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ठाकुर, ब्राह्मण और इस जाति को बिहार के जातीय जनगणना के नतीजों पर है आपत्ति, जानिए क्यों

Bihar Caste Census Survey Report: बिहार सरकार ने जातिगत जनगणना के आंकड़े जारी कर दिए हैं. इन आंकड़ों के मुताबिक बिहार में पिछड़ा वर्ग की आबादी 27 फीसदी और अतिपिछड़ा वर्ग की आबादी 36 फीसदी है. राजपूत की आबादी 3.45%, भूमिहार 2.86%, ब्राह्मण 3.65% और कायस्थ 0.60% है. इस तरह से सामान्य वर्ग की कुल आबादी 15 फीसदी के आसपास है. लेकिन, सामान्य वर्ग में आने वाले भूमिहार, ब्राह्मण, राजपूत और कायस्थ जाति के लोगों ने इस जनगणना पर सवाल खड़े कर दिए हैं. न्यूज 18 हिंदी ने जब इन जाति के लोगों से संपर्क किया तो उनका जवाब चौंकाने वाला था. इन लोगों ने बताया कि जनगणना के दौरान ना तो इनसे और ना ही इनके परिवार के किसी सदस्य से किसी भी तरह कोई संपर्क इससे जुड़े अधिकारियों और कर्मचारियों ने नहीं किया. इस बीच केंद्रीय मंत्री और बेगूसराय के बीजेपी सांसद गिरिराज सिंह ने भी जातीय जनगणना को लेकर बड़ा हमला बोला है. सिंह ने कहा है कि इस जनगणना में बिहार की गरीब जनता में भ्रम फैलाने के सिवाय और कुछ नहीं है.

लखीसराय के रहने वाले राहुल कुमार कहते हैं, ‘मेरे पिताजी शहर के एक प्रतिष्ठित डॉक्टर हैं. पिछले 40 सालों से मैं लखीसराय शहर में ही रह रहा हूं. मैं बड़हिया का मूलनिवासी हूं, लेकिन जब मेरा आधार कार्ड, जन्म प्रमाण पत्र, वोटर आईकार्ड सब लखीसराय शहर का है तो मुझसे जनगणना करने वालों ने क्यों नहीं संपर्क किया? अभी तक मेरे दरवाजे पर कोई कर्मचारी या अधिकारी आंकड़ा लेने नहीं आया है. यह जनगणना कैसे की गई? जब मैं गांव छोड़ कर शहर आ गया और पिछले 40 सालों से मेरा आधार, वोटर आईडी कार्ड सब लखीसराय का है तो मेरी गिनती क्यों नहीं की गई? मेरे परिवार के किसी भी सदस्य से लखीसराय में संपर्क नहीं किया गया.’

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राजपूत की आबादी 3.45%, भूमिहार 2.86%, ब्राह्मण 3.65% है.

इन जातियों को है आपत्ति
इसी तरह पटना के आशियाना कॉलनी में रहने वाले मयंक शेखर, जो पेशे से वकील हैं न्यूज 18 हिंदी के साथ बातचीत में कहते हैं, ‘देखिए इस जनगणना में पूरी तरह से फर्जीवाड़ा हुआ है. पटना उच्च न्यायालय का अधिवक्ता हूं और मेरे पिताजी भी रिटार्यड जज हैं. मैं पटना में रहता हूं और मेरा दो भाई एक दिल्ली और दूसरा मुंबई में रहते हैं. मैं गया जिले के ढीहा गांव का मूल निवासी हूं, लेकिन पिछले 18-19 सालों से पटना में ही रह रहा हूं. आजतक किसी अधिकारी या कर्मचारी ने मुझसे इस बारे में संपर्क नहीं किया है. जबकि, मेरा आधार कार्ड पटना का है. मुझे लग रहा है कि राजनीतिक नफा-नुकसान के लिए यह आंकड़े जारी किए गए हैं. मुझे लगता है कि आने वाले दिनों में मेरे जैसे कई और लोग भी सामने आएंगे.’

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2 अक्टूबर को गांधी जयंती के मौके पर बिहार सरकार की ओर से दो चरणों में हुए 214 जातियों के आंकड़े जारी किए गए हैं. इनमें से कई जातियां ऐसी हैं, जिनकी कुल आबादी 100 भी कम है. 214 जातियों को अलावा बिहार सरकार ने 215वें नंबर पर अन्य जातियों के लिए भी कॉलम बनाया था. आपको बता दें कि जातीय जनगणना के आंकड़ों में बिहार में पिछड़ा वर्ग की आबादी 27.12 प्रतिशत, अत्यंत पिछड़ा वर्ग की आबादी 36.01 प्रतिशत, अनुसूचित जाति वर्ग की आबादी 19.65 प्रतिशत. अनुसूचित जनजाति की आबादी 1.68 प्रतिशत, सामान्य वर्ग की आबादी 15.52 प्रतिशत दिखाई गई है.

Tags: Bihar News, Bihar politics, Caste Census, Caste politics

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