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Chandra Arya News: कनाडा के पूर्व पीएम ट्रूडो ने भारतीय मूल के सांसद चंद्र आर्य का टिकट काटा

Last Updated:March 27, 2025, 07:53 IST

Chandra Arya News: कनाडा के पूर्व पीएम जस्टिन ट्रूडो की पार्टी ने भारतीय मूल के सांसद चंद्र आर्य का टिकट काट दिया है. आर्य भारत से बेहतर संबंध रखने की वकालत करते रहे हैं और खालिस्तानी आंदोलन का विरोध करते हैं.कुर्सी गई पर फितरत नहीं! ट्रूडो ने अपने ही सांसद को दी भारत से दोस्ती की सजा

कनाडा में भारतीय मूल के सांसद चंद्र आर्य पर लगा भारतीय संबंधों का आरोप, ट्रूडो की पार्टी ने चुनाव लड़ने से रोका

हाइलाइट्स

कनाडा की लिबरल पार्टी ने सांसद चंद्र आर्य का टिकट काटा.आर्य भारत से बेहतर संबंध रखने की वकालत करते रहे हैं.आर्य खालिस्तानी आंदोलन का विरोध करते हैं.

Chandra Arya News:  कुछ लोग नीयत से ही ढीठ होते हैं. रस्सी जल जाती है पर बल नहीं जाता. कनाडा के पूर्व पीएम जस्टिन ट्रूडो कुछ ऐसे ही हैं. भारत से वह तो बेहतर संबंध नहीं रख पाए, मगर कनाडा में जिसने ऐसा किया, उसके पर कतरने में लगे हैं. जी हां, भारत से बेहतर संबंध रखने वाले भारतीय मूल के एक सांसद का जस्टिन ट्रूडो की पार्टी ने टिकट काट दिया है. कनाडा की लिबरल पार्टी ने भारतीय मूल के सांसद चंद्र आर्य को पार्टी लीडरशिप के लिए चुनाव लड़ने और उनके ओटावा नेपियन क्षेत्र से दोबारा चुनाव लड़ने के लिए नॉमिनेशन देने से रोक दिया है.

ट्रूडो की पार्टी का यह फैसला इसलिए भी हैरानी भरा है, क्योंकि सांसद चंद्र आर्य का भारत से कनेक्शन है. वह भारतीय मूल के हैं. वह भारत से बेहतर संबंध रखने की वकालत करते रहे हैं. जब भारत और कनाडा के रिश्तों में तल्खी है, तब भी वह भारत से बेहतर संबंध की बात करते रहे हैं. ट्रूडो की पार्टी सांसद चंद्र आर्य पर भारत सरकार से संबंध होने के आरोप लगाती रही है.पिछले साल भारत यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से उनकी मुलाकात का भी जिक्र किया जा रहा है.

भारत से दोस्ती की कीमत चुकानी पड़ी!द ग्लोब एंड मेल की एक रिपोर्ट के मुताबिक, सांसद चंद्र आर्य ने कनाडा और भारत के बीच तल्ख रिश्तों के बावजूद भारत यात्रा की जानकारी कनाडा सरकार को नहीं दी थी. रिपोर्ट में गोपनीय मंजूरी रखने वाले सूत्रों का हवाला दिया गया है. रिपोर्ट में कहा गया है कि कनाडा सरकार और लिबरल पार्टी, दोनों ने ही आर्य को लीडरशिप की रेस और दोबारा चुनाव लड़ने से रोकने की कोई खास वजह नहीं बताई है. सूत्रों ने यह भी खुलासा किया कि कनाडा की खुफिया एजेंसी (CSIS) ने सरकार को सांसद आर्य के भारत सरकार से कथित तौर पर करीबी रिश्तों की जानकारी दी थी. इन रिश्तों में ओटावा में भारतीय उच्चायोग भी शामिल है. सुरक्षा मंजूरी रखने वाले पार्टी अधिकारियों ने भी विदेशी हस्तक्षेप पर एक सामान्य ब्रीफिंग मिलने के बाद आर्य को लेकर चिंता जताई थी.

