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Black Label Whisky: दिल्ली में ₹3310, मुंबई में ₹4200 और बेंगलुरू में ₹5200, कहां है वन नेशन वन टैक्स?

Last Updated:May 05, 2025, 10:17 IST

Black Label Whisky: देश में वन नेशन वन टैक्स की लंबे समय से बात कही जा रही है. इसी कारण जीएसटी लाया गया. लेकिन कई ऐसे उत्पाद हैं जिसपर अब भी अलग-अलग राज्यों में टैक्स दरों में भारी अंतर है. इसमें सबसे अहम है शर…और पढ़ेंWhisky की बोतल दिल्ली में ₹3310 और बेंगलुरू में ₹5200, कहां है वन नेशन वन Tax?

देश के अलग-अलग राज्यों में शराब की कीमतों में भारी अंतर है.

गोवा में शराब की एक बोतल की कीमत 100 रुपये है. वही शराब पड़ोसी राज्य कर्नाटक में 305 रुपये, तेलंगाना में 229 रुपये और राजस्थान में 205 रुपये में मिलती है. कीमतों में यह अंतर राज्यों द्वारा लगाए जाने वाले अलग-अलग एक्साइज ड्यूटी और अन्य करों के कारण है. गोवा में शराब पर सबसे कम कर लगता है, जबकि कर्नाटक में टैक्स सबसे ज्यादा है. इंटरनेशनल स्पिरिट्स एंड वाइन एसोसिएशन ऑफ इंडिया (ISWAI) के आंकड़ों के अनुसार गोवा में शराब पर 55 फीसदी उत्पाद शुल्क लगता है, जबकि कर्नाटक में यह शुल्क 80 फीसदी तक है. कुछ साल पहले की तुलना में गोवा में कर की दरें थोड़ी बढ़ी हैं, लेकिन यह अब भी सबसे कम है.

कीमतों में अंतरशराब की कीमतों में यह अंतर लोकप्रिय ब्रांड्स में भी साफ दिखता है. उदाहरण के लिए एक बोतल ब्लैक लेबल व्हिस्की (Black Label Whisky) की कीमत दिल्ली में 3,310 रुपये, मुंबई में 4,200 रुपये और कर्नाटक में करीब 5,200 रुपये है. यह अंतर न केवल उपभोक्ताओं को परेशान करता है बल्कि ‘वन नेशन, वन टैक्स’ के सिद्धांत को भी कमजोर करता है. उद्योग लगातार सरकार से पूरे देश में एक समान टैक्स लगाने की मांग कर रहे हैं, लेकिन राज्यों के वित्त मंत्री इस दिशा में कोई कदम नहीं उठा रहे.

टाइम्स ऑफ इंडिया में शराब की कीमतों को लेकर एक विस्तृत छपी है. अलग-अलग करों के कारण कई राज्यों में शराब की तस्करी बढ़ रही है. जैसे दिल्ली के लोग सस्ती शराब खरीदने के लिए हरियाणा चले जाते हैं. इसी तरह तमिलनाडु में कई लोग पुदुचेरी से शराब खरीदते हैं क्योंकि वहां कर कम होने की वजह से कीमत भी कम है. इस कारण ज्यादा कर लगाने वाले राज्यों को राजस्व का नुकसान हो रहा है.

राज्यों की मजबूरीGST लागू होने के बाद शराब पर उत्पाद शुल्क और पेट्रोल-डीजल पर वैट ही राज्यों के लिए आय के प्रमुख स्रोत बचे हैं. ऐसे में खासकर मुफ्त योजनाओं के दौर में राज्य अपने कर लगाने के अधिकार को छोड़ने के लिए तैयार नहीं हैं. वित्त मंत्रियों का मानना है कि इन करों से राजस्व की कमी को पूरा किया जाता है.

उद्योग की मांगISWAI के सीईओ संजीत पधी का कहना है कि हमें समझ है कि राज्यों को अपनी आय बढ़ाने की जरूरत है, लेकिन इसके लिए एक स्थायी मॉडल बनाना होगा. करों को तर्कसंगत करने से उपभोक्ता बेहतर और प्रीमियम उत्पाद खरीद सकते हैं. इससे कम पियो, अच्छा पियो की सोच को बढ़ावा मिलेगा. महाराष्ट्र और कर्नाटक जैसे राज्यों में कर सुधारों से राजस्व में बढ़ोतरी हुई है, जो लंबे समय तक टिकाऊ है. इसी तरह कॉन्फेडरेशन ऑफ इंडियन अल्कोहलिक बेवरेज इंडस्ट्री (CIABC) ने भी अलग-अलग कर दरों को उद्योग के लिए बड़ी चुनौती बताया. CIABC के दीपक रॉय ने कहा कि भारतीय शराब उद्योग के लिए कोई एक समान रणनीति नहीं है. उद्योग को एक समान कर प्रणाली की जरूरत है, जो इसके विकास को गति दे.

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Whisky की बोतल दिल्ली में ₹3310 और बेंगलुरू में ₹5200, कहां है वन नेशन वन Tax?

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