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Chandigarh Mayor Polls Arvind Kejriwal said BJP does not win elections but steals Supreme Court declares AAP Winner | Chandigarh Mayor Polls: भाजपा चुनाव जीतती नहीं है, चोरी करती है-अरविंद केजरीवाल

ऐसे ही यह पूरे देश में कर रहे हैं। कुछ दिन बाद देश में लोकसभा चुनाव होने जा रहा है। 90 करोड़ वोट डाले जाएंगे। ऐसे में अगर 25 फीसदी वोट चोरी होगा तो देश का लोकतंत्र का क्या होगा। यह बात सोचनी चाहिए। भाजपा वाले जनता का मत लिए बिना 370 सीट जीतने का दावा कर रहे हैं। इसके पीछे यही खेल है। चंडीगढ़ मेयर चुनाव ने यह भी बता दिया है कि भाजपा ने जिस तरह से चंडीगढ़ मेयर चुनाव के लिए काउंसलर को जिस तरीके से तोड़ा। इसी तरह से यह पूरे देश में करते हैं। विधायक पक्ष में न आए, सांसद पक्ष में न आए तो फिर ईडी पीछे छोड़ देते हैं। इनकी तोड़फोड़ की राजनीति भी अब जनता के सामने आ गई है।

Chandigarh Mayor Election: उच्चतम न्यायालय का शुक्रिया

उन्होंने अपने सोशल मीडिया एक्स पर लिखा है कि ये केवल भारतीय जनतंत्र और माननीय सुप्रीम कोर्ट की वजह से संभव हुआ। हमें किसी भी हालत में अपने जनतंत्र और स्वायत्त संस्थाओं की निष्पक्षता को बचाकर रखना है। उन्होंने कहा है कि सत्य परेशान हो सकता है लेकिन पराजित नहीं। चंडीगढ़ मेयर चुनाव में जीत आख़िरकार संविधान और लोकतंत्र की हुई। माननीय उच्चतम न्यायालय का बहुत-बहुत शुक्रिया।

Chandigarh Mayor Election: भाजपा को हराया जा सकता है

आम आदमी पार्टी के मुखिया अरविंद केजरीवाल ने प्रेसवार्ता करते हुए कहा कि भारतीय जनता पार्टी को एकता से हराया जा सकता है। हम संगठित हो जाएं। हम एक साथ आ जाएं। हम सभी मेहनत करें। तो स्ट्रेटिज तरीके से काम करके भाजपा को हराया जा सकता है। हम एक साथ आ जाएं तो भाजपा हार जाएगी।

Chandigarh Mayor Election: चुनाव सूची में ही गड़बड़ कर देती है भाजपा

भारतीय जनता पार्टी ईवीएम में गड़बड़ी तो करते ही हैं। यह चुनाव की सूची में पहले ही गड़बड़ कर देते हैं। जनतंत्र को पहले ही हरा देते हैं। भारतीय जनता पार्टी की चोरी पहली बार पकड़ी गई है। पहले सिर्फ कहा जाता था कोई तथ्य या फिर सबूत नहीं था लेकिन चंडीगढ़ मेयर चुनाव में यह चोरी करते हुए पकड़े गए।

Chandigarh Mayor Election: ये था चंडीगढ़ चुनाव का असली गणित

चंडीगढ़ मेयर चुनाव चुनाव का असली गणित आम आदमी पार्टी और कांग्रेस गठबंधन के पक्ष में था। भाजपा के पास 14 पार्षद थे। एक वोट शिरोमणि अकाली दल का था और एक सांसद का वोट था। कुल 16 वोट थे। मेयर बनने के लिए 19 मतों की आवश्यकता था यह संख्या गठबंधन के पास थी लेकिन अचानक पीठासीन अधिकारी अनिल मसीह ने गठबंधन के आठ वोटों को खत्म कर दिया। इसके बाद गणित भाजपा के पक्ष में आ गई। पीठासीन अधिकारी ने 12 वोट के मुकाबले 16 वोट से भाजपा प्रत्याशी मनोज सोनकर को विजयी घोषित कर दिया गया। इसके बाद आम आदमी पार्टी उच्चतम न्यायालय चली गई और 20 फरवरी को ऐतिहासिक फैसला देते हुए परिणाम पलट दिया। इस परिणाम में आम आदमी पार्टी व कांग्रेस के संयुक्त प्रत्याशी कुलदीप कुमार को मेयर पद का विजेता घोषित कर दिया गया।

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