नियम को ताक पर रख पत्ता काटाइन चिंताओं के बावजूद सांसद चंद्र आर्य को लीडरशिप और नेपियन नॉमिनेशन से हटाने का फैसला पूरी तरह से लिबरल पार्टी ने लिया था. सूत्रों ने बताया कि इसमें CSIS की कोई सीधी सलाह नहीं थी. इस तरह से देखा जाए तो ट्रूडो की पार्टी ने नियमों को ताक पर ख दिया. एक अन्य सूत्र ने बताया कि विदेशी हस्तक्षेप पर नजर रखने वाले पार्टी अधिकारियों को आर्य द्वारा गोपनीय प्रश्नावली में दी गई जानकारी में गड़बड़ी मिली थी. हालांकि, भारतीय मूल के सांसद ने भारत से किसी भी तरह के प्रभाव के आरोपों का खंडन किया है. उन्होंने कहा कि एक सांसद के तौर पर उनका कनाडा और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर राजनयिकों और सरकार के प्रमुखों से नियमित रूप से संपर्क रहा है.

क्यों ट्रूडो की पार्टी है खफा?रिपोर्ट के मुताबिक, सांसद आर्य ने कहा, ‘एक बार भी मैंने ऐसा करने के लिए सरकार से अनुमति नहीं मांगी है और न ही मुझे अनुमति लेने की जरूरत पड़ी है.’ हिंदू धर्म के अनुयायी आर्य का यह भी मानना ​​है कि लिबरल पार्टी की लीडरशिप रेस और नेपियन नॉमिनेशन से उन्हें हटाए जाने की वजह कनाडा में खालिस्तानी आंदोलन के खिलाफ उनका खुलकर विरोध करना है. यह आंदोलन पंजाब में एक अलग सिख राज्य की वकालत करता है. वह खालिस्तानी उग्रवाद के खिलाफ लगातार आवाज उठाते रहे हैं. उनका कहना है कि इस वजह से कनाडा के दक्षिण एशियाई समुदाय में तनाव पैदा हुआ है.

कौन हैं चंद्र आर्य, भारत से क्या कनेक्शनपिछले साल 12 अगस्त को नई दिल्ली का दौरा करने वाले आर्य ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की थी. कनाडाई सांसद ने एक्स पर मोदी के साथ अपनी तस्वीरें भी शेयर की थीं. चंद्र आर्य का जुड़ाव भारत के कर्नाटक से है. उनका जन्म कर्नाटक के तुमकुर जिले के द्वारलू गांव में हुआ. उन्होंने धारवाड़ के कर्नाटक विश्वविद्यालय से एमबीए किया. 2006 में कनाडा जाने के बाद उन्होंने पहले इंडो-कनाडा ओटावा बिजनेस चैंबर के अध्यक्ष के रूप में काम किया और बाद में 2015 के कनाडाई संघीय चुनाव में नेपियन राइडिंग से सांसद बने. उन्हें 2019 और 2021 में भी दोबारा चुना गया. वह कनाडा में हिंदुओं के प्रमुख आवाज हैं. साथ ही खालिस्तानियों को खटकते हैं. कारण की वह लगातार खालिस्तान के खिलाफ आवाज उठाते हैं.

authorimgShankar Pandit

Shankar Pandit has more than 10 years of experience in journalism. Before (Network18 Group), he had worked with Hindustan times (Live Hindustan), NDTV, India News Aand Scoop Whoop. Currently he handle ho…और पढ़ें

Shankar Pandit has more than 10 years of experience in journalism. Before (Network18 Group), he had worked with Hindustan times (Live Hindustan), NDTV, India News Aand Scoop Whoop. Currently he handle ho… और पढ़ें

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Delhi,Delhi,Delhi

First Published :

March 27, 2025, 07:53 IST

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