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BSF SI martyr Mohammad Imtiaz younger brother also serving country residence named seema prahri niwas दुश्मन का काल बनकर जिस देश की रक्षा करे शहीद मो इम्तियाज और मुस्तफा, उन पर हम सब क्यों न करें गर्व! देशभक्ति ऐसी कि घर का नाम रखा ‘सीमा प्रहरी निवास’

Last Updated:May 12, 2025, 07:17 IST

Bharat Pakistan Ceasefire: फानूस बनकर जिसकी हिफाजत हवा करे, वो शमा क्या बुझे जिसे रौशन खुदा करे…छपरा के नारायणपुर गांव के शहीद मो. इम्तियाज और मुस्तफा दोनों भाइयों पर गांव वालों को गर्व है. इस परिवार की देशभक…और पढ़ेंदेशभक्ति ऐसी कि घर का नाम रखा 'सीमा प्रहरी निवास', शहीद मो. इम्तियाज बने मिसाल

बीएसएफ सब इंस्पेक्टर मोहम्मद इम्तियाज का छोटा भाई मुस्तफा भी बीएसएफ में तैनात है.

हाइलाइट्स

BSF SI मोहम्मद इम्तियाज की शहादत पर गांव वालों को गर्व.शहीद मो. इम्तियाज का भाई मुस्तफा भी बीएसएफ में तैनात हैं.आज सुपुर्दे खाक किये जाएंगे बॉर्डर पर शहीद मोहम्मद इम्तियाज.

सारण. जम्मू-कश्मीर में सीजफायर के दौरान पाकिस्तान की गोलीबारी में शहीद बिहार के मोहम्मद इम्तियाज का पार्थिव शरीर आज बिहार लाया जाएगा. पटना एयरपोर्ट पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार श्रद्धांजलि देंगे और इससे बाद सारण जिले में गड़खा थाना क्षेत्र के उनके पैतृक गांव नारायणपुर में उन्हें सुपुर्दे खाक किया जाएगा. सीएम नीतीश ने उनके बलिदान पर कहा है कि देश हमेशा उनकी शहादत को याद करेगा. शहीद मोहम्मद इम्तियाज का राज्य सरकार की ओर से पुलिस सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया जाएगा. बता दें कि पाकिस्तान की सेना ने सीजफायर का उल्लंघन करते हुए अंतरराष्ट्रीय नियंत्रण रेखा पर आरएस पुरा सेक्टर में 9 मई की शाम जबरदस्त गोलीबारी की थी जिसमें बीएसएफ के सब इंस्पेक्टर शहीद मोहम्मद इम्तियाज शहीद हो गए थे. बता दें कि शहीद मो. इम्तियाज अहमद के भाई मुस्तफा भी देश की सेवा में तैनात हैंऔर वह मेघालय में बांग्लादेश सीमा पर बॉर्डर सिक्योरिटी फोर्स (BSF) में अपनी ड्यूटी निभा रहे हैं.

जानकारी के अनुसार, इस मुकाम को हासिल करने के लिए दोनों भाइयों ने बचपन से ही सेना की वर्दी पहनने का सपना देखा था और उन्होंने मेहनत और समर्पण से अपने इस सपने को साकार किया. जब सपने साकार हुए तो ईम्तियाज और मुस्तफा ने मिलकर अपने गांव में एक घर बनाया था, जिसका नाम उन्होंने ‘सीमा प्रहरी निवास’ रखा. यह नाम उनके देशभक्ति और सेवा भाव को दर्शाता है. दोनों भाइयों को अपने देश और ड्यूटी पर गर्व था. लेकिन दुर्भाग्यवश, इम्तियाज देश की सेवा करते हुए जम्मू-कश्मीर में शहीद हो गए.भाई की शहादत की खबर मिलते ही मुस्तफा छुट्टी लेकर गांव पहुंचे. अपने भाई की शहादत पर नम आंखों से उन्होंने कहा कि यह बहुत बड़ा नुकसान है, लेकिन उन्हें अपने भाई पर गर्व है. उन्होंने पाकिस्तान की इस कायराना हरकत की कड़ी निंदा की और कहा कि देश उनके भाई की शहादत को व्यर्थ नहीं जाने देगा.

