क्या स्क्रीन पर ज्यादा समय बिताने से बढ़ सकता है बच्चों का वजन?

Last Updated:March 08, 2025, 23:38 IST
बच्चों में बढ़ते स्क्रीन टाइम से मोटापा और स्वास्थ्य समस्याएं बढ़ रही हैं. डॉ. सुखविंदर सिंह सग्गू के अनुसार, गतिहीन जीवनशैली और अस्वास्थ्यकर खान-पान इसके मुख्य कारण हैं. स्क्रीन टाइम कम करने, बाहरी गतिविधियों …और पढ़ें
माता-पिता और देखभाल करने वाले बच्चों की स्क्रीन-टाइम सीमा निर्धारित करें.
हाइलाइट्स
स्क्रीन टाइम बढ़ने से बच्चों में मोटापा बढ़ रहा है.गतिहीन जीवनशैली और अस्वास्थ्यकर खान-पान मुख्य कारण हैं.माता-पिता स्क्रीन-टाइम सीमा निर्धारित करें.
आज लगभग हर दूसरे अभिभावक का दर्द एक ही है। स्कूल से लेकर घर तक स्क्रीन टाइम काफी बढ़ गया है. पहले जहां आंखों पर लगे मोटे चश्मे माता-पिता की फिक्र बढ़ाते थे, वहीं अब विभिन्न रिसर्च में दावा किया जा रहा है कि ये बढ़ते वजन और मोटापे का कारण है. आखिर स्क्रीन टाइम का असर वजन पर कैसे पड़ता है? दिल्ली के सी.के. बिड़ला अस्पताल में मिनिमल एक्सेस, जीआई और बैरिएट्रिक सर्जरी के निदेशक डॉ. सुखविंदर सिंह सग्गू ने कहा कि स्क्रीन टाइमिंग और बढ़ते वजन के बीच संबंध है.
उन्होंने कहा, “बच्चों में वजन बढ़ने का एक बड़ा कारण स्क्रीन पर जरूरत से ज्यादा समय बिताना है। और इसका मुख्य कारण गतिहीन जीवनशैली और अस्वास्थ्यकर खान-पान की आदतें हैं. स्मार्टफोन, टैबलेट, टेलीविजन और गेमिंग कंसोल पर लंबे समय तक बिताने से शारीरिक गतिविधि कम हो जाती है, जिससे ऊर्जा की खपत कम होती है.”
चिकित्सक इससे शारीरिक ही नहीं, बच्चे की मनस्थिति पर पड़ने वाले दुष्परिणाम की भी बात करते हैं. कहते हैं, “अध्ययनों से पता चला है कि जो बच्चे स्क्रीन पर बहुत समय बिताते हैं, वे अक्सर अनहेल्दी विकल्पों को बढ़ावा देने वाले विज्ञापनों से प्रभावित होकर उच्च कैलोरी वाले प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थ खाते हैं.”
शोध में पता चलता है कि स्क्रीन पर बहुत ज्यादा समय बिताने से नींद के पैटर्न में गड़बड़ी हो सकती है, जिससे मेटाबॉलिज्म प्रभावित हो सकता है और मोटापे का जोखिम बढ़ सकता है. बाहर खेलने और सामाजिक मेलजोल की कमी से समस्या और बढ़ जाती है, जिससे मांसपेशियों का विकास कम होता है और कुल मिलाकर फिटनेस खराब होती है.
डॉ. सग्गू इसके रिस्क को कम करने का परामर्श देते हैं. उन्होंने कहा, “माता-पिता और देखभाल करने वाले स्क्रीन-टाइम सीमा निर्धारित करके, बाहरी गतिविधियों को प्रोत्साहित करके और संतुलित पोषण को बढ़ावा देकर इन जोखिमों को कम कर सकते हैं. भोजन और सोने के समय टेक्निक-फ्री जोन बनाने से भी स्क्रीन के संपर्क को नियंत्रित करने में मदद मिल सकती है.”
2018 में वर्ल्ड कैंसर रिसर्च फंड के एक शोध में दावा किया गया कि बढ़े वजन वाले बच्चों को कैंसर होने के चांसेस ज्यादा होते हैं. इसमें कहा गया कि बच्चों के बढ़ते वजन और मोटापे का एक अहम कारण स्क्रीन पर अधिक समय बिताना है. इसमें खासतौर पर कहा गया कि अधिक वजन और मोटापे से पीड़ित बच्चों के वयस्क होने पर भी ऐसा ही रहने की आशंका अधिक होती है, और ऐसे बच्चों को ही कैंसर का रिस्क ज्यादा होता है.
First Published :
March 08, 2025, 23:38 IST
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