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मेवाड़ पूर्व राजपरिवार में संपत्ति विवाद, अरविंद सिंह की वसीयत को बेटियों ने दी चुनौती, अब दिल्ली में सुनवाई

उदयपुर. मेवाड़ पूर्व राजपरिवार के दिवंगत सदस्य अरविंद सिंह मेवाड़ की स्व-अर्जित संपत्तियों को लेकर पारिवारिक विवाद अब सुप्रीम कोर्ट से होते हुए दिल्ली हाईकोर्ट तक पहुंच गया है. स्व. अरविंद सिंह मेवाड़ की पंजीकृत वसीयत के अनुसार उनकी समस्त स्व-अर्जित संपत्तियों के एकमात्र उत्तराधिकारी उनके इकलौते पुत्र डॉ. लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ हैं, लेकिन इस वसीयत को लेकर उनकी दोनों बेटियों पद्मजा कुमारी परमार और भार्गवी कुमारी ने कानूनी चुनौती दी है.

प्रकरण के अनुसार, अरविंद सिंह मेवाड़ ने 7 फरवरी 2025 को अपनी अंतिम वसीयत निष्पादित कराई थी, जिसे उपपंजीयक कार्यालय, उदयपुर में विधिवत पंजीकृत कराया गया. इस वसीयत में उन्होंने अपनी सभी स्व-अर्जित संपत्तियों का एकमात्र वारिस अपने पुत्र डॉ. लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ को घोषित किया था. हालांकि, इस निर्णय से असहमति जताते हुए उनकी छोटी बेटी पद्मजा कुमारी परमार ने मुंबई उच्च न्यायालय में वसीयत को चुनौती दी, जिसमें बड़ी बेटी भार्गवी कुमारी भी याचिकाकर्ता के रूप में शामिल हुईं.

मुंबई और जोधुपर में दो अलग-अलग याचिका है दर्ज

वहीं दूसरी ओर, डॉ. लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ ने उक्त पंजीकृत वसीयत के आधार पर राजस्थान उच्च न्यायालय, जोधपुर में प्रशासन पत्र (लेटर ऑफ एडमिनिस्ट्रेशन) जारी किए जाने को लेकर दावा पेश किया. एक ही वसीयत से जुड़े मामलों का अलग-अलग उच्च न्यायालयों मुंबई और जोधपुर में लंबित होना कानूनी दृष्टि से जटिल स्थिति बन गया. इसी कारण डॉ. लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर मुंबई हाईकोर्ट में लंबित मुकदमे को जोधपुर हाईकोर्ट स्थानांतरित करने की मांग की. इसके विपरीत, पद्मजा कुमारी और भार्गवी कुमारी ने जोधपुर हाईकोर्ट में चल रहे मुकदमे को मुंबई हाईकोर्ट स्थानांतरित करने की अर्जी दाखिल की.

अब दिल्ली हाईकोर्ट में होगी मामलों की सुनवाई

इन दोनों स्थानांतरण याचिकाओं पर बुधवार को सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली पीठ में सुनवाई हुई. सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने अहम आदेश पारित करते हुए वसीयत से संबंधित जोधपुर और मुंबई हाईकोर्ट में लंबित सभी मुकदमों को दिल्ली उच्च न्यायालय में स्थानांतरित करने का निर्देश दिया. सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि एक ही वसीयत से जुड़े सभी मामलों की सुनवाई एक ही न्यायालय में होना न्यायहित में है. अदालत ने सभी पक्षकारों को 12 जनवरी 2026 को दिल्ली हाईकोर्ट में उपस्थित होने के निर्देश भी दिए हैं. अब इस पंजीकृत वसीयत से उत्पन्न सभी कानूनी विवादों की सुनवाई दिल्ली उच्च न्यायालय में ही होगी.

स्व. अरविंद सिंह मेवाड़  की बेटियों ने यहां मांगी है हिस्सेदारी

बताया जा रहा है कि पद्मजा कुमारी और भार्गवी कुमारी ने अपने मुकदमों में स्व. अरविंद सिंह मेवाड़ की स्व-अर्जित संपत्तियों में हिस्सेदारी की मांग की है. इनमें मुंबई स्थित मेवाड़ हाउस की छठी मंजिल का आधा हिस्सा, मुंबई का डायजीलिया हाउस का कुछ भाग, उदयपुर के शिकारबाड़ी क्षेत्र की भूमि सहित अन्य संपत्तियां शामिल हैं. इस पूरे मामले ने न केवल मेवाड़ पूर्व राजपरिवार के भीतर कानूनी हलचल बढ़ा दी है, बल्कि देशभर में चर्चित राजपरिवारों की संपत्ति और उत्तराधिकार से जुड़े मामलों पर भी एक बार फिर ध्यान आकर्षित किया है. आगे की सुनवाई में यह देखना अहम होगा कि दिल्ली हाईकोर्ट इस पंजीकृत वसीयत और दावों पर क्या रूख अपनाता है.

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