Bottle gourd Special variety prepared in Rajasthan Length from 120 to 150 cm 1 piece is enough for 50 people rjsr

बारां. राजस्थान के बारां (Baran) के अंता कृषि विज्ञान केंद्र में लौकी (Bottle Gourd) की एक विशेष किस्म तैयार की गई है. इस किस्म की एक अकेली लौकी ही करीब 50 लोगों का पेट भर सकती है. यह अगर घर में एक बार आ जाए तो हफ्तों तक पर्याप्त है. यही नहीं यह लौकी इतनी बड़ी है कि साधारण रेस्टोरेंट का एक दिन का काम चला सकती है. इस लौकी की साइज देखकर हर कोई अचंभित है. इस लौकी की लंबाई 120 सेंटीमीटर से 150 सेंटीमीटर तक दर्ज की गई है. इसके साथ ही एक लौकी का वजन 5 से 7 किलो तक निकला है. इसकी किस्म का खुलासा नहीं किया गया है.
यह लौकी कुपोषण को खत्म करने के उद्देश्य से तैयार की गई है. कृषि विज्ञान केंद्रों में बनाए जा रहे पोषण वाटिका के तहत बारां जिले के अंता कृषि विज्ञान केंद्र में इस अनोखी लौकी की किस्म तैयार की गई है. हालांकि इस लौकी का बीज अयोध्या के नरेंद्र देव कृषि विज्ञान केंद्र से लाया गया है. लेकिन यहां उसमें बदलाव कर उसे राजस्थान के वातावरण के अनुसार ढाला गया है. फिलहाल अंता के कृषि विज्ञान केंद्र में पहली बार प्रयोग के तौर पर इस लौकी को तैयार किया गया है.
इसका बीज नरम होता है और गुदा हल्का मीठा होता है
इस लौकी के पौधे को तैयार करने वाले अंता कृषि विज्ञान केंद्र के वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक डॉ. डीके सिंह का कहना है कि यह लौकी बाजार में आ रही सामान्य लौकी से अधिक पौष्टिक और खाने में स्वादिष्ट है। बकौल सिंह इसका बीज नरम होता है और गुदा हल्का मीठा होता है. अगर इस लौकी की किस्म बाजार में आ जाती है तो वह लोगों को अधिक पोषण के साथ-साथ किसानों को बेहतर आर्थिक लाभ दिला पायेगी.
वर्टिकल तरीके लगाई जाती है यह लौकी
इस लौकी को लगाने का तरीका भी वर्टिकल है. इसे खेत में हाइट पर ढांचा तैयार कर लगाया जा सकता है. नीचे की जमीन पर अन्य फसल ली जा सकती है. इसके चलते एक ही जमीन पर किसानों को दुगना लाभ होगा. इस लौकी की किस्म देखकर इसके तैयार होने वाले बीजों की एडवांस बुकिंग भी हो चुकी है. फिलहाल इस बीज को देश के अन्य पोषण वाटिका में भेजा जाएगा. उसके बाद इसे किसानों के लिए उपलब्ध कराया जाएगा.
राजस्थान में कई नवाचार हो रहे हैं
उल्लेखनीय है कि राजस्थान के विभिन्न कृषि विज्ञान केन्द्रों पर कई तरह के नवाचार किये जा रहे हैं. ये नवाचार किसानों के लिये काफी फायदेमंद साबित हो रहे हैं. राजस्थान में कृषि केन्द्रों ही नहीं बल्कि कई किसान खुद अपने अनुभव के आधार कई नवाचार को अमली जामा पहना चुके हैं.
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