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Business Idea: करोड़पति बनना है तो लगा दें ये पेड़, खेती में मेहनत भी काफी कम, विदेशों तक है डिमांड

Last Updated:October 27, 2025, 08:10 IST

chandan ki kheti: अगर कोई किसान अपने खेत की मेड़ या खाली पड़ी जमीन पर चंदन के पौधे लगा दे, तो कुछ ही सालों में यह खेती सोने का सौदा साबित हो सकती है. यह पेड़ जितना पुराना होता है, उतनी ही उसकी कीमत बढ़ती जाती है. (रिपोर्ट: सावन पाटिल)Sandalwood cultivation, how to cultivate sandalwood, sandalwood cultivation tips, where is sandalwood cultivated in Madhya Pradesh, method of sandalwood cultivation,

अगर आप खेती से तगड़ी कमाई का सपना देख रहे हैं और चाहते हैं कि एक बार मेहनत करने के बाद सालों तक फायदा मिलता रहे, तो चंदन की खेती आपके लिए सुनहरा मौका साबित हो सकती है. आज के समय में लकड़ी की मांग तेजी से बढ़ रही है. यही वजह है कि किसान अब गेहूं-धान की जगह “पैसे के पेड़” यानी चंदन की खेती की ओर रुख कर रहे हैं.

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मध्य प्रदेश के खंडवा जिले के प्रकृति प्रेमी और किसान पुत्र बीडी सनखेरे बताते हैं कि अगर कोई किसान अपने खेत की मेड़ या खाली पड़ी जमीन पर चंदन के पौधे लगा दे, तो कुछ ही सालों में यह खेती सोने का सौदा साबित हो सकती है. वे कहते हैं कि हमने कई किसानों को करीब आठ साल पहले चंदन के पौधे लगाते देखा था, और आज उन पेड़ों की कीमत लाखों में पहुंच चुकी है.

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भारत ही नहीं, विदेशों में भी चंदन की लकड़ी की भारी मांग है.बाजार में इसकी एक किलो लकड़ी की कीमत ₹10,000 तक पहुंच जाती है, जबकि इसका तेल इससे भी कई गुना महंगा बिकता है. एक पेड़ औसतन 10–15 साल में तैयार होता है और तब तक उसकी कीमत लाखों में पहुंच जाती है.

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इसकी खासियत यह है कि इसे बहुत ज्यादा देखभाल की जरूरत नहीं होती. एक बार पौधा लगाने के बाद यह खुद को मौसम के मुताबिक ढाल लेता है. इसलिए इसे किसान “पैसों का पेड़” कहते हैं. फर्नीचर, इत्र, दवा और धार्मिक कार्यों में इस्तेमाल होने के कारण चंदन की कीमत लगातार आसमान छू रही है. यह पेड़ जितना पुराना होता है, उतनी ही उसकी कीमत बढ़ती जाती है.

बीडी सनखेरे बताते हैं कि चंदन की खेती के लिए सूखी और थोड़ी ऊंची जमीन सबसे सही रहती है.रोपाई जून-जुलाई के महीने में की जाती है. चंदन एक परजीवी पौधा है यानी यह अपने पास के पौधों से पोषण लेता है. इसलिए इसे अर्जुन, बेर या मूंगा जैसे पौधों के साथ लगाना फायदेमंद रहता है. इससे मिट्टी की उर्वरता भी बनी रहती है और दोनों पौधे तेजी से बढ़ते हैं.

 बागवानी

चंदन को बहुत ज्यादा पानी की जरूरत नहीं होती. शुरुआती एक साल तक हल्की सिंचाई करते रहें, फिर यह खुद ही मौसम के अनुसार विकसित हो जाता है. बीमारियों से बचाने के लिए जैविक कीटनाशक का इस्तेमाल किया जा सकता है. किसान चंदन के साथ हल्दी, अदरक या फलदार पौधे भी उगा सकते हैं. इससे शुरुआती सालों में भी आमदनी होती रहती है, जबकि चंदन का पेड़ धीरे-धीरे “सोने का पेड़” बनता है.

चंदन की खेती

अगर किसान एक एकड़ में करीब 500 पौधे लगाता है, तो 12–15 साल में प्रत्येक पेड़ से 2–3 किलो तक दिलचस्प लकड़ी मिल सकती है.बाजार दर से देखें तो एक एकड़ से ₹50 लाख से ₹1 करोड़ तक की कमाई संभव है. सरकार भी अब इस दिशा में किसानों को बढ़ावा दे रही है. कई राज्यों में सब्सिडी और तकनीकी मार्गदर्शन की सुविधा दी जा रही है.

चंदन की खेती

पहले चंदन की खेती सिर्फ सरकारी संस्थान ही कर सकते थे, लेकिन अब नियमों में ढील दी गई है. किसान अब सरकार से अनुमति लेकर चंदन की खेती कर सकते हैं. हालांकि फसल की कटाई और लकड़ी की बिक्री के लिए वन विभाग की मंजूरी अनिवार्य है.

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October 27, 2025, 08:10 IST

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