Rajasthan

Clearence For HZL Disinvestment, Cbi Registered FIR – हिंदुस्तान जिंक के पूर्ण निजीकरण का रास्ता साफ, लेकिन सीबीआइ मामला दर्ज करे

— सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया फैसला

नई दिल्ली/जयपुर। सुप्रीम कोर्ट ने हिंदुस्तान जिंक में शेष रही केन्द्र की 29.50 प्रतिशत यानि 40 हजार करोड़ रुपए की हिस्सेदारी बेचने की अनुमति दे दी है, वहीं सीबीआई से एफआइआर दर्ज कर हर 3 माह में रिपोर्ट पेश करने को कहा है। इससे हिन्दुस्तान जिंक को पूर्णत: निजी हाथों में सौंपने का रास्ता साफ हो गया है।
सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को केंद्र सरकार को हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड में उसके शेष शेयरों को बेचने की अनुमति दी। न्यायाधीश डी वाई चन्द्रचूड व न्यायाधीश बी वी नागरत्ना की खण्डपीठ ने नेशनल कन्फेडरेशन ऑफ ऑफिसर्स एसोसिएशन ऑफ सेंट्रल पब्लिक सेक्टर एंटरप्राइजेज और अन्य की याचिका मंजूर करते यह आदेश दिया।

अब सरकारी कंपनी नहीं
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि केंद्र शेष 29.5 प्रतिशत शेयरों का हिंदुस्तान जिंक में विनिवेश कर सकता है, क्योंकि अब यह सरकारी कंपनी नहीं है। कोर्ट ने 2016 में सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम (पीएसयू) रहे हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड में केंद्र सरकार की शेष हिस्सेदारी का विनिवेश रोक दिया था। इससे पहले सीबीआई ने विनिवेश को लेकर पहले दर्ज मामले को प्रारम्भिक जांच के बाद बंद कर दिया था। याचिकाकर्ता संगठन के वकील प्रशांत भूषण ने कोर्ट से कहा कि सीबीआई को प्रारम्भिक जांच बंद करनी भी थी, तो उससे परिवादी को अवगत कराया जाना चाहिए था। केन्द्र सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि इस मामले में 2012 में एक याचिका खारिज हो चुकी है, इसलिए नई याचिका दर्ज नहीं की जा सकती। इस मामले में निजी पक्ष की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश सालवे ने भी केन्द्र की बात को ही दोहराया।
एफआइआर पर पाबंदी नहीं
कोर्ट ने कहा कि सीबीआई प्रारिम्भक जांच बंद कर चुकी है, इसका मतलब यह नहीं है कि सीबीआई को नियमित एफआइआर दर्ज करने का आदेश नहीं दिया जा सकता। कोई संज्ञेय अपराध है तो पुलिस भी एफआइआर दर्ज कर सकती है।

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