बीकानेर: पहली गौशाला जहां एक साथ रहती हैं 190 नेत्रहीन गायें, बिश्नोई महासभा करता है सेवा
निखिल स्वामी/बीकानेर: बीकानेर के नोखा तहसील स्थित मुकाम गांव में एक विशेष गोशाला है, जो अपनी अनोखी विशेषता के लिए जानी जाती है. यहां जगद्गुरु जम्भेश्वर गोशाला संस्था द्वारा 190 नेत्रहीन गायों की देखभाल की जा रही है. यह बीकानेर की पहली ऐसी गोशाला है, जहां एक साथ इतनी बड़ी संख्या में नेत्रहीन गायों का रेस्क्यू कर उन्हें सेवा और सहारा दिया जाता है. यह सेवा बिश्नोई समाज के सदस्यों द्वारा कई सालों से निरंतर की जा रही है.
बिश्नोई समाज की विशेष भूमिका गोशाला में बिश्नोई समाज की ओर से न केवल इन गायों का रेस्क्यू किया जाता है, बल्कि उनकी रोजाना देखभाल भी की जाती है. बिश्नोई समाज जीवों की पूजा और रक्षा के लिए प्रसिद्ध है और यह गोशाला उसी सेवा भावना का एक उदाहरण है. गोशाला से जुड़े उदय सिंह बताते हैं कि वे पिछले पांच वर्षों से इस गोशाला में गायों की सेवा कर रहे हैं. वे रोजाना सुबह और शाम नेत्रहीन गायों की देखभाल करते हैं.
नेत्रहीन गायों की देखभाल इस गोशाला में बीकानेर, नागौर और आसपास के इलाकों से नेत्रहीन गायों का रेस्क्यू कर उन्हें यहां लाया जाता है. इन गायों को ताजा चारा, तूड़ी, खल, गुड़, और चूरी का सेवन कराया जाता है. इसके अलावा, गोशाला में नेत्रहीन गायों के आराम के लिए पंखे और कुलर की भी व्यवस्था की गई है, ताकि उन्हें किसी प्रकार की असुविधा न हो.
गोशाला का संचालन और सेवा यह गोशाला अखिल भारतीय बिश्नोई महासभा के अंतर्गत संचालित होती है, जहां न केवल नेत्रहीन गायों की, बल्कि सैकड़ों अन्य गोवंशों की भी देखभाल की जाती है. गोशाला में हर समय कोई न कोई सेवक मौजूद रहता है जो गायों की देखभाल सुनिश्चित करता है. यहां आने वाले लोग इन गायों की सेवा करते हैं और उन्हें चारा और गुड़ खिलाते हैं. इस अनोखी गोशाला का उद्देश्य न केवल नेत्रहीन गायों को सहारा देना है, बल्कि जीवों की रक्षा और सेवा के प्रति समाज में जागरूकता फैलाना भी है.
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FIRST PUBLISHED : October 24, 2024, 20:30 IST