Rajasthan

Energy Minister Blamed The Previous BJP Government For The Power Crisi – जनता पर भारी सियासत : ऊर्जा मंत्री ने बिजली संकट का ठीकरा पूर्ववर्ती भाजपा सरकार पर फोड़ा

एक दिन पहले पूर्व सीएम वसुंधरा राजे और उपनेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड़ ने सरकार को घेरा था

भवनेश गुप्ता
जयपुर। राज्य में बिजली प्रबंधन में फेल हुए ऊर्जा महकमे के मुखिया ऊर्जा मंत्री डॉ. बी. डी. कल्ला ने बिजली संकट का ठीकरा पिछली भाजपा सरकार पर फोड़ दिया है। उन्होंने बयान जारी कर कहा है कि पिछली भाजपा सरकार के विद्युत कुप्रबंधन और उस समय ऊर्जा विभाग की उदासीन कार्यप्रणाली का नतीजा सामने आ रहा है। इसके बाद सियासी बयानबाजी तेज हो गई है। एक दिन पहले ही पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे और उपनेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र सिंह राठौड़ ने बिजली संकट के लिए राज्य सरकार को जिम्मेदार बताया था।
हालांकि, इस बीच लंबे समय से बंद पड़े कालीसिंध प्लांट की 600 मेगावाट एक यूनिट और छबड़ा थर्मल प्लांट की 250 मेगावाट की पहली यूनिट और 660 मेगावाट की पांचवीं इकाई से बिजली उत्पादन शुरू कर दिया गया।

उधारी चुकाने में फेल, यही बताना भूली सरकार
कोयला कमी से उपजे बिजली संकट के पीछे कोयला सप्लाई कंपनियों की करोड़ों रुपए की बकाया राशि नहीं चुकाना भी मुख्य कारण है। ऊर्जा मंत्री ने अपने बयान में इसका जिक्र ही नहीं किया। 2700 करोड़ रुपए से ज्यादा राशि का समय पर भुगतान नहीं किया, जिसके बाद सप्लाई कंपनियों ने राज्य उत्पादन निगम और ऊर्जा महकमे को आंख दिखाई। ऊर्जा विकास निगम ने दो दिन पहले ही कोल इंडिया और पीकेसीएल को करीब 900 करोड़ रुपए का भुगतान किया। इसके बावजूद अब भी 800 करोड़ से ज्यादा रोकड़ बकाया है।

संकट के बीच मंत्री के आरोप
मंत्री कल्ला ने आरोप लगाया कि पूर्व सरकार के समय में निर्माणाधीन छबड़ा एवं सूरतगढ़ सुपरक्रिटीकल (2 गुना 660 मेगावॉट प्रत्येक) की दो यूनिट की समयबद्ध कमीशनिंग पर ध्यान नहीं दिया गया, इसकी वजह से इन यूनिट के काम में देरी हुई और बिजली उत्पादन देरी से शुरू हो सका।केवल छबड़ा स्थित 660 मेगावॉट की एक यूनिट का कार्य ही 2018 में जाकर शुरू हो सका।हालांकि, यह स्थिति पहले से पता थी।
-विद्युत उत्पादन निगम का वितरण निगमों पर काफी बकाया है, वर्ष 2014-15 से इस ओर ध्यान नहीं देने का परिणाम है। गत सरकार में वितरण निगमों की ओर से उत्पादन निगम को भुगतान नहीं करने से ऋण लेना पड़ा, जिससे उत्पादन निगम की आर्थिक हालात खराब हुई। उत्पादन निगम के पूर्व सरकार के समय के 20 हजार करोड़ रुपए के बिल भुगतान से बाकी थे। इसके साथ ही पूर्व सरकार वितरण निगमों पर 53000 करोड़ का उधार का भार एवं उत्पादन निगम पर 45000 करोड़ के ऋण का बोझ छोड़कर गई।

सौर व पवन ऊर्जा पर निर्भरता
ऊर्जा विभाग ने 1430 मेगावॉट की सौर ऊर्जा 2.50 रुपए प्रति यूनिट तथा 1070 मेगावॉट की सौर ऊर्जा 2 रुपए प्रति यूनिट और 1200 मेगावॉट पवन ऊर्जा 2.77 रुपए प्रति यूनिट में अनुबन्ध किया गया है। इसके अतिरिक्त 1785 मेगावॉट सौर ऊर्जा की निविदा एस.ई.सी.आई के माध्यम से प्रक्रियाधीन है तथा 12 से 18 माह में विद्युत आपूर्ति प्राप्त हो जाएगी।



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