Rajasthan

Book Bank…for Students… | जरूरतमंद और गरीब स्कूली छात्रों की मदद करेगा संयुक्त अभिभावक संघ, एक बार फिर शुरू करेगा BOOK BANK

locationजयपुरPublished: Mar 02, 2023 06:11:06 pm

संयुक्त अभिभावक संघ राजधानी जयपुर शहर में 15 मार्च से जरूरतमंद और गरीब अभिभावकों और बच्चों की मदद के लिए बुक बैंक अभियान लॉन्च कर रहा है। इस बुक बैंक के माध्यम से शहर के ज्यादा से ज्यादा अभिभावक और छात्रों को जोडऩे को लेकर जुड़े संयुक्त अभिभावक संघ जयपुर में तीन दर्जन से चार दर्जन से अधिक सेंटर भी बनाने जा रहा है।

जरूरतमंद और गरीब स्कूली छात्रों की मदद करेगा संयुक्त अभिभावक संघ,  एक बार फिर शुरू करेगा BOOK BANK

जरूरतमंद और गरीब स्कूली छात्रों की मदद करेगा संयुक्त अभिभावक संघ, एक बार फिर शुरू करेगा BOOK BANK

जयपुर। संयुक्त अभिभावक संघ राजधानी जयपुर शहर में 15 मार्च से जरूरतमंद और गरीब अभिभावकों और बच्चों की मदद के लिए बुक बैंक अभियान लॉन्च कर रहा है। इस बुक बैंक के माध्यम से शहर के ज्यादा से ज्यादा अभिभावक और छात्रों को जोडऩे को लेकर जुड़े संयुक्त अभिभावक संघ जयपुर में तीन दर्जन से चार दर्जन से अधिक सेंटर भी बनाने जा रहा है।जहां हर अभिभावक और छात्र अपनी पुरानी पुस्तकें आसानी से डोनेट कर सकते हैं और इन्ही सेंटरों से अपनी जरूरत की पुस्तकें निशुल्क प्राप्त कर सकते हैं।
2021 में जोड़े थे 10 हजार अभिभावक और बच्चे
संघ के प्रदेश प्रवक्ता अभिषेक जैन बिट्टू ने बताया कि संघ पहले भी बुक बैंक अभियान चला चुका है। वर्ष 2021 के दौरान चलाए गए अभियान के समय जयपुर में दो दर्जन से अधिक सेंटर बनाए गए थे और इन सेंटरों के माध्यम से दस हजार अभिभावकों और छात्रों को जोड़ा गया था जिन्होंने अपने पुरानी पुस्तकें डोनेट कर जरूरतमंद और गरीब परिवारों की मदद की थी। संयुक्त अभिभावक संघ ने वर्ष 2021 में राजधानी जयपुर सहित किशनगढ़, अजमेर, भिवाड़ी आदि शहरों में बुक बैंक अभियान चलाया था और वर्ष 2022 में भी यह अभियान जारी था। उस दौरान जयपुर में बुक बैंक नहीं चलाया गया था लेकिन वर्ष 2023 में जयपुर में भी पुन: इस अभियान को प्रारंभ किया जा रहा है। इस अभियान का मकसद जरूरतमंद और गरीब अभिभावकों व छात्रों की मदद करना है जो महंगी पुस्तकें होने के खरीद नही पाते, जिससे छात्रों का भविष्य खराब हो जाता और पढ़ाई से वंचित हो जाते हैं। जबकि पुराने सत्र की पुस्तकें सत्र पूरा होने के बाद वेस्ट होती रहती हैं या विकल्प ना मिलने के कारण रद्दी में बेच दी जाती हैं।

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