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क्या मामूली फ्लू फिर से जगा सकता है ‘कैंसर’? हार्वर्ड और अल्बर्ट आइंस्टीन कॉलेज की नई रिसर्च ने बढ़ाई चिंता

Last Updated:December 24, 2025, 16:49 IST

Flu Breast Cancer Recurrence: एक नई रिसर्च में चौंकाने वाला खुलासा सामने आया है. इस वैज्ञानिक रिसर्च के मुताबिक फ्लू और कोविड-19 जैसे वायरस के कारण फेफड़ों में सोई हुई कैंसर कोशिकाओं को दोबारा सक्रिय कर सकते हैं. ऐसे में जो लोग पहले से कैंसर के मरीज हैं और उन्हें कैंसर अब ठीक हो गया है, उनके लिए यह खतरा बढ़ जाता है.क्या मामूली फ्लू फिर से जगा सकता है 'कैंसर'? नई रिसर्च ने बढ़ाई चिंताफ्लू से ब्रेस्ट कैंसर दोबारा पनपने की आशंका. (सांकेतिक तस्वीर)

Health News: ब्रेस्ट कैंसर से उबरना किसी जंग से कम नहीं है लेकिन क्या होगा कि अगर किसी को कैंसर ठीक हो जाने के बाद फिर से कैंसर हो जाए. दरअसल, हाल ही में ‘नेचर’ जर्नल में प्रकाशित एक रिसर्च के अनुसार इन्फ्लूएंजा और कोविड जैसे सांस के संक्रमण के कारण शरीर के अंगों में सो रही कैंसर कोशिकाओं को दोबारा जगा सकते हैं. यह खोज इस गुत्थी को सुलझाती है कि क्यों इलाज के कई सालों बाद अचानक कैंसर शरीर में दोबारा फैल जाता है.

कैसे जागते हैं ‘सोए हुए’ कैंसर सेल्स?

हार्वर्ड और अल्बर्ट आइंस्टीन कॉलेज के शोधकर्ताओं की रिसर्च में पाया गया है कि ब्रेस्ट कैंसर के इलाज के बाद अक्सर कुछ कैंसर कोशिकाएं शरीर के दूसरे अंगों, जैसे फेफड़े, हड्डियों या लिवर में जाकर छिप जाती हैं और सुप्त अवस्था में चली जाती हैं. ये कोशिकाएं सालों तक शांत रहती हैं और किसी भी टेस्ट में नजर नहीं आतीं. लेकिन वैज्ञानिकों ने पाया कि जब हमें फ्लू या कोविड जैसा वायरल इन्फेक्शन होता है, तो हमारा शरीर इनसे लड़ने के लिए भारी सूजन और इंटरल्यूकिन-6 (IL-6) जैसे प्रोटीन पैदा करता है. यही सूजन इन सोई हुई कोशिकाओं के लिए अलार्म क्लॉक का काम करती है और उन्हें तेजी से बढ़ने के लिए उकसाती है.

चूहों पर हुई स्टडी के चौंकाने वाले नतीजे
नेचर जर्नल के मुताबिक वैज्ञानिकों ने इसके लिए चूहों के मॉडल पर रिसर्च की, जिनमें ब्रेस्ट कैंसर की कोशिकाएं फेफड़ों में सोई हुई थीं. जब इन चूहों को फ्लू यानी इंफ्लूएंगा ए के वायरस से संक्रमित किया गया तो महज 15 दिनों के भीतर फेफड़ों में कैंसर कोशिकाओं की संख्या 100 से 1000 गुना तक बढ़ गई. रिसर्च में देखा गया कि संक्रमण के कारण फेफड़ों का वातावरण बदल गया, जिससे कैंसर कोशिकाओं को फैलने के लिए अनुकूल जगह मिल गई. चौंकाने वाली बात यह थी कि वायरस खत्म होने के दो महीने बाद भी ये कैंसर कोशिकाएं शरीर में सक्रिय बनी रहीं.

इंसानों के डेटा ने भी की पुष्टि

यह खतरा सिर्फ चूहों तक सीमित नहीं है. वैज्ञानिकों ने ब्रिटेन के बायोबैंक के डेटाबेस से हजारों कैंसर सरवाइवर्स के रिकॉर्ड का विश्लेषण किया. इसमें पाया गया कि जिन कैंसर मरीजों को कोरोना हुआ था, उनमें संक्रमण न होने वाले मरीजों की तुलना में कैंसर से मौत और फेफड़ों में मेटास्टेसिस (कैंसर का फैलाव) का खतरा काफी ज्यादा था. यह साबित करता है कि महामारी के दौरान कैंसर से बढ़ी मौतों का एक बड़ा कारण वायरल इन्फेक्शन भी था.

क्यों बढ़ जाता है मौत का खतरा

रिसर्च के अनुसार, वायरल इन्फेक्शन के दौरान शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता यानी टी सेल्स में भी बदलाव आता है. फेफड़ों में मौजूद कुछ कोशिकाएं कैंसर कोशिकाओं को खत्म करने वाली कोशिकाओं को काम करने से रोक देती हैं. इससे कैंसर कोशिकाओं को शरीर की नजरों से बचकर बढ़ने का मौका मिल जाता है. वैज्ञानिकों का कहना है कि यह खोज भविष्य में उन दवाओं को बनाने में मदद करेगी जो इन्फेक्शन के दौरान IL-6 प्रोटीन को रोक सकें, ताकि कैंसर सरवाइवर्स में इसके दोबारा फैलने के खतरे को कम किया जा सके.

About the AuthorLakshmi Narayan

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First Published :

December 24, 2025, 16:49 IST

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