China will send three astronauts to its space station Tiangong | Shenzhou-15: चीन अपने स्पेस स्टेशन Tiangong पर भेजेगा तीन अंतरिक्ष यात्री, तैयारियां पूरी
क्या है तियानगोंग स्पेस स्टेशन
तियानगोंग अंतरिक्ष स्टेशन या ‘हेवनली पैलेस’ चीन का नया स्थायी अंतरिक्ष स्टेशन है। देश ने पहले दो अस्थायी परीक्षण अंतरिक्ष स्टेशन लॉन्च किए हैं, जिनका नाम Tiangong-1 और Tiangong-2 रखा गया है। तियानगोंग स्पेस स्टेशन सतह से 340 से 450 किमी के बीच निचली पृथ्वी की कक्षा में संचालित किया जा रहा है।
इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन की तुलना में बहुत छोटा
इस अंतरिक्ष स्टेशन का द्रव्यमान इंटरनेशन स्पेस स्टेशन के द्रव्यमान का लगभग पांचवां हिस्सा है। स्थायी चीनी स्टेशन का वजन लगभग 66 टन होगा जबकि इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन का वजन लगभग 465 टन है। इसका आकार लगभग निष्क्रिय रूसी मीर स्पेस स्टेशन के बराबर है। इसमें तियानहे नाम का एक कोर मॉड्यूल और दो प्रयोगशाला केबिन मॉड्यूल वेंटियन और मेंगटियन हैं।
Russia, America के बाद तीसरा देश
सोवियत संघ (अब रूस) और अमेरिका के बाद चीन अंतरिक्ष यात्रियों को अंतरिक्ष में भेजने और अंतरिक्ष स्टेशन बनाने वाला इतिहास का केवल तीसरा देश है। चीन को उम्मीद है कि तियांगोंग International Space Station (आईएसएस) की जगह लेगा, जो 2031 में डिकमीशन होने वाला है। चीनी अंतरिक्ष यात्रियों को वर्तमान में आईएसएस से बाहर कर दिया गया था क्योंकि अमेरिकी कानून ने अपनी अंतरिक्ष एजेंसी नासा को चीन के साथ अपना डेटा साझा करने से प्रतिबंधित कर दिया है।
भारत और दूसरे देश क्या कर रहे हैं?
जैसे-जैसे चीन अंतरिक्ष में अपनी भूमिका का विस्तार कर रहा है, वैसे-वैसे कई अन्य देश भी चंद्रमा पर जाने का लक्ष्य बना रहे हैं। नासा 2025 से अमेरिका और अन्य देशों के अंतरिक्ष यात्रियों के साथ चंद्रमा पर लौटने की योजना बना रहा है और कैनेडी स्पेस सेंटर में अपने नए विशाल एसएलएस रॉकेट को लॉन्च कर चुका है। जापान, दक्षिण कोरिया, रूस, भारत, संयुक्त अरब अमीरात भी अपने स्वयं के चंद्र मिशन पर काम कर रहे हैं। भारत (India)ने अपना दूसरा प्रमुख चंद्रमा मिशन पहले ही लॉन्च कर दिया है और 2030 तक अपना खुद का अंतरिक्ष स्टेशन बनाना चाहता है। इस बीच, European Space Agency चंद्रमा मिशनों पर नासा के साथ काम कर रही है, चंद्र उपग्रहों के एक नेटवर्क की भी योजना बना रही है ताकि अंतरिक्ष यात्रियों के लिए पृथ्वी के साथ संवाद करना आसान हो सके।