Rajasthan

Churu news: कुलांचे मारते काले हिरणों का कुनबा देखना है तो यहां आइए

रिपोर्ट: नरेश पारीक

चूरू: थार के द्वार पर स्थित विश्व विख्यात तालछापर अभयारण्य यूं तो अनेक प्रजाति के पशु-पक्षियों का ठिकाना है, लेकिन यहां काले हिरणों की वजह से इस अभयारण्य को विशेष अभयारण्य दर्जा मिला है. यहां कुलांचे मारते काले हिरण पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित कर लेते हैं. तालछापर अभयारण्य ब्रिटिश काल में बीकानेर के महाराजा का शिकारगाह था. 820 हेक्टेयर में फैले इस अभयारण्य में शाही परिवार के मेहमान भी शिकार करने आते थे.

आजादी के बाद राज्य सरकार ने 1962 में इसे वन्यजीव आरक्षित क्षेत्र घोषित कर यहां शिकार पर पूर्ण रूप से प्रतिबंध लगा दिया. डीएफओ सविता दहिया ने बताया कि यहां वर्तमान में 4 हजार से अधिक हिरण हैं. इनका कुनबा बढ़ ही रहा है. मेल और फीमेल हिरण बचपन में भूरे ही होते हैं, लेकिन मेल बड़ा होने के साथ-साथ काला होना शुरू हो जाता है. उन्होंने बताया कि काले हिरणों का जीवन 12 से 13 वर्ष का ही होता है. ये साल में दो बार बच्चों को जन्म देते हैं. फीमेल हिरण एक बार में एक ही बच्चे का जन्म देती है.

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अभयारण्य में 333 वैरायटी के पक्षी भी
रेंजर उमेश बागोतिया ने बताया कि अभयारण्य में 333 वैरायटी के पक्षी भी पाए जाते हैं. इनमें लाँग इयर्ड आउल, स्टेप ईगल, व्हाइट ब्रॉड बुश चैट, व्हाइट टेल ईगल, स्पोटेड फ्लाई कैचर, कुरजा पक्षी, येलो आइड पिजन, हैरियर प्रमुख हैं. साथ ही यहां करीब दो दर्जन तरह की घास भी पाई जाती है. इनमें मोथिया, धामण, करड, डाब, लापला प्रमुख है.

सुरक्षा के लिए 5 चौकियां
रेंजर उमेश बागोतीया ने बताया कि मोथीया घास एवं भोजन की प्रचुरता और मौसम की अनुकूलता के कारण यह अभयारण्य इन दिनों हिरणों की पहली पसंद है. बताया कि इनकी निगरानी के लिए निरंतर गश्त और सुरक्षा के लिए 5 चौकियां बनाई गई हैं. आसपास के इलाके में भी वनकर्मी तैनात रहते हैं.

अभयारण्य में ऐसे पहुंचे
सड़क मार्ग: चुरू से 85 किमी दूर ये ताल छापर अभयारण्य नोखा-सुजानगढ़ हाईवे पर है. टूरिस्ट यहां से बस और टैक्सी लेकर ताल छापर सेंचुरी पहुंच सकते हैं.
हवाई मार्ग: यहां तक पहुंचने का सबसे नजदीकी जयपुर एयरपोर्ट है, जहां से सेंचुरी की दूरी 215 किमी है.
रेलमार्ग: तालछापर सेंचुरी जाने का सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन छापर रेलवे स्टेशन है.

Tags: Churu news, Rajasthan news, Wild life

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