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सिर्फ 3 महीने मिलता हैं ये फल,पुरुषों के लिए वरदान, खाने से आती है घोड़े जैसी ताकत, जानें और फायदे

Last Updated:April 18, 2025, 06:53 IST

आयुर्वेदाचार्य डॉ. वीरेंद्र कुमार शास्त्री ने बताया कि बबूल की फली का उपयोग शरीर की इम्युनिटी बढ़ाने के लिए किया जाता है. यह दांत और मसूड़ों के लिए लाभकारी औषधि है. इसके अलावा सूखी खांसी में भी आराम देती है.X
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. यह एक तरीके का राजस्थानी व्यंजन है. 

प्रकृति में ऐसे अनेकों पेड़ पौधे पाए जाते हैं जो आयुर्वेद और हिन्दू धर्म दिनों में बहुत उपयोगी होते हैं, ऐसा ही एक पौधा है बबूल, इसे कीकर भी कहा जाता है. यह आयुर्वेद में बहुत उपयोगी माना गया. बबूल के पेड़ की फली, छाल, गोंद और पत्तियाँ सभी औषधीय गुणों से भरपूर होती हैं.

ग्रामीण क्षेत्रों में बबूल की फली की सब्जी भी बनाई जाती है. यह खाने में बहुत टेस्टी होती है. यह एक तरीके का राजस्थानी व्यंजन है. पुराने समय में शरीर की इम्युनिटी बढ़ाने के लिए बाबुल की फली का ही अधिक उपयोग करते थे. आयुर्वेदाचार्य डॉ. वीरेंद्र कुमार शास्त्री ने बताया कि बबूल की फली का काढ़ा बनाकर गरारे करने से गले की खराश में राहत मिलती है, इसके अलावा सूखी खांसी में भी आराम देती है. इसके उपयोग से कई तरह की आयुर्वेदिक दवाइयां भी बनाई जाती है. यह सब्जी गर्मी के मौसम में मिलती है.

बबूल की फली के आयुर्वेदिक फायदे आयुर्वेदाचार्य डॉ. वीरेंद्र कुमार शास्त्री ने बताया कि यह दांत और मसूड़ों के लिए लाभकारी औषधि है. रोजाना बाबुल की फली या दातुन का उपयोग करने से दांत मजबूत होते हैं.मसूड़ों की सूजन और खून आना बंद होता है. इसके अलावा मुह की बदबू भी दूर होती है. इसके अलावा पाचन में सुधार के लिए भी यह बहुत फायदेमंद है. बबूल की फली का चूर्ण लेने से दस्त और पेचिश में आराम मिलता है. यह गैस और अपच की समस्या दूर होती है. आयुर्वेदाचार्य के अनुसार त्वचा रोगों के इलाज के लिए भी बबूल की फली का उपयोग किया जाता है. इसकी फली का लेप या काढ़ा फोड़े-फुंसियों, खुजली और अन्य चर्म रोगों में लगाया जाता है. इसके अलावा यह यौन स्वास्थ्य में सहायक होती है. वहीं, मूत्र संबंधी विकारों में भी इसका उपयोग किया जाता है. बाबुल की फली मूत्रदोष, जलन और संक्रमण को कम करने में मदद करती है. आयुर्वेदाचार्य डॉ. वीरेंद्र कुमार शास्त्री ने बताया कि यौन स्वास्थ्य में भी यह फली सहायक होती है. बाबुल की फली का चूर्ण नपुंसकता जैसी समस्याओं में लाभकारी माना जाता है.

बबूल का धार्मिक महत्व आयुर्वेद के अलावा पूजा और व्रत में भी बबूल के पेड़ का विशेष महत्व है धर्म विशेषज्ञ चंद्रप्रकाश ढांढण ने बताया कि राजस्थान के कई स्थानों पर बबूल को पवित्र वृक्ष माना गया है. इसे घर के पास लगाना शुभ माना जाता है क्योंकि यह नकारात्मक ऊर्जा को दूर करता है. इसके अलावा शनि देव की पूजा में बबूल की लकड़ी और कांटे का उपयोग किया जाता है.  इससे शनि की कुप्रभाव से राहत मिलती है. बबूल की जड़ या लकड़ी को ताबीज़ या रक्षा सूत्र में बांधकर नज़र दोष या बुरी शक्तियों से बचाव के लिए इस्तेमाल किया जाता है.  विशेष पूजा विधियों में इसकी लकड़ी का उपयोग हवन सामग्री के रूप में किया जाता है.

Location :

Jaipur,Rajasthan

First Published :

April 18, 2025, 06:53 IST

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सिर्फ 3 महीने मिलता हैं ये फल,पुरुषों के लिए वरदान,खाने से आती घोड़े जैसी ताकत

Disclaimer: इस खबर में दी गई दवा/औषधि और स्वास्थ्य से जुड़ी सलाह, एक्सपर्ट्स से की गई बातचीत के आधार पर है. यह सामान्य जानकारी है, व्यक्तिगत सलाह नहीं. इसलिए डॉक्टर्स से परामर्श के बाद ही कोई चीज उपयोग करें. Local-18 किसी भी उपयोग से होने वाले नुकसान के लिए जिम्मेदार नहीं होगा.

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