Claims of solidarity failed in Congress | कांग्रेस में एकजुटता के दावे फेल, गुटबाजी-बयानबाजी चरम पर
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और सचिन पायलट खेमे के बीच बयानबाजी का दौर तेज, बयानबाजी पर पार्टी आलाकमान भी चिंतित, बीते डेढ़ माह से गहलोत-पायलट कर रहे हैं एक-दूसरे के खिलाफ प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष बयानबाजी
जयपुर
Updated: April 24, 2022 01:09:38 pm
जयपुर। प्रदेश के पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट की सोनिया गांधी से मुलाकात के बाद राजस्थान की सियासत में भी उबाल आ गया है। एक और जहां सचिन पायलट खेमे से जुड़े लोगों ने राजस्थान में मुख्यमंत्री का चेहरा बदलने की सुगबुगाहट छेड़ दी है। वहीं मुख्यमंत्री अशोक गहलोत भी अब लगातार सचिन पायलट का नाम लिए बगैर उन पर निशाना साध रहे हैं। हाल ही में जहां ब्यूरोकेट्स के एक कार्यक्रम में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत सियासी संकट और बाड़ाबंदी का जिक्र किया था तो वहीं शनिवार को भी कर्मचारियों के कार्यक्रम में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सीएम का चेहरा बदलने के चल रही अटकलों को अफवाह करार देते हुए कहा था कि उनका इस्तीफा तो परमानेंट सोनिया गांधी के पास है, जिस दिन पार्टी आलाकमान चाहेंगे चेहरा बदल देंगे और जब चेहरा बदला जाएगा तब किसी को कानों कान खबर भी नहीं होगी। मुख्यमंत्री यहीं नहीं रुके, उन्होंने यह तक कह दिया कि वह राजनीति में बेहद मजबूत है इसीलिए तीसरी बार सीएम बने हैं। मुख्यमंत्री के इस बयान के भी कई सियासी मायने निकाले जा रहे हैं। माना जा रहा है कि मुख्यमंत्री के इस बयान के बाद कांग्रेस की सियासत में भी उबाल तेज होगा।
गुटबाजी-बयानबाजी चरम पर
एकजुटता के दावे फेल
वहीं मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच चल रही बयानबाजी से साफ है कि कांग्रेस में एकजुटता के दावे पूरीतरह से फेल हैं। दोनों एक-दूसरे को लेकर प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष तौर पर बयानबाजी कर रहे हैं। दोनों खेंमों की ओर से चल रही बयानबाजी का असर इन दिनों कांग्रेस कार्यकर्ताओं नेताओं पर भी देखने को मिल रहा है। पार्टी के नेता और कार्यकर्ता भी धड़ों में बंटे हुए नजर आ रहे हैं। ऐसे में सवाल यह भी उठता है कि आखिर पार्टी में गुटबाजी और बयानबाजी चरम पर है तो फिर किस प्रकार से साल 2023 में होने वाले विधानसभा चुनाव में एकजुटता के साथ चुनाव लड़ पाएंगे।
बीते डेढ़ माह से लगातार जारी हैै बयानबाजी
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच बीते डेढ़ माह से लगातार बयानबाजी जारी है। पहले जहां मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सचिन पायलट को केंद्र में मंत्री बनाने का दावा किया था तो वहीं सचिन पायलट ने भी मुख्यमंत्री गहलोत के बेटे और गहलोत को लोकसभा का टिकट दिलवाने का दावा किया था। पायलट का कहना था कि कांग्रेस आलाकमान वैभव गहलोत को टिकट देने के पक्ष में नहीं थी लेकिन उन्होंने आलाकमान से कहकर उन्हें टिकट दिलवाया।
महंगाई के खिलाफ धरने में भी नहीं आए थे मुख्यमंत्री
वहीं दूसरी ओर 7 अप्रेल को महंगाई के खिलाफ मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने जयपुर में धरना आयोजित करने का आह्वान किया था। खुद मुख्यमंत्री इस धरने में शामिल होने वाले थे लेकिन सचिन पायलट के धरने में पहुंचने के बाद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने इस धरने से दूरी बना ली थी और और मीडिया में बयान जारी करके इतिश्री कर ली थी।
पायलट को लगातार हो रही है मुख्यमंत्री बनाने की मांग
इधर सचिन पायलट को उनके समर्थकों की ओर से लगातार मुख्यमंत्री बनाने की मांग उठ रही है। 8 अप्रेल को दिल्ली में सचिन पायलट की राहुल गांधी और प्रियंका गांधी से मुलाकात के बाद इस मांग ने जोर पकड़ लिया था और उसके बाद हाल ही में सचिन पायलट की सोनिया गांधी से मुलाकात के बाद राजस्थान में सीएम का चेहरा बदलने की चर्चा चल पड़ी थी।
आलाकमान भी चिंतित
इधर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत सचिन पायलट के बीच चल रही प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष बयान बाजी से कांग्रेस आलाकमान भी चिंतित हैं। प्रदेश प्रभारी अजय माकन भी लगातार दोनों नेताओं से बयान बाजी खत्म करके एकजुटता दिखाने की बात कह रहे हैं, लेकिन जिस तरह से बयानबाजी थमने का नाम नहीं ले रही हो उससे आने वाले दिनों में आलाकमान की परेशानी बढ़ सकती है।
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