Black Gold Farmers have religious faith in farming install idol of Mata

Last Updated:March 06, 2025, 11:03 IST
अफीम के पौधों में चीरा लगाने से पहले खेत की मेड़ पर माताजी की स्थापना करते हैं, जिसे स्थानीय भाषा में नाणा पूजन कहा जाता है. इसके बाद पके हुए डोडो पर चीरा लगाया जाता है. अफीम के खेत की मेड़ पर नाणा की पूजा अर्च…और पढ़ेंX
माता की स्थापना करते किसान
हाइलाइट्स
भीलवाड़ा में अफीम की खेती धार्मिक आस्था से जुड़ी है.अफीम के पौधों पर चीरा लगाने से पहले नाणा पूजन होता है.2024-25 के लिए किसानों को अफीम उत्पादन का पट्टा मिला है.
भीलवाड़ा:– भीलवाड़ा में काला सोना यानि अफीम की खेती की जा रही है. अफीम की खेती सबसे नाजुक और लाभदायक खेती मानी जाती है. काले सोने की इस खेती से किसान की धार्मिक आस्था भी जुड़ी हुई है. फसल की देखरेख करने के साथ ही धार्मिक रूप से ही किसान इस खेती को बड़ा महत्वपूर्ण मानते हैं. भीलवाड़ा के सवाईपुर कस्बे सहित सोपुरा, सालरिया, ड़साणिया का खेड़ा, बड़ला, बनकाखेड़ा, खजीना, होलिरड़ा कई गांवों में इन दिनों अफीम के खेतों में पौधों पर डोड़े बनने की प्रक्रिया चल रही है.
अफीम के पौधों में चीरा लगाने से पहले खेत की मेड़ पर माताजी की स्थापना करते हैं, जिसे स्थानीय भाषा में नाणा पूजन कहा जाता है. इसके बाद पके हुए डोडो पर चीरा लगाया जाता है. अफीम के खेत की मेड़ पर नाणा की पूजा अर्चना करके मुहुर्त के लिए पांच व सात डोडा की पूजा की जाती है. वहीं अफीम काश्तकार खेत की मेड पर 7 या 9 माताजी की स्थापना करते हैं. इस खेती में कहीं ना कहीं किसानों की धार्मिक आस्था भी जुड़ी रहती है और यह परंपरा प्राचीन समय से ही चलती आ रही है.
भारत सरकार की तरफ से मिला पट्टा किसान बद्रीलाल तेली ने कहा कि फसल साल 2024-25 के लिए भारत सरकार की ओर से हमें अफीम उत्पादन के लिए पट्टा मिला है. अफीम खेती बहुत नाजुक खेती है और जब यह पक जाती है, तो चोर-उच्चकों के साथ जंगली जानवरों का खतरा बढ़ जाता है और इससे बचाव के लिए हम दिन-रात यहीं पर रहते हैं. शुभ मुहूर्त में गणेश जी और माताजी की पूजा-अर्चना के साथ अमृत सिद्धि योग में डोडा पर चीरा लगाने का कार्य प्रारंभ किया है.
खेती के साथ धार्मिक आस्थाकिसान बद्रीलाल तेली ने कहा कि खेतों में अफीम के पौधों पर डोडा पकने की प्रक्रिया चल रहे हैं. इसके लिए खेतों में (नाणा) माता जी की पूजा अर्चना की है. अफीम के खेतों में माताजी की स्थापना की जाती है. इसके बाद पके हुए डोडा पर चीरा लगाया जाता है. अफीम के खेत की मेड़ पर नाणा की पूजा अर्चना करके मुहुर्त के लिए पांच व सात डोडा की पूजा की जाती है. अब कुछ दिनों बाद से चीरा लगाने की प्रक्रिया नियमत रूप से चलेगी. वहीं अफीम काश्तकार खेत की मेड पर 7 या 9 माताजी की स्थापना करते हैं.
भीलवाड़ा के इन गांवों में काले सोने की खेती भीलवाड़ा जिले के बिजौलिया के 7 गांवों में कुल 41 किसानों को नारकोटिक्स विभाग से 10 आरी के लाइसेंस प्राप्त हुए हैं. ये गांव है चांदजी की खेड़ी, गोपाल निवास, ब्रजपुरा, देवी निवास, आरोली केसरपुरा, सलावटीया और गोरधननिवास हैं. इन किसानों ने लगभग 20 बीघा जमीन पर अफीम की खेती की है. इसके अलावा भीलवाड़ा जिले के सवाईपुर कस्बे सहित सोपुरा, सालरिया, ड़साणिया का खेड़ा, बड़ला, बनकाखेड़ा, खजीना, होलिरड़ा कई गांवों में अफीम की खेती की जा रही है.
Location :
Bhilwara,Rajasthan
First Published :
March 06, 2025, 11:03 IST
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काले सोने की खेती में किसानों की आस्था, चीरा लगाने से पहले करते हैं ये काम