Rajasthan

Clear the way for allotment of 4000 houses to the poor Cm Gehlot | गरीबों के 4000 आवासों के आवंटन का रास्ता साफ, अब मिलेंगे मकान

प्रदेश के शहरों में गरीबों के लिए बनाए जाने वाले 4000 से अधिक मकानों के मामलों की उलझन दूर हो गई है। ऊंचाई की स्वीकृति और सेट बैक को लेकर बदले प्रावधानों के चलते अफॉर्डेबल हाउसिंग नीति और मुख्यमंत्री जन आवास योजना के एक दर्जन से अधिक प्रकरण अटके हुए थे।

जयपुर

Published: January 24, 2022 07:49:05 pm

प्रदेश के शहरों में गरीबों के लिए बनाए जाने वाले 4000 से अधिक मकानों के मामलों की उलझन दूर हो गई है। ऊंचाई की स्वीकृति और सेट बैक को लेकर बदले प्रावधानों के चलते अफॉर्डेबल हाउसिंग नीति और मुख्यमंत्री जन आवास योजना के एक दर्जन से अधिक प्रकरण अटके हुए थे। इसके चलते गरीबों को उनके मकान का कब्जा नहीं मिल पा रहा था।

गरीबों के 4000 आवासों के आवंटन का रास्ता साफ, अब मिलेंगे मकान

गरीबों के 4000 आवासों के आवंटन का रास्ता साफ, अब मिलेंगे मकान

नगरीय विकास विभाग की ओर से जारी निर्देशें के तहत अब 31 मई 2017 के बाद और 17 जुलाई 2018 से पहले के स्वीकृत प्रकरणों में दोबारा निकाय से अनुमोदन की जरूरत नहीं होगी। पहले की तरह ही इन प्रकरणों में अधिवास और पूर्णता प्रमाण पत्र पंजीकृत आर्किटेक्ट जारी कर सकेंगे। किसी निकाय क्षेत्र में मॉडल बिल्डिंग बायलॉज लागू होने की अधिसूचना जारी होने से पहले के मुख्यमंत्री जन आवास योजना के वे सभी प्रकरण मान्य होंगे, जिनमें 45 मीटर तक की ऊंचाई की इमारत में साइड और बैक सेटबैक 6 मीटर रखा गया है। ऐसे प्रकरणों को स्वीकृति के लिए राज्य सरकार को भेजने की जरूरत नहीं होगी। इस अवधि में यूआईटी स्तर पर 30 मीटर और प्राधिकरण स्तर पर 40 मीटर से अधिक ऊंचाई के भवनों के अनुमोदित मानचित्र सरकार की स्वीकृति के लिए नहीं भेजे जाएंगे।

यूं पैदा हुई उलझन गहलोत सरकार के दूसरे कार्यकाल में लाई गई अफोर्डेबल हाउसिंग योजना और बाद में आई वसुंधरा सरकार के समय घोषित मुख्यमंत्री जन आवास योजना के तहत बिल्डरों की निजी भूमि पर गरीबों के लिए मकान बनाने का प्रावधान है। ऐसे मामलों में बहु मंजिला आवास बनाने पर सेट बैक कम रखा गया था। साथ ही मुख्यमंत्री जन आवास योजना के मामलों में इमारतों की ऊंचाई की स्वीकृति देने को लेकर निकायों को पूरी छूट दी गई थी। बाद में यह छूट भी वापस ले ली और बाद में जारी हुए मॉडल बिल्डिंग बायलॉज में सेटबैक के प्रावधान बढ़ा दिए गए। इसके चलते पूर्व में स्वीकृत इन मामलों को लेकर निकाय अधिकारियों के लिए असमंजस की स्थिति हो गई थी।

newsletter

अगली खबर

right-arrow

Source link

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button

Uh oh. Looks like you're using an ad blocker.

We charge advertisers instead of our audience. Please whitelist our site to show your support for Nirala Samaj