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प्रेग्नेंसी में ब्लीडिंग: कारण, लक्षण और बचाव – डॉ. सुप्रिया पुराणिक

Last Updated:February 09, 2025, 16:11 IST

Explainer- हर महिला मां बनने पर बहुत खुश होती है लेकिन यह सफर आसान नहीं. प्रेग्नेंसी में चिंता तब ज्यादा बढ़ जाती है जब अचानक ब्लीडिंग शुरू हो जाए. कई महिलाओं को प्रेग्नेंसी की पहली तिमाही में ही ब्लीडिंग का अन…और पढ़ेंक्या प्रेग्नेंसी में ब्लीडिंग होना नॉर्मल है? यह मिसकैरेज की तरफ इशारा तो नहीं

अगर महिला को इंफेक्शन हो तो ब्लीडिंग के साथ मिसकैरेज हो सकता है (Image-Canva)

मां बनना बेहद खूबसूरत एहसास होता है लेकिन प्रेग्नेंसी के 9 महीने आसान नहीं होते. कभी महिला कमर दर्द से जूझती है, कभी मूड स्विंग तो कभी सूजन से. कुछ महिलाओं के लगातार पेट में ऐंठन और दर्द भी रहता है. दरअसल इस समय शरीर में लगातार बदलाव हो रहे होते हैं. कुछ प्रेग्नेंट महिलाएं प्रेग्नेंसी के पहले 3 महीनों में ब्लीडिंग की समस्या झेलती हैं. इससे उनके मन में निगेटिव ख्याल आने लगते हैं जिससे वह स्ट्रेस से जूझती हैं. क्या प्रेग्नेंसी की पहली तिमाही में ब्लीडिंग होना नॉर्मल है या यह किसी खतरे की तरफ इशारा है?

हर किसी को नहीं होती ब्लीडिंगपुणे में गायनोकॉलोजिस्ट डॉ. सुप्रिया पुराणिक प्रेग्नेंसी में ब्लीडिंग होना नॉर्मल नहीं है. यह हर महिला को नहीं होती. अगर प्रेग्नेंसी की पहली तिमाही में ब्लीडिंग हो तो तुरंत डॉक्टर को दिखाना चाहिए. लेकिन अगर दूसरे या तीसरे ट्राइमेस्टर में ऐसा हो तो यह गंभीर समस्या है. ब्लीडिंग होना बच्चे को नुकसान पहुंचा सकती है क्योंकि मां से बच्चे तक जो पोषक तत्व पहुंचते हैं, वह खून के जरिए ही पहुंचते हैं इसलिए प्रेग्नेंसी में महिला को खुद का बहुत ख्याल रखना चाहिए. ऐसा भी देखने में आया कि जिन महिलाओं को प्रेग्नेंसी में ब्लीडिंग हुई है, उनकी प्रेग्नेंसी सुरक्षित रही है और अंत में उन्होंने हेल्दी बच्चे को जन्म दिया है.

यूट्रस में प्रेग्नेंसी का ना होनाआमतौर पर प्रेग्नेंसी यूट्रस में विकसित होती है लेकिन कई बार यह यूट्रस के बाहर फेलोपियन ट्यूब में भी पनप जाती है. अगर ऐसा हो तो जब बच्चे का विकास होता है तो फेलोपियन ट्यूब के फटने का खतरा बढ़ जाता है क्योंकि यह बेहद महीन ट्यूब होती है. इसे एक्टोपिक प्रेग्नेंसी कहते हैं. जिन महिलाओं को एक्टोपिक प्रेग्नेंसी होती है उन्हें ब्लीडिंग, पेट में दर्द या ऐंठन महसूस होती है. जैसे ही प्रेग्नेंसी किट पर प्रेग्नेंसी पॉजिटिव निकले, तुरंत डॉक्टर के पास आना चाहिए. अल्ट्रासाउंड में एक्टोपिक प्रेग्नेंसी का पता चलता है. अगर ऐसा हो तो प्रेग्नेंसी को खत्म करना पड़ता है क्योंकि इससे महिला की जान को खतरा रहता है.


अल्ट्रासाउंड से ब्लीडिंग के दौरान भ्रूण की स्थिति का पता लगाया जाता है (Image-Canva)

संक्रमण या प्लेसेंटा का टूटनाअगर गर्भवती महिला को किसी तरह का संक्रमण हो तो तब भी ब्लीडिंग हो सकती है. कई बार प्लेसेंटा यानी गर्भनाल के टूटने के कारण भी ब्लीडिंग हो सकती है. यह खतरनाक स्थिति है क्योंकि बच्चे तक प्लेसेंटा के जरिए ही खाना पहुंचता है. ऐसा आखिरी के 6 से 9 महीनों में हो सकता है. इससे प्रीटर्म डिलीवरी का खतरा बढ़ जाता है. ऐसे मामले 200 में से 1 महिला में ही देखने को मिलते हैं. 

भ्रूण का विकासजब भ्रूण यूट्राइन लाइनिंग से अटैच होता है तो कई बार हल्की ब्लीडिंग या स्पॉटिंग होती है. यह अक्सर तब होता है जब पीरियड्स का टाइम नजदीक होता है लेकिन पीरियड्स नहीं आते. यह प्रेग्नेंसी के शुरुआती दौर में होता है. प्रेग्नेंसी में सर्विक्स में बदलाव होता है,  इस कारण से भी ऐसा हो सकता है.

संबंध बनानाकई कपल प्रेग्नेंसी में भी संबंध बनाते हैं जो ठीक नहीं है. इसका असर सर्विक्स पर पड़ता है जिससे संबंध बनाने के बाद महिला को ब्लीडिंग से जूझना पड़ता है. अगर ब्लीडिंग लगातार होती रहे तो यह बच्चे के लिए खतरनाक हो सकती है इसलिए अगर महिला प्रेग्नेंट हो तो पार्टनर को संबंध बनाने से बचना चाहिए.

मिसकैरेज के संकेतप्रेग्नेंसी के 9 महीनों को हफ्तों में बांटा जाता है. अगर प्रेग्नेंसी के 12वें हफ्ते तक के बीच यानी पहले 3 महीने में महिला को ब्लीडिंग हो तो यह मिसकैरेज की तरफ भी इशारा करता है. ऐसे में महिला को संभल जाना चाहिए. मिसकैरेज होना महिला के हाथ में नहीं होता. अगर भ्रूण में किसी तरह का डिफेक्ट होता है तो वह प्राकृतिक रूप से खत्म हो जाता है यानी प्रेग्नेंसी वहीं थम जाती है. ऐसे में महिला को चिंता नहीं करनी चाहिए क्योंकि मिसकैरेज के बाद भी वह दोबारा प्रेग्नेंट हो सकती हैं. 


ब्लीडिंग होने पर महिला को थकान, बेहोशी या चक्कर आ सकते हैं (Image-Canva)

30 की उम्र के बाद हाई रिस्क प्रेग्नेंसीमहिलाओं को पहला बच्चा 30 साल की उम्र से पहले हो जाना चाहिए क्योंकि इसके बाद उनके शरीर में एग की क्वॉलिटी घटने लगती है. जितनी ज्यादा उम्र होगी, उनकी प्रेग्नेंसी हाई रिस्क की होगी. कई बार आईवीएफ के बाद प्रेग्नेंट हुई महिला को भी ब्लीडिंग की समस्या से जूझना पड़ता है.

आराम करना बेहद जरूरीअगर किसी महिला को प्रेग्नेंसी में ब्लीडिंग हो तो डॉक्टर उन्हें आराम करने की सलाह देते हैं. ऐसी स्थिति में घर का कोई काम नहीं करना चाहिए, केवल बेड रेस्ट करना चाहिए. महिला को भारी वजन उठाने से बचना चाहिए. इस स्थिति में सीढ़ियां भी नहीं चढ़नी चाहिए. टॉयलेट जाते वक्त प्रेशर ना लगाना, प्रेग्नेंसी में संबंध बनाने से परहेज और लंबे समय तक ना खड़े रहना भी फायदेमंद है. इसके अलावा महिलाओं को ज्यादा से ज्यादा पानी पीना चाहिए ताकि शरीर में डिहाइड्रेशन ना हो. पानी के अलावा नारियल पानी, लस्सी, बटर मिल्क या दूध भी पी सकती हैं. कुछ डॉक्टर्स इस कंडीशन में प्रोजेस्टेरोन की गोली भी देते हैं ताकि ब्लीडिंग रुक जाए.

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Delhi,Delhi,Delhi

First Published :

February 09, 2025, 16:11 IST

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क्या प्रेग्नेंसी में ब्लीडिंग होना नॉर्मल है? यह मिसकैरेज की तरफ इशारा तो नहीं

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