यहां रंग-अबीर नहीं, गोला-बारूद से खेलते हैं होली, हर तरफ होती है ठांय-ठांय

Last Updated:March 12, 2025, 11:14 IST
जहां होली को रंगों का त्योहार कहा जाता है, वहीं राजस्थान के उदयपुर में अबीर-गुलाल की जगह गोला-बारूद से होली खेली जाती है. आइये जानते हैं इस अनोखी होली के बारे में.
देश-विदेश से अनोखी होली देखने आते है लोग (इमेज- फाइल फोटो)
भारत में होली का खुमार छाने लगा है. चाहे दुकान हो या लोगों के ऊपर रंग का असर, सभी होली के रंग में रंगने लगे हैं. भारत एक इतना विशाल देश है कि भले ही यहां होली खेली जाती है लेकिन हर इलाके के तौर-तरीके अलग होते हैं. होली के दिन कोई अलग-अलग पकवान का स्वाद चखता है तो कहीं लोग कीचड़ में डूबे नजर आते हैं. लेकिन एक चीज जो हर जगह कॉमन है, वो है होली के रंग.
चाहे त्योहार खेलने का तरीका कुछ भी हो लेकिन होली में रंग का इस्तेमाल तो जरूर किया जाता है. लेकिन राजस्थान के उदयपुर में एक ऐसी होली खेली जाती है, जिसमें रंग का इस्तेमाल नहीं किया जाता है. जी हां, इस होली में इस्तेमाल किया जाता है गोला और बारूद. सबसे हैरानी की बता ये है कि इस खतरनाक होली का हिस्सा बनने के लिए देश के अलग-अलग हिस्सों से ही नहीं, बल्कि विदेशों से भी लोग आते हैं. ये परंपरा यहां पांच सौ सालों से चली आ रही है.
पूर्वजों की याद में अनोखी होलीहम बात कर रहे हैं उदयपुर से पचास किलोमीटर दूर बसे मेनार गांव की. यहां पिछले पांच सौ सालो से अजीब तरीके की होली मनाई जाती है. पूरी दुनिया में ये गांव बर्ड विलेज के नाम से मशहूर है. यहां के लोग अपने पूर्वजों की बहादुरी की याद में गोली-बारूद के साथ होली मनाते हैं. बात अगर इतिहास की करें तो मेनार गांव द्वारा मुगलों की सेना को शिकस्त देने की याद में इस तरह से होली मनाई जाती है.
इस साल होगा अनोखा सेलिब्रेशनमेनार गांव में इस साल 13 मार्च को होलिका दहन किया जाएगा. इसके बाद चौदह को धुलंडी और 15 को जमरा बीज मनाया जाएगा. होली के दिन पांच हांस मोहल्ले के लोग ओंकारेश्वर चौक पर आएंगे. इस दौरान सभी मेवाड़ी योद्धा की पोशाक में तैयार होंगे. ढोल की थाप पर हवाई फायर किए जाएंगे और तोप से गोले छोड़े जाएंगे. आधी रात तलवारबाजी की जाएगी.
First Published :
March 12, 2025, 11:14 IST
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यहां रंग-अबीर नहीं, गोला-बारूद से खेलते हैं होली, हर तरफ होती है ठांय-ठांय