National

EVM से छेड़छाड़ के दावों को लेकर ‘कोल्ड वॉर’, EC ने अखबार को भेजा मानहानि नोटिस, जानें किसने क्या कहा?

नई दिल्ली/मुंबई. इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) से छेड़छाड़ के दावों को लेकर रविवार को एक नया राजनीतिक वाकयुद्ध शुरू हो गया. कांग्रेस नेता राहुल गांधी और अन्य विपक्षी नेताओं ने मीडिया की एक खबर का हवाला दिया, जिसमें आरोप लगाया गया है कि मुंबई उत्तर पश्चिम लोकसभा सीट से शिवसेना उम्मीदवार के एक रिश्तेदार ने चार जून को मतगणना के दौरान एक मोबाइल फोन का इस्तेमाल किया था, जो ईवीएम से जुड़ा हुआ था.

हालांकि, निर्वाचन क्षेत्र की निर्वाचन अधिकारी वंदना सूर्यवंशी ने ‘मिड-डे’ अखबार की खबर को ‘झूठी खबर’ करार देते हुए खारिज कर दिया और कहा कि प्रकाशन को मानहानि का नोटिस जारी किया गया है. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि ईवीएम एक स्वतंत्र प्रणाली है, जिसे ‘प्रोग्राम’ नहीं किया जा सकता और इसमें वायरलेस से संचार स्थापित नहीं किया जा सकता.

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने इस मुद्दे पर विपक्षी नेताओं पर निशाना साधा और मांग की कि निर्वाचन आयोग को उन सभी लोगों के खिलाफ मुकदमा चलाना चाहिए जिन्होंने खबर को साझा करके “झूठ को बढ़ावा दिया.” कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी और अन्य ने ईवीएम की विश्वसनीयता पर सवाल उठाते हुए रविवार को सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ के चेयरमैन एवं टेस्ला के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) एलन मस्क के एक पोस्ट का हवाला दिया, जिसमें उन्होंने ईवीएम को हटाने की बात की थी और दावा किया था कि हैकिंग का खतरा ‘बहुत अधिक’ है.

मस्क ने अपनी पोस्ट में कहा था, “हमें ईवीएम का इस्तेमाल बंद कर देना चाहिए. मुनष्यों या कृत्रिम मेधा (एआई) द्वारा हैक किए जाने का जोखिम, हालांकि छोटा है, फिर भी बहुत अधिक है.” मस्क ने अमेरिकी राजनीतिज्ञ रॉबर्ट एफ. कैनेडी जूनियर के एक पोस्ट का जवाब देते हुए कहा, ‘हमें इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन का इस्तेमाल बंद कर देना चाहिए. मनुष्यों या एआई (कृत्रिम मेधा) द्वारा हैक किए जाने का जोखिम, हालांकि छोटा है, फिर भी बहुत अधिक है.’

कैनेडी जूनियर ने आरोप लगाया था कि प्यूर्टो रिको के प्राइमरी चुनावों में ‘इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन से संबंधित सैकड़ों मतदान अनियमितताएं’ हुईं. कांग्रेस के सहयोगी दल समाजवादी पार्टी (सपा) के अध्यक्ष एवं उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने भी एक बार फिर से ईवीएम की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े करते हुए आगामी सभी चुनाव मतपत्रों के जरिये कराने की मांग की.

राहुल गांधी ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, “भारत में ईवीएम एