Business Idea : सिरोही के 5 गांवों की 40 से अधिक महिलाएं बना रही हर्बल साबुन, बन रही आत्मनिर्भर!

Last Updated:November 12, 2025, 16:29 IST
Business Idea : सिरोही जिले की पिंडवाड़ा तहसील में महिलाओं ने जंगल से जुटाई जड़ी-बूटियों से हर्बल साबुन बनाकर नई मिसाल कायम की है. वन धन केंद्र और राजीविका की मदद से शुरू हुआ यह छोटा कारोबार अब बड़ा ब्रांड बन चुका है. पलाश, नीम, चंदन और एलोवेरा से बने ये केमिकल-फ्री साबुन महिलाओं की आय और आत्मनिर्भरता दोनों बढ़ा रहे हैं.
सिरोही : जिले के पिंडवाड़ा तहसील की करीब 3 दर्जन से अधिक महिलाएं जंगल से जड़ी बूटियां एकत्रित कर हर्बल साबुन बना रही है. इस कारोबार की सफलता के बाद यहां बनने वाले साबुन की बाजार में डिमांड भी बढ़ गई है. जिले के पिंडवाड़ा ब्लॉक के करीब 5 गांवों की महिलाएं साबुन बनाने के काम से जुड़कर आत्मनिर्भर बन रही हैं. वन धन विकास केंद्र और राजस्थान ग्रामीण आजीविका विकास परिषद (राजीविका) की पहल से अलग अलग स्वयं सहायता समूहों से जुड़ी महिलाओं ने पिंडवाड़ा क्षेत्र में पाए जाने वाले वन उत्पादों के उपयोग से हर्बल साबुन बनाने का काम शुरू किया था.
शुरुआत में ये महिलाएं केवल पलाश के फूल से हर्बल साबुन बना रही थी. इस साबुन की अच्छी डिमांड मिलने पर महिलाओं ने 3 नए फ्लेवर के साबुन भी बनाने शुरू किए. पलाश साबुन की सफलता के बाद अब महिलाएं नीम, चंदन और एलोवेरा से भी विभिन्न प्रकार के साबुन बना रही है.
केमिकल फ्री साबुन त्वचा के लिए फायदेमंदआयुर्वेदिक गुणों वाले पेड़ पौधों से बनने वाले ये साबुन केमिकल फ्री होने से त्वचा के लिए फायदेमंद साबित हो रहे हैं. इन साबुनों की सुंदरता, सुगंध और औषधीय गुणों ने महिलाओं को आर्थिक रूप से मजबूत बनाने का काम किया. सबसे पहले महिलाओं को वन विभाग और राजीविका ने संयुक्त प्रशिक्षण देकर साबुन बनाने की पूरी प्रक्रिया सिखाई. इसमें कच्चे माल की तैयारी, मिश्रण, गुणवत्ता नियंत्रण, पैकेजिंग और मार्केटिंग सिखाई गई. धीरे धीरे इन उत्पादों की डिमांड स्थानीय बाजारों के साथ-साथ शहरी क्षेत्रों में भी बढ़ रही है.
मिला रोजगार बढ़ी इनकमसाबुन बनाने वाली महिलाओं ने बताया कि शुरू में वे केवल जंगल से फूल और फल लाकर बेचती थीं, जिससे उन्हें सही दाम नहीं मिल पाता था. अब इस कारोबार से जुड़कर स्वरोजगार का रास्ता बना लिया है. फिलहाल पिंडवाड़ा के 5 गांवों की करीब 40 से अधिक महिलाएं इस काम से जुड़कर अच्छी इनकम कर रही हैं.
ग्रामीण नवाचार को मिल रहा बढ़ावास्वयं सहायता समूह की क्लस्टर हेड शिला बैरवा ने बताया कि यह पहल जिले में महिला सशक्तिकरण, पर्यावरण संरक्षण और ग्रामीण नवाचार का प्रतीक बन गई हैं. हर्बल साबुनों का यह मॉडल अब अन्य गावों में भी महिलाओं के लिए प्रेरणा स्रोत बन रहा है. यहां अच्छी इनकम होने से कई नई महिलाएं भी इस काम से जुड़ रही हैं.
Rupesh Kumar Jaiswal
रुपेश कुमार जायसवाल ने दिल्ली यूनिवर्सिटी के ज़ाकिर हुसैन कॉलेज से पॉलिटिकल साइंस और इंग्लिश में बीए किया है. टीवी और रेडियो जर्नलिज़्म में पोस्ट ग्रेजुएट भी हैं. फिलहाल नेटवर्क18 से जुड़े हैं. खाली समय में उन…और पढ़ें
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Location :
Sirohi,Rajasthan
First Published :
November 12, 2025, 16:29 IST
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सिरोही की महिलाओं का हर्बल धमाका, जंगल से उठाई जड़ी-बूटी, बदल दी तकदीर!



