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Canada issued advisory to its citizens, do not go to marginal states | कनाडा ने जारी की अपने नागरिकों को एडवाइजरी, भारत में पंजाब, राजस्थान और गुजरात जैसे सीमांत राज्यों में न जाएं

भारत की हेट क्राइम एडवाइजरी के बाद उठाया कदम
ऐसे में माना जा रहा है कि कनाडा में हेट क्राइम की आशंका को लेकर भारतीयों के लिए सरकार की ओर से जारी एडवाइजरी के जवाब में यह कदम उठाया गया है। इसलिए कनाडा सरकार के फैसले पर सवाल उठ रहे हैं। कनाडा सरकार ने 27 सितंबर को अपनी वेबसाइट पर जारी की गई एडवाइजरी में कहा है कि वे भारत दौरे के वक्त पूरे देश में ही सावधानी से यात्रा करें। कनाडा ने अपनी एडवाइजरी में कहा है कि भारत के हर इलाके में आतंकवादी हमलों का खतरा है। हालांकि लद्दाख को इससे बाहर रखा गया है।

canada_advise.jpgindia_travel_advisory_by_canada.jpgइन क्षेत्रों में बिल्कुल न जाएं! कनाडा ने अपने नागरिकों को सलाह दी है कि वे मणिपुर और असम जैसे पूर्वोत्तर के राज्यों में जरूरी न हो तो न जाएं। कनाडा ने कहा कि इन दोनों राज्यों में आतंकवाद और विद्रोहियों के हमलों का खतरा है। दरअसल 23 सितंबर को ही भारत सरकार ने एडवाइजरी जारी करके कनाडा में रह रहे अपने नागरिकों और छात्रों को सलाह दी थी कि वे हेट क्राइम और भारत विरोधी गतिविधियों को देखते हुए सावधान रहें। माना जा रहा है कि कनाडा को यह एडवाइजरी नागवार गुजरी है और उसके जवाब में ही उसने यह आदेश जारी किया है।

मोदी सरकार विदेशों में हिंदुओं पर हमलों की कर रही निगरानी बता दें, केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार कनाडा और ब्रिटेन में सिख कट्टरपंथ, मंदिरों पर हमले और हिंदू धर्म के प्रतीकों के तोड़फोड़ की बढ़ती घटनाओं की बारीकी से निगरानी कर रही है। इसको लेकर जल्द ही दोनों देशों को एक संदेश भी भेजने पर विचार कर रही है। भारत ने लीसेस्टर में भारतीय समुदाय के खिलाफ हुई हिंसा को लेकर कड़ा विरोध जताया है। इसको लेकर ब्रिटेन के अधिकारियों के समक्ष विरोध दर्ज कराया गया है। सरकार ने इस बात को भी संज्ञान में लिया है कि कैसे ब्रिटिश सुरक्षा एजेंसियां अलगाववाद को बढ़ावा देने के लिए सिख कट्टरपंथियों द्वारा धन संग्रह को नजरअंदाज कर रही है। भारत के विदेश मंत्री सुब्रह्मण्यम जयशंकर और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने दोनों देशों की घटनाओं पर संज्ञान लिया है।

कनाडा के कथित जनमत संग्रह पर ट्रूडो सरकार से मोदी सरकार नाराज कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने यूक्रेन के कब्जे वाले क्षेत्रों में रूस द्वारा कराए जाने वाले “जनमत संग्रह” की कड़ी निंदा की है। लेकिन, उन्होंने 19 सितंबर को ब्रैम्पटन और ओंटारियो में प्रतिबंधित “सिख फॉर जस्टिस” संगठन द्वारा आयोजित तथाकथित जनमत संग्रह पर आंखें मूंद ली हैं। नरेंद्र मोदी सरकार ने ग्लोबल अफेयर्स कनाडा को तीन राजनयिक संदेश भेजे हैं। ट्रूडो सरकार से अवैध जनमत संग्रह को रोकने के लिए कहा था।

ट्रूडो सरकार ने 16 सितंबर को मोदी सरकार को जवाब देते हुए कहा है कनाडा भारत की क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता का सम्मान करता है और इस तथाकथित जनमत संग्रह को मान्यता नहीं देता है। यूक्रेन के मामले की तरह कट्टरपंथी सिखों द्वारा आयोजित जनमत संग्रह की पीएम ट्रूडो द्वारा कोई निंदा नहीं की गई। ट्रूडो सरकार ने अपनी प्रतिक्रिया में कहा कि कनाडा में व्यक्तियों को इकट्ठा होने और अपने विचार व्यक्त करने का अधिकार है।

कनाडा की प्रतिक्रिया में यह भी कहा गया है कि वे ओंटारियो के ब्रैम्पटन में स्वामीनारायण मंदिर में हाल ही में हुई बर्बरता से व्यथित हैं। रॉयल कैनेडियन माउंटेड पुलिस के साथ सभी जानकारी साझा की गई है।

आपको बता दें कि सिख कट्टरपंथी आंदोलनों को इन दोनों देशों में वित्त पोषित किया जाता है। कनाडा को पंजाब के गैंगस्टरों का केंद्र भी माना जता है। भारत ने न केवल ब्रिटेन, कनाडा बल्कि अमेरिका को भी यह स्पष्ट कर दिया है कि भारत विरोधी सिख कट्टरपंथियों के खिलाफ कार्रवाई न करना मिलीभगत के समान है।

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