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China PL-15 Missile: Why France & Japan, Five Eyes Countries Want Wreckage Of Chinese PL-15 Missile Used By Pakistan During India’s Operation Sindoor? | PL-15: पाकिस्तान की ओर से दागी गई जिस चीनी मिसाइल को भारत के एयर डिफेंस ने हवा में दबोचा और जमीन में गाड़ दिया! फ्रांस-जापान क्यों मांग रहे उसका मलबा? ऑपरेशन सिंदूर की सफलता की एक और कहानी

नई दिल्ली: 11 मई को दिल्ली में हुई एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में एयर मार्शल ए.के. भारती ने एक ऐसी तस्वीर दिखाईं जिसने देश-विदेश में खलबली मचा दी. तस्वीर थी एक चीनी PL-15 मिसाइल की, जो जमीन पर लगभग सही-सलामत पाई गई. भारत की वायुसेना ने उसे हवा में ट्रैक कर नीचे गिरा दिया था. ये मिसाइल पाकिस्तान ने दागी थी. ये घटना उस चार दिनी संघर्ष का हिस्सा थी जिसने भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव की नई इबारत लिख दी है. सवाल ये है कि जिस मिसाइल को चीन ने दुनिया की सबसे एडवांस एयर-टू-एयर मिसाइल बताया था, वो आखिरकार भारत में यूं कैसे धूल चाटती पाई गई? और इससे भी बड़ा सवाल, जापान और फ्रांस जैसे देश अब इसके मलबे में इतनी दिलचस्पी क्यों दिखा रहे हैं?

PL-15: चीन का ‘सुपरमिसाइल’ प्रोजेक्ट

पिछले दशक में जब अमेरिका की AIM-120 मिसाइल परफॉर्मेंस के लिहाज से पिछड़ती दिख रही थी, तब चीन ने PL-15 को उतारा. कहा गया कि इसकी रेंज 200 किमी से भी ज्यादा है. स्पीड Mach 5 तक है (यानी आवाज की स्पीड से 5 गुना तेज). इसे गाइड करता है AESA रडार जो किसी एक जेट के नहीं, बल्कि AWACS जैसे एयरबॉर्न सिस्टम से भी ऑपरेट किया जा सकता है.

AESA तकनीक यानी Active Electronically Scanned Array रडार इस मिसाइल को बेहद सटीक बनाता है. ये मिसाइल खुद अपने टारगेट को पहचानने, ट्रैक करने और हिट करने में सक्षम है. वो भी इतने तेज स्पीड में कि लक्ष्य के पास बचने का मौका ही नहीं होता.

मिसाइलAIM-120 AMRAAM(लेटेस्ट वैरिएंट्स)PL-15(घरेलू चीनी वर्जन)Meteorदेशअमेरिकाचीनयूरोप (MBDA)प्रोपल्शनसॉलिड-फ्यूल रॉकेट मोटरड्यूल-पल्स सॉलिड रॉकेटसॉलिड बूस्टर + रैमजेटगतिमैख 4मैख 5+मैख 4+रेंज (लगभग)130-180 किमी200-300 किमी100+ किमी (200+ किमी तक)मुख्य तकनीकफायर-एंड-फॉरगेट, लगातार अपग्रेडलॉन्ग रेंज, AESA सीकर, ड्यूल-पल्स मोटररैमजेट प्रोपल्शन, बड़ा नो-एस्केप ज़ोन

हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइलें कैसे काम करती हैं?

एयर-टू-एयर मिसाइलों का मूल ढांचा दशकों से एक जैसा है. मोटर जो इसे उड़ने की ताक़त देती है, फिन्स जो दिशा बदलते हैं, और वारहेड जो टारगेट के पास पहुंचते ही फटता है. लेकिन अब इनमें ऐसा तकनीकी विकास हो चुका है कि ये हजारों किमी दूर से फायर होकर बेहद सटीकता से टारगेट को खोज सकती हैं.

पहले ये मिसाइलें सिर्फ इंजन की गर्मी को पकड़कर निशाना बनाती थीं. लेकिन आज इनका गाइडेंस सिस्टम इतना एडवांस हो चुका है कि दुश्मन जेट के रडार सिस्टम को जाम करना भी मुश्किल हो गया है.

एयर-टू-एयर मिसाइलें बेसिकली इसी सिद्धांत पर काम करती हैं. (Created with AI)

PL-15 भी इसी नई जनरेशन का हथियार है. इसकी डुअल-पल्स मोटर इसे सिर्फ तेज ही नहीं बनाती, बल्कि ज्यादा देर तक उड़ने लायक भी बनाती है. इसका मतलब है कि ये मिसाइल लड़ाई के मैदान में लॉन्च एंड फॉरगेट से कहीं आगे की तकनीक पर काम करती है.

PL-15 का पहला हमला, भारत ने किया नाकाम

ऑपरेशन सिंदूर के दौरान जब पाकिस्तान ने अपनी वायुसेना को अलर्ट मोड में डाला, तब JF-17 फाइटर जेट से एक PL-15 मिसाइल फायर की गई. इसका टारगेट था भारत का एक फॉरवर्ड एयरबेस. लेकिन भारतीय रडार सिस्टम और इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर यूनिट ने न सिर्फ इसे ट्रैक किया, बल्कि इसकी दिशा को गड़बड़ कर इसे ग्रामीण इलाके में गिरने पर मजबूर कर दिया.

पंजाब के उस इलाके में जब जांच टीम पहुंची, तो मिसाइल का एक बड़ा हिस्सा लगभग सही सलामत मिला. यही वो हिस्सा है जिसकी अब डिमांड फ्रांस, जापान और कुछ यूरोपीय देश कर रहे हैं.

फ्रांस-जापान क्यों हैं इतने लालायित?

PL-15 का मुकाबला यूरोप की Meteor मिसाइल से होता है, जो भारत के राफेल फाइटर जेट्स में फिट की गई है. Meteor को आज तक दुनिया की सबसे डेडली एयर-टू-एयर मिसाइल माना जाता था, लेकिन PL-15 की एंट्री ने उसका ताज छीनने की कोशिश की.

अब जबकि भारत के पास PL-15 का लगभग सही-सलामत मलबा है, तो इसके इलेक्ट्रॉनिक सिग्नेचर, रडार सिस्टम, मोटर डिजाइन और फ्यूल कंपार्टमेंट जैसे महत्वपूर्ण टेक्निकल एलिमेंट्स की बारीकी से स्टडी हो सकती है. फ्रांस और जापान इस डेटा के ज़रिए अपने मौजूदा सिस्टम को बेहतर करना चाहते हैं.

Didn’t think I’d ever see a PL-15(E)’s AESA without going to a vault lol

Good to know my guess was right pic.twitter.com/XQBwDiMOoN

— John Ridge(@John_A_Ridge) May 7, 2025

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