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कैंसर ट्रेन ने बदल दी जिंदगी! 74 वर्षीय किसान लालाराम बने जैविक खेती के मिसाल, अब तक 7000 किसानों को जोड़ा

Last Updated:October 31, 2025, 13:57 IST

Agriculture Story : राजस्थान के फलोदी के 74 वर्षीय किसान लालाराम डूडी ने जब पंजाब में कैंसर ट्रेन देखी, तो उनकी सोच ही बदल गई. उन्होंने ठान लिया कि अब रसायन नहीं, सिर्फ जैविक खेती करेंगे. आज वे देशभर में किसानों को जैविक खेती का महत्व समझा चुके हैं और अब तक 7000 से अधिक किसानों को इस अभियान से जोड़ चुके हैं.

पाली : कृषि के क्षेत्र में राजस्थान के ऐसे कई किसान हैं जो जैविक खेती को अपनाकर इसके महत्व को समझ रहे हैं मगर इनमें से एक किसान ऐसा भी है जिन्होंने न केवल खुद ने जैविक खेती का महत्व समझा बल्कि देश के अलग-अलग हिस्सो में जाकर और लोगों को भी इसके महत्व के बारे में समझाने का काम कर रहे हैं. हम बात कर रहे हैं किसान लालाराम डूडी की जो भले ही बुजुर्ग हो चुके है मगर आज भी जैविक खेती के महत्व को समझाने से पीछे नहीं हटते.

जैविक किसान के रूप में लालाराम देश ही नहीं बल्कि विदेश में काफी प्रसिद्ध हैं. एक समय था जब लालाराम डूडी पंजाब और हरियाणा में खेती का काम किया करते थे. 13 साल तक वहां रहकर खेती का काम किया और इस दौरान उन्हें पता चला कि फसलों में यूरिया सहित अन्य रसायन का उपयोग किया जा रहा है, जिससे कैंसर का खतरा बढ़ जाता है. तब ठान लिया कि अब जैविक खेती ही करेंगे. 1998 में लालाराम ने जैविक खेती करना प्रारंभ किया. इसके बाद देश-विदेश में जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए किसानों के बीच जाकर अलख जगाने का काम करते आ रहे हैं.

कैंसर ट्रेन देखी तो जगी जैविक खेती अलख राजस्थान के फलोदी जिले के रहने वाले 74 वर्षीय जैविक किसान लालाराम डूडी की माने तो एक समय था जब हरियाणा और पंजाब में 13 सालों तक खेत में काम किया. एक समय देखा कि वहां से ट्रेन चलती थी जिसको लोग कैंसर ट्रेन कहते थे. इसके बारे में जानकारी एकत्रित तो पता चला कि कैंसर एक बीमारी है. इस ट्रेन से कैंसर के मरीज इलाज कराने के लिए बीकानेर जाते थे. इसके बाद दो साल वहीं रहकर जैविक खेती करना प्रारंभ किया. जिसमें यूरिया सहित अन्य केमिकल का उपयोग नहीं किया. इसका परिणाम यह आया फसलों के उत्पादन क्षमता में वुद्धि हो गई और पूरे गांव में चर्चा में आ गए. इससे जैविक खती करने का जो हौसला मिला, वह अब भी जारी है.

सात हजार से अधिक किसानों को दे चुके सीखलालाराम डूडी न केवल खुद बल्कि अभियान इस जैविक खेती के अभियान को अपने खेतों से निकालकर दूसरे राज्यो में भी जागरूक करने का काम कर चुके हैं और यही वजह है कि उन्होंने अपने साथ अब तक सात हजार से अधिक किसानों को जोड़ लिया है. उन्होंने जैविक खेती के लिए अपने क्षेत्र में काम छेड़ा हुआ है. अब तक सात हजार किसानों को इससे जोड़ चुके हैं. ये किसान पहले खेती में रासायनिक उर्वरकों का इस्तेमाल करते थे, लेकिन धीरे-धीरे अब जैविक पर आ गए हैं. उनका संकल्प है कि आने वाले समय में पूरा राजस्थान खेती के मामले में जैविक जिला बने. किसान लालाराम डूडी ने बताया कि उनका उद्देश्य यही था कि कैंसर बीमारी से लोगों को बचाया जाए. डूडी बताते हैं कि 74 वर्ष हो जाने के बाद भी भारत के अलग-अलग राज्यों में जाते रहते हैं और किसानों को जैविक खेती के महत्व को समझाते हुए उनमें जैविक खेती की अलख जगाने का काम करते हैं.

Rupesh Kumar Jaiswal

रुपेश कुमार जायसवाल ने दिल्ली यूनिवर्सिटी के ज़ाकिर हुसैन कॉलेज से पॉलिटिकल साइंस और इंग्लिश में बीए किया है. टीवी और रेडियो जर्नलिज़्म में पोस्ट ग्रेजुएट भी हैं. फिलहाल नेटवर्क18 से जुड़े हैं. खाली समय में उन…और पढ़ें

रुपेश कुमार जायसवाल ने दिल्ली यूनिवर्सिटी के ज़ाकिर हुसैन कॉलेज से पॉलिटिकल साइंस और इंग्लिश में बीए किया है. टीवी और रेडियो जर्नलिज़्म में पोस्ट ग्रेजुएट भी हैं. फिलहाल नेटवर्क18 से जुड़े हैं. खाली समय में उन… और पढ़ें

First Published :

October 31, 2025, 13:57 IST

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कैंसर ट्रेन देख बदली सोच, 74 वर्षीय लालाराम बने जैविक खेती के मिसाल

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