति की दुविधा में वह फंसे हुए हैं?

बता दें कि हाल में ही एक निजी चैनल से बातचीत में चिराग पासवान ने एक सवाल के जवाब में कहा कि, लोग सालों से सड़कों पर नमाज़ पढ़ते आ रहे हैं. अगर आज हम इस बारे में बात नहीं कर रहे होते, तो आपका सवाल ये होता कि खाद्य प्रसंस्करण मंत्री के तौर पर उन्होंने क्या काम किया. अब ये बातें सेकेंडरी हो गई हैं. जब उनसे कहा गया कि उनकी सहयोगी पार्टी बीजेपी के लोग इस बारे में बात कर रहे हैं, तो इस पर चिराग ने कहा कि वह इससे सहमत नहीं हैं.चिराग ने कहा कि वह 21वीं सदी के शिक्षित युवा हैं.इसीलिए धार्मिक मामलों में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए.

चिराग पासवान के इस बयान का मतलब समझियेचिराग पासवान ने कहा कि ये व्यक्तिगत आस्था का मामला है. उन्होंने इफ्तार पार्टी दी और वहां पर वह तिलक लगाकर पहुंचे थे. ये उनकी अपनी आस्था है. चिराग ने कहा कि वह दूसरों के धर्म का सम्मान करने के लिए अपने धार्मिक मूल्यों को नहीं भूलेंगे. लेकिन ये मुद्दे बंद दरवाजों के पीछे के हैं. यह व्यक्तिगत आस्था का मामला है. कुछ लोग किसी धर्म का पालन करते हैं, लेकिन दूसरे नहीं करते. कई हिंदू तिलक नहीं लगाते. क्या वे हिंदू नहीं हैं? यह व्यक्तिगत आस्था है.

राजनीति का पेंच ऐसा कि सब उलझे हुए!दरअसल, हाल के दिनों में सियासत का पेंच ऐसा ही फंसा हुआ है जो चिराग पासवान अपनी ही बातों में कई बार फंसे हुए नजर आते हैं और कई बार उनकी कुलबुलाहट भी बता जाती है. एक तरफ वह धर्म की राजनीति को लेकर वह जो बात कह रहे हैं वह सीधे तौर पर उनके अपने ही कुछ सहयोगियों (बीजेपी) की ओर इशारा करता है. वहीं, दूसरी ओर उन्होंने वक्फ संशोधन बिल पर जो बातें कही हैं, वह एक तरह से मुसलमान को आईना दिखाने वाला जवाब माना जा रहा है. आइये पहले समझ लेते हैं कि चिराग पासवान ने वक्फ पर क्या कहा है.

चिराग पासवान के बयानों को कैसे पढ़ रहे जानकार?केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने पटना में मीडिया से बात करते हुए कहा, वक्फ संशोधन बिल मामले मे चल रहे विवाद पर चिराग पासवान ने कहा कि, हमलोगों की मांग थी और जेपीसी का गठन हुआ. इसमें कई दलों के लोग हैं और सबने अपनी बात रखी है. जब सदन पर ये रखा जायेगा तब कुछ बातें निकल कर आएंगीं तो फिर इसपर जवाब दिया जायेगा.जाहिर तौर पर चिराग पासवान का डबल स्टैंड आम लोगों को जरूर चौंका रहा है, लेकिन राजनीति के जानकार इस नीति को बखूबी पढ़ रहे हैं.

चिराग पासवान की राजनीति पर पिता रामविलास पासवान की छाप!दरअसल, चिराग पासवान की राजनीति उनके कुछ-कुछ उनके दिवंगत पिता रामविलास पासवान की राजनीति से मिलती-जुलती है. हालांकि, कई मामलों में वह रामविलास पासवान से की तरह पूरी तरह स्पष्ट नहीं दिखते हैं, लेकिन उनकी राजनीति के जड़ में पिता की पॉलिटिक्स का प्रभाव भी साफ तौर पर दिख जाता है. रामविलास पासवान की छवि दलित नेता के तौर पर तो रही ही, साथ ही उनकी छवि सेक्यूलर भी रही है.ऐसे में एनडीए में बीजेपी के साथ रहते हुए भी चिराग पासवान के हाव-भाव भी कई बार आपको बदलते दिख जाएंगे.

सरकार में साथ पर विपक्ष के मुद्दे आते हैं रास!अनेकों बार वह केंद्र में सरकार में रहते हुए भी विपक्ष के मुद्दों के सुर में सुर मिलाते हुए देखे जाते हैं. मुद्दा आरक्षण का हो या फिर जातीय जनगणना का. अब हाल में नमाज पढ़ने और वक्फ संशोधन बिल जैसा मामला हो, चिराग पासवान कई बार अपना स्टैंड जाहिर करते रहे हैं. हालांकि, वह कई बार यह भी कहते रहते हैं कि पीएम मोदी की नेतृत्व वाली एनडीए सरकार के साथ वह पूरी मजबूती के साथ खड़े हैं. दरअसल, विशेषज्ञ चिराग पासवान के इस तरह के डबल स्टैंड को लोग राजनीति की ‘विशेषता’ से जोड़कर देखते हैं.

राजनीति में कभी भी, कहीं भी अनफिट न हों !बिहार विधानसभा चुनाव आने वाले हैं और सीटों का बंटवारा अभी लंबित है. जाहिर तौर पर जब सीटों पर बात होगी तो हिस्सेदारी की बात भी होगी.विभिन्न दलों के बीच में खींचतान भी होगी और निश्चित तौर पर सबके मन मुताबिक सब कुछ नहीं होगा.ऐसे में वरिष्ठ पत्रकार अशोक कुमार शर्मा कहते हैं कि कम से कम इस तरह के स्टैंड से वह अपने लिए एक स्कोप बनाए रखना चाहते हैं, ताकि आने वाले समय में अगर कुछ भी सियासी बदलाव हुआ तो चिराग पासवान उसमें अनफिट साबित न हों.

दुविधा नहीं, सुविधा की राजनीति की राहवर्तमान में जिस तरह की राजनीति असदुद्दीन ओवैसी ने शुरू की है और जैसे सीधे तौर पर चिराग पासवान के साथ मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का नाम लेकर वह लगातार चुनौती दे रहे हैं कि इनको मुसलमान कभी माफ नहीं करेंगे, ऐसे में कई बार आप नीतीश कुमार और चिराग पासवान, दोनों की राजनीति में देखकर कन्फ्यूज हो जाएंगे. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी मुसलमानों के लिए किए हुए अपने कामों के बारे में जिक्र करते हैं और चिराग पासवान भी मुसलमान के मुद्दों पर कई बार बीजेपी के रुख से अलग नजर आते हैं. लेकिन, जानकार साफ तौर पर कहते हैं सियासत है… और यहां दुविधा की राजनीति नहीं की जाती, बल्कि सुविधा की राजनीति होती है.

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