शहीद मो. इम्तियाज का देशभक्त परिवारमुस्तफा ने कहा कि वे पहले से भी ज्यादा दृढ़ संकल्प के साथ देश सेवा में लगे रहेंगे और उनके बेटे भी देश सेवा में ही जाएंगे ऐसी उनकी तमन्ना है. इम्तियाज तीन भाइयों में सबसे बड़े थे. मो. इम्तियाज और उनके मंझले भाई दोनों बीएसएफ में नौकरी करते हैं जबकि छोटे भाई प्राइवेट नौकरी करते हैं. एक भाई देश के लिए शहीद हो गया जबकि दूसरा देश की सेवा में जुटा है. गांव के लोग दोनों भाइयों के देश के प्रति समर्पण और सेवा भाव की काफ़ी सराहना कर रहे हैं. लोगों का कहना है कि एक ही परिवार के दो भाइयों ने फौज की नौकरी जॉइन कर गांव का नाम रौशन किया है. ग्रामीणों की माने तो मोहम्मद इम्तियाज में शुरू से ही देश सेवा की भावना थी और फौज में जाना चाहते थे. देश सेवा के समर्पण का भाव उनमें कूट कूट कर भरा था. उनका कहना है कि वे मो इम्तियाज की देश सेवा और बलिदान को हमेशा याद रखेंगे.


छपरा सदर एसडीओ लक्ष्मण तिवारी शहीद मो. इम्तियाज के घर पहुंचे और शोक संतप्त परिवार को सांत्वना दी.

गांव में इम्तियाज की शहादत पर शोक और गर्वशहीद इम्तियाज के माता पिता की मौत पहले ही हो चुकी है. शहीद सब इंस्पेक्टर मो इम्तियाज की पत्नी शाहनाज अजीम गृहिणी हैं और उनके दो पुत्र और दो पुत्रियां हैं. पुत्र मोहम्मद इमरान रजा बायोमेडिकल से इंजीनियरिंग कर पटना पीएमसीएच में कार्यरत है, जबकि छोटा पुत्र इमदाद रजा दिल्ली में पढ़ाई करता है. परिजनों के मुताबिक वह दिल्ली में रहकर यूपीएससी की तैयारी कर रहा है. पुत्री बेनजीर खातून और फरीदा खातून की शादी हो गई है. देश की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति देने वाले मो. इम्तियाज की शहादत पर परिजनों को गर्व है.

शहीद मो. इम्तियाज को आज किया जाएगा सुपुर्दे खाकस्थानीय निवासी आफताब आलम ने कहा, गांव ने एक हीरा खोया है.वहीं, मोहम्मद शमसुद्दीन ने कहा, उसकी बहादुरी और ईमानदारी पूरे गांव को प्रेरणा देती रहेगी. जबकि, ससुर मो. जमीरउद्दीन ने नम आंखों से कहा, हमने सिर्फ दामाद नहीं, एक सच्चा सपूत खोया है. गांव में उनके अंतिम संस्कार की तैयारियां शुरू हो गई हैं और बड़ी संख्या में लोग उन्हें अंतिम विदाई देने की प्रतीक्षा कर रहे हैं. गांव में ही आज उनको सुपुर्दे खाक किया जाएगा. सदर एसडीओ लक्ष्मण तिवारी ने भी गांव पहुंचकर शोकाकुल परिवार से मुलाकात की है.

authorimgVijay jha

पत्रकारिता क्षेत्र में 22 वर्षों से कार्यरत. प्रिंट, इलेट्रॉनिक एवं डिजिटल मीडिया में महत्वपूर्ण दायित्वों का निर्वहन. नेटवर्क 18, ईटीवी, मौर्य टीवी, फोकस टीवी, न्यूज वर्ल्ड इंडिया, हमार टीवी, ब्लूक्राफ्ट डिजिट…और पढ़ें

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