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क्या बिल्डर के दिवालिया होने के बाद भी मिल सकता है फ्लैट? नोएडा में 1918 परिवारों को कैसे मिल रहा घर? जान लें जरूरी बात 1918 families of greater noida are getting flats back after builder insolvency what is Reverse Insolvency that giving homes property updates

What is reverse insolvency in property: अक्सर आपने बिल्डरों के दिवालिया होने की बातें सुनी होंगी. जब भी किसी हाउसिंग प्रोजेक्ट पर इनसाल्वेंसी लागू होती है तो सीधे-सीधे अर्थ में बिल्डर तो दिवालिया होता ही है, निर्माण कार्य बंद और खरीदारों की वर्षों की जमा पूंजी अंधेरे में चली जाती है. ऐसी स्थिति में आम तौर पर फ्लैट मिलने की उम्मीद लगभग खत्म हो जाती है. हजारों परिवारों के सपनों पर ताला लग जाता है, ईएमआई चलती रहती है, किराया भी देना पड़ता है और समाधान का कोई रास्ता दिखाई नहीं देता. लेकिन सवाल है कि क्या बिल्डर के दिवालिया होने के बाद भी फ्लैट मिल सकता है या नहीं?

हाल ही में ग्रेटर नोएडा में बिल्डर के दिवालिया घोषित होने के बाद भी 1918 परिवारों को उनके सपनों का घर मिलने जा रहा है. आखिर कैसे? आइए जानते हैं. बता दें कि इस अंधकार में एक प्रक्रिया खरीदारों के लिए उम्मीद की किरण बनती है और वह है रिवर्स इन्सॉल्वेंसी. यानि एक ऐसा मॉडल जो रुके हुए प्रोजेक्ट में फिर से जान डाल सके और उन खरीदारों को उनका घर दिला दे जो सब कुछ खो देने की कगार पर थे, इसे रिवर्स इनसाल्वेंसी कहा जाता है.

रिवर्स इनसाल्वेंसी क्या है और कैसे काम करती है? रिवर्स इनसाल्वेंसी वह प्रक्रिया है जिसमें प्रोजेक्ट को दिवालिया घोषित करने के बाद बिल्डर को ही प्रोजेक्ट पूरा करने का अवसर दिया जाता है. यह सामान्य इनसाल्वेंसी से बिल्कुल उलट है, जहां बिल्डर को प्रोजेक्ट से बाहर कर दिया जाता है और किसी बाहरी कंपनी को पूरा करने की जिम्मेदारी मिलती है. रिवर्स इनसाल्वेंसी में न्यायालय खरीदारों, वित्तीय संस्थानों और सभी हितधारकों की सहमति से बिल्डर को कड़ी निगरानी, पारदर्शी वित्तीय नियंत्रण और सख्त समयसीमा के साथ प्रोजेक्ट पुनर्जीवित करने देता है.

इस दौरान इंटरिम रेजोल्यूशन प्रोफेशनल (आईआरपी) पूरे निर्माण, खर्च और प्रगति की निगरानी करता है. यह मॉडल उन प्रोजेक्ट्स के लिए बनाया गया है जहां बिल्डर की नीयत सही होती है लेकिन परिस्थितियां प्रतिकूल हो जाती हैं और प्रोजेक्ट फंस जाता है. इस मॉडल का उद्देश्य प्रोजेक्ट को फिर से चालू कर खरीदारों को उनका घर दिलाना है, न कि केवल बिल्डर को दंडित करना. सुप्रीम कोर्ट द्वारा इस मॉडल को समर्थन मिलना इसकी सबसे बड़ी मजबूती है.

ग्रेटर नोएडा का पहला प्रोजेक्ट जहां 1918 लोगों को मिलेगा घर इसी मॉडल के तहत ग्रेटर नोएडा वेस्ट का आरजी लग्जरी होम्स गौतम बुद्ध नगर का पहला ऐसा प्रोजेक्ट बन गया है, जहां इनसाल्वेंसी के बावजूद सभी खरीदारों को उनका घर मिलने जा रहा है. आरजी ग्रुप ने बताया कि सेक्टर 16बी स्थित आरजी लग्ज़री होम्स के टावर जी और एच, जिनमें कुल 464 फ्लैट्स हैं, को ऑक्यूपेंसी सर्टिफिकेट मिल गया है. जल्द ही इन टावरों के फ्लैट्स की रजिस्ट्री और पजेशन शुरू होगा. इससे पहले टावर ए, बी, सी और एम के 854 यूनिट्स और टावर डी, ई और एफ के 600 फ्लैट्स को भी ऑक्यूपेंसी सर्टिफिकेट मिला था. इस तरह फेज 1 के कुल 1918 खरीदारों के लिए रास्ता साफ हो गया है.

कब हुआ था दिवालिया? आरजी लग्जरी होम्स अठारह दशमलव पांच एकड़ में फैला प्रोजेक्ट है जिसमें तेरह रिहायशी टावर शामिल हैं. सितंबर 2019 में इस प्रोजेक्ट के फेज 1 को इनसाल्वेंसी प्रक्रिया में भेज दिया गया था, जिससे सभी 1918 यूनिट्स प्रभावित हुए और खरीदारों की उम्मीद लगभग खत्म हो चुकी थी. प्रक्रिया के अनुसार एक अंतरिम रेजोल्यूशन प्रोफेशनल नियुक्त किया गया. जुलाई 2021 में परियोजना को पुनर्जीवित करने का कार्य शुरू हुआ. प्रमोटर ने प्रोजेक्ट पूरा करने की प्रतिबद्धता जताते हुए विस्तृत रेस्टोरेशन प्लान प्रस्तुत किया जिसमें वित्तीय व्यवस्था और समयसीमा का स्पष्ट रोडमैप दिया गया था. खरीदारों, वित्तीय संस्थानों, ग्रेटर नोएडा प्रशासन और एनसीएलटी द्वारा नियुक्त आईआरपी सभी ने इस प्रस्ताव का समर्थन किया.

दोबारा शुरू हुआ काम, अब मिल गया ओसी सभी हितधारकों की निगरानी और समर्थन के साथ अक्टूबर 2021 में निर्माण कार्य दोबारा शुरू हुआ और सिर्फ दो वर्षों में पूरे प्रोजेक्ट को पूरा कर दिया गया.

हिमांशु गर्ग निदेशक आरजी ग्रुप ने कहा कि पूरे फेज 1 का ऑक्यूपेंसी सर्टिफिकेट प्राप्त करना और 1918 परिवारों को घर देना इनसाल्वेंसी के समय लगभग असंभव लग रहा था. खरीदारों और सभी हितधारकों के समर्थन ने उन्हें प्रोजेक्ट पूरा करने की ताकत दी.

वहीं मनोज कुलश्रेष्ठ आईआरपी ने कहा कि जब कई रियल एस्टेट प्रोजेक्ट वर्षों तक एनसीएलटी में अटके रहते हैं, ऐसे समय में आरजी लग्ज़री होम्स को समय पर पूरा करना एक ऐतिहासिक उपलब्धि है. प्रमोटर ने निजी संपत्तियां बेचकर भी निर्माण गुणवत्ता से समझौता किए बिना प्रोजेक्ट को पूरा किया है.

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