सीएम भजनलाल का दिल्ली दौरा! मंत्रिमंडल में बड़ा बदलाव या कुछ और, बुलावे के पीछे क्या है खेल?

जयपुर. राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा का 2 दिसंबर को प्रस्तावित दिल्ली दौरा सियासी गलियारों में एक बार फिर कयासों का दौर चला रहा है. यह दौरा महज शिष्टाचार भेंट नहीं, बल्कि एक बड़े राजनीतिक संकेत के रूप में देखा जा रहा है. एक तरफ बिहार विधानसभा चुनावों में एनडीए की शानदार जीत ने केंद्र की मोदी सरकार को मजबूत बल दिया है, वहीं राजस्थान में भाजपा संगठन के हालिया फेरबदल ने मंत्रिमंडल विस्तार की अटकलों को हवा दी है. क्या यह दौरा मंत्रिमंडल में बड़े बदलाव का संकेत है? या फिर यह सरकार के दो साल पूरे होने के मौके पर नई ऊर्जा का इंजेक्शन देने की रणनीति?
भजनलाल शर्मा का दिल्ली जाना कोई नई बात नहीं है. पिछले दो सालों में वे कई बार राष्ट्रीय राजधानी का रुख कर चुके हैं- कभी जेपी नड्डा से संगठनात्मक चर्चा के लिए, तो कभी पीएम मोदी से विकास योजनाओं पर सलाह के लिए. लेकिन हर बार इन दौरे के बाद सियासी हलचल तेज हो जाती है. याद कीजिए अक्टूबर 2025 का दौरा, जब शर्मा ने पीएम मोदी से मुलाकात की थी. उस समय गुजरात में मंत्रिमंडल के पूर्ण पुनर्गठन के बाद राजस्थान में भी इसी तरह के बदलाव की अफवाहें उड़ी थीं. सूत्र बताते हैं कि कल का दौरा भी इसी कड़ी का हिस्सा हो सकता है. भाजपा हाईकमान ने शर्मा को मंत्रिमंडल फेरबदल में फ्री हैंड दिया है.
मंत्रिमंडल फेरबदल की संभावनाएं
ये दौरे सिर्फ मीटिंग्स नहीं, बल्कि सिग्नल हैं. भाजपा की रणनीति हमेशा से रही है कि राज्य स्तर पर बदलाव केंद्र की लहर के साथ तालमेल में हो. अगर कल शर्मा अमित शाह या नड्डा से मिलते हैं, तो यह संकेत मिलेगा कि फेरबदल सिर्फ विस्तार नहीं, बल्कि कुछ पुराने चेहरों को विदा करने का समय आ गया है. राजस्थान में 24 सदस्यीय मंत्रिमंडल में अभी 6 सीटें खाली हैं- इन्हें भरना तो होगा ही, लेकिन सवाल यह है कि ये चेहरे कौन से इलाकों से आएंगे?
बिहार चुनाव नतीजों का असरबिहार विधानसभा चुनाव 2025 के परिणामों में जनता ने एनडीए को जबरदस्त बहुमत दिया है. कयास लगाए जा रहे थे कि बिहार चुनाव के बाद ही राजस्थान जैसे राज्यों में फेरबदल होगा- और अब लगता है वह समय आ गया है. राजस्थान में शर्मा सरकार के दो साल पूरे होने पर यह जीत एक बूस्टर की तरह काम करेगी. अगर फेरबदल होता है, तो यह एनडीए की एकजुटता का संदेश देगा- खासकर उन विधायकों को जो उपचुनावों में पार्टी को मजबूत बनाने में अहम भूमिका निभा चुके हैं.
भाजपा जिलाध्यक्षों की सूची, संगठन की नींव मजबूत, अब सरकार की बारी?हाल ही में भाजपा ने राजस्थान के 39 जिलों में नए जिलाध्यक्षों की घोषणा की, जो संगठन चुनावों का हिस्सा थी. फरवरी 2025 में 12 जिलों की सूची जारी हुई, जिसमें बीकानेर, सवाई माधोपुर जैसे महत्वपूर्ण जिलों में नए चेहरे आए. नवंबर में प्रदेश कार्यकारिणी की 34 सदस्यीय टीम भी घोषित हो चुकी है, जिसमें 7 महिलाओं को जगह मिली. यह फेरबदल संगठन को 2028 के विधानसभा चुनावों के लिए तैयार करने का प्रयास है. संगठन में बदलाव हमेशा सरकार के फेरबदल का ट्रेलर होता है. नए जिलाध्यक्षों की सूची से साफ है कि भाजपा क्षेत्रीय संतुलन पर फोकस कर रही है. मंत्रिमंडल में भी इसी फॉर्मूले से नए विधायकों को जगह मिल सकती है. लेकिन असली सवाल यह है कि क्या यह फेरबदल गुड गवर्नेंस को मजबूत करेगा, या फिर आंतरिक गुटबाजी को जन्म देगा?
राजस्थान की सियासत में नया मोड़
भजनलाल शर्मा का कल का दिल्ली दौरा राजस्थान की सियासत को नया मोड़ दे सकता है. बिहार की जीत ने केंद्र को मजबूत किया, संगठन फेरबदल ने नींव पक्की की- अब मंत्रिमंडल विस्तार से सरकार को नई गति मिलनी चाहिए. लेकिन याद रखें, भाजपा की सफलता हमेशा समय पर निर्णय में रही है. अगर शर्मा इस मौके को गंवा देते हैं, तो दो साल की मेहनत पर सवाल उठ सकते हैं. यह फेरबदल न सिर्फ नई ऊर्जा लाएगा, बल्कि 2028 के चुनावों की राह आसान कर देगा- बशर्ते सामाजिक और क्षेत्रीय संतुलन बरकरार रहे. सियासी जानकारों का मानना है कि दिसंबर के अंत तक घोषणा हो सकती है. फिलहाल, राजस्थान की जनता बांहें फैलाए इंतजार कर रही है. क्या यह दौरा राजस्थान भजनलाल सरकार के लिए इतिहास रचेगा? वक्त ही बताएगा.
(यह ओपीनियन व्यक्तिगत नजरिए पर आधारित है.)



