कनाडा चुनाव: मार्क कार्नी की जीत से भारत-कनाडा रिश्तों में सुधार की उम्मीद

Last Updated:April 30, 2025, 06:44 IST
Mark Carney and India Canada Relations: मार्क कार्नी के नेतृत्व में लिबरल पार्टी ने कनाडा में शानदार जीत हासिल की है. उन्होंने भारत को महत्वपूर्ण साझेदार बताया है. ऐसे में खालिस्तान समर्थकों को लेकर विवाद के बा…और पढ़ें
कनाडा में मार्क कार्नी के नेतृत्व में लिबरल पार्टी को शानदान जीत मिली है.
हाइलाइट्स
मार्क कार्नी की जीत से भारत-कनाडा संबंधों में सुधार की उम्मीद.कार्नी ने भारत को महत्वपूर्ण साझेदार बताया, व्यापार बढ़ाने पर जोर.खालिस्तान मुद्दे पर संतुलन बनाना कार्नी के लिए बड़ी चुनौती.
कनाडा में हुए संघीय चुनाव में मार्क कार्नी के नेतृत्व में लिबरल पार्टी ने शानदार जीत हासिल की है. इस जीत ने भारत और कनाडा के बीच बने तनावपूर्ण रिश्तों में सुधार की उम्मीदें जगाई है. कार्नी की पहचान एक राजनेता से ज्यादा एक आर्थिक विशेषज्ञ की है. वह बैंक ऑफ इंग्लैंड के पूर्व गवर्नर रह चुके हैं. जीत के बाद उन्होंने भारत को एक महत्वपूर्ण साझेदार बताया है. लेकिन सवाल यह है कि क्या उनकी जीत वाकई दोनों देशों के बीच लंबे समय से चल रहे तनाव को कम कर पाएगी.
दरअसल, पिछले कुछ वर्षों में भारत और कनाडा के बीच संबंध कई कारणों से तनावपूर्ण रहे हैं. सबसे बड़ा विवाद 2023 में खालिस्तानी नेता हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के बाद शुरू हुआ. कनाडा ने इस हत्या में भारत सरकार की परोक्ष संलिप्तता का आरोप लगाया. हालांकि भारत ने सिरे से खारिज कर दिया था. इसके बाद दोनों देशों ने एक-दूसरे के राजनयिकों को निष्कासित किया और व्यापार वार्ताएं भी रुक गईं. पूर्व पीएम जस्टिन ट्रूडो के नेतृत्व में कनाडा की नीतियों को भारत ने खालिस्तान समर्थकों के अनुकूल माना. इससे रिश्तों में और खटास आई. इस तनाव ने व्यापार, निवेश और कूटनीति पर नकारात्मक असर डाला.
मार्क कार्नी की सोचमार्क कार्नी की जीत से इस स्थिति के बदलने की संभावना है. कार्नी ने अपनी जीत के बाद भारत के साथ रिश्तों को अत्यंत महत्वपूर्ण बताते हुए इसको फिर से सुधारने की इच्छा जताई है. आर्थिक मामलों के जानकार मार्क कार्नी भारत जैसे उभरते आर्थिक शक्ति के साथ सहयोग बढ़ाने चाहते हैं. कार्नी ने भारत के साथ व्यापार और निवेश को बढ़ाने पर जोर दिया है.खासकर स्वच्छ ऊर्जा, प्रौद्योगिकी और शिक्षा जैसे क्षेत्रों में वह सहयोग के हिमायती हैं.
जीत के बाद मार्क कार्नी अपनी पत्नी डियाना के साथ.
भारत और कनाडा के बीच 2023 में द्विपक्षीय व्यापार 8.37 बिलियन डॉलर का था. कार्नी की नीतियां इस आंकड़े को और बढ़ा सकती हैं. भारत की तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था और कनाडा की प्रौद्योगिकी और संसाधन-आधारित अर्थव्यवस्था से एक-दूसरे को सहयोग मिल सकता है. कार्नी ने कनाडा में भारतीय डायस्पोरा की भूमिका को भी सराहा है. यह समुदाय दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक और आर्थिक सेतु का काम करता है.
भारत की प्रतिक्रियाप्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कार्नी की जीत पर उन्हें बधाई दी और दोनों देशों के बीच साझा लोकतांत्रिक मूल्यों और लोगों के बीच संबंधों पर जोर दिया. भारत ने हमेशा कनाडा के साथ मजबूत रिश्तों की वकालत की है, लेकिन वह कनाडा में खालिस्तानी समर्थक गतिविधियों पर कठोर कार्रवाई करने की मांग करता रहता है. कार्नी के व्यावहारिक दृष्टिकोण को भारत में सकारात्मक रूप से देखा जा रहा है, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि रिश्तों को पूरी तरह सामान्य करने में समय लगेगा.
चुनौतियां और अवसरकार्नी के सामने सबसे बड़ी चुनौती खालिस्तान के मुद्दे पर भारत और कनाडा के बीच मतभेद को सुलझाना है. भारत का मानना है कि कनाडा में कुछ खालिस्तान समर्थक समूह उसकी संप्रभुता के लिए खतरा हैं. दूसरी ओर कनाडा अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का हवाला देकर इन पर रोक लगाने से इनकार करता है. कार्नी को इस नाजुक मुद्दे पर संतुलन बनाना होगा. अगर वह भारत की चिंताओं को दूर करने में सफल होते हैं तो यह दोनों देशों के बीच विश्वास बहाली का एक बड़ा कदम होगा.
दूसरी ओर आर्थिक अवसर बहुत बड़े हैं. भारत और कनाडा के बीच व्यापार समझौते को फिर से शुरू करने की संभावना है. कनाडा की कंपनियां भारत के डिजिटल और स्वच्छ ऊर्जा क्षेत्र में निवेश कर सकती हैं, जबकि भारत कनाडा से प्राकृतिक संसाधन और प्रौद्योगिकी आयात कर सकता है. शिक्षा भी एक महत्वपूर्ण क्षेत्र है, क्योंकि कनाडा में हर साल हजारों भारतीय छात्र पढ़ने जाते हैं. कार्नी की नीतियां इन क्षेत्रों में सहयोग को और मजबूत कर सकती हैं.
First Published :
April 30, 2025, 06:44 IST
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भारत-कनाडा के रिश्तों पर जमी बर्फ पिघलेगी; कार्नी की जीत से खत्म होगी तनातनी?