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राजस्थान का रेगिस्तानी मेवा, विलुप्ति की कगार पर कैर, इससे बनता है चटपटा अचार और सब्जी, जानें वजह

Last Updated:May 09, 2025, 17:28 IST

कैर राजस्थान के नागौर जिले में पाया जाता है और इसे ‘टीट’ भी कहते हैं. कैर की सब्जी और अचार विश्व प्रसिद्ध हैं. यह पौधा रेगिस्तानी क्षेत्रों में उगता है. कैर के पेड़ विलुप्त होने की संभावना है.

भारत में कैर प्रमुख रूप से राजस्थान में पाया जाता है तथा नागौर जिले के मरुस्थलीय क्षेत्र में इसकी मात्रा सबसे अधिक होती है. जिसे राजस्थान में ‘टीट’ भी कहा जाता है और इसकी अचार और सब्जी संपूर्ण विश्व भर में प्रसिद्ध है. क्योंकि ये पौधा राजस्थान में अधिकांश क्षेत्र के रेगिस्तान में विकसित होता है. इसलिए इसकी पैदावार राजस्थान और नागौर जिले में भी सबसे ज्यादा होती है. बता दें कि राजस्थान की स्थानीय भाषा में कैर को ढालु या टीट भी कहते हैं. राजस्थान के निवासी कैर की सब्जी, अचार, कढ़ी या फिर सूखी सब्जी बनाना और खाना पसंद करते हैं.

राजस्थान और नागौर सहित अनेक जिलों में पाए जाने वाला यह फल ‘कैर’ एक मध्यम या छोटे आकार का झाड़ीनुमा पेड़ है और हरे रंग का गोल-गोल फल होता है. वर्तमान में ये जोहड़ अधिकांश वन भूमि के रूप में परिभाषित हैं. परन्तु ये जोहड़ पिछले कुछ वर्षों में सरकारी विकास परियोजनाओं की भेंट चढ़ रहे हैं इसलिए आगामी कुछ वर्षों में कैर के वृक्ष विलुप्त होने की काफी संभावनाएं हैं जैसे कि खीम्प और फोग विलुप्त हो चुके हैं.

कैर का पेड़ 5 से 6 मीटर से लंबाई में पाया जाता है. यह प्राय: सूखे क्षेत्रों में ताल वाली भूमियों पर अधिकांश रूप से पाया जाता है. मुख्य रूप से प्राकृतिक रूप में मिलता है. इसमें दो बार फ़ल लगते हैं: अप्रेल-मई और अक्टूबर में कैर के फलों को स्थानीय भाषा नागौर जेसलमेर, जोधपुर ,जालोर ,पाली, बलोतरा) में इसे केरिया भी कहा जाता है. कैर भारत में प्राय: मुख्य रूप से राजस्थान राज्य में पाया जाता हैं. इसमें लाल रंग के फूल आते हैं वह इसके कच्चे फल की सब्जी बनती है जो राजस्थान सहित भारत और विश्व में भी में बहुत प्रचलित है. कैर के पक्के फलों को राजस्थान में स्थानीय भाषा में ढालु कहते हैं जो स्वादिष्ट होते हैं.

कैर के हरे फ़लों का प्रयोग गर्म पानी में उबालने के बाद सब्जी और विभिन्न मसाले का प्रयोग करके प्रचलित स्वादिष्ट आचार बनाने में किया जाता है. इसका फल जितना छोटा होता उतनी ही सब्जी स्वादिष्ट होती है. इसके सब्जी और आचार अत्यन्त स्वादिष्ट होते हैं. पके लाल रंग के फ़ल खाने के काम आते हैं. हरे फ़ल को सुखाकर इसका उपयोग कढी बनाने में भी किया जाता है. सूखे कैर फ़ल के चूर्ण को नमक के साथ लेने पर तत्काल पेट दर्द में आराम पहुंचाता है. यह पेट दर्द कब्ज आदि में फायदेमंद है.

कैर सांगरी के साथ राजस्थान की सबसे ज्यादा तेल और ज्यादा मसाले के साथ बनने वाली चटपटी सब्जी और आचार है, कैर छोटे छोटे गोल गोल होते हैं, और सांगरी 2-4 इंच लम्बी पतली फली होती हैं. कैर और सांगरी के पेड़ राजस्थान में मिलते हैं. वहां के लोग सीजन में ताजा फलों से कैर, सांगरी की सब्जी बनाते हैं, और बाद के लिये कैर और सांगरी को अच्छी तरह सुखा कर रख लिया जाता है, जब भी इन दोनों को मिलाकर सब्जी बनानी हो इसे पानी या छाछ में भिगो कर बना लिया जाता है. सूखी हुई कैर सांगरी बड़े शहरों में किसी बड़ी किराना स्टोर पर मिल जाते हैं जो की काफी महंगी भी मिलती है, कैर सांगरी को राजस्थान का मेवा भी कहा जाता है. कैर सांगरी इसका स्वाद इतना अच्छा और अलग हैं कि आप इसे बनायेंगे तभी जान पायेंगे.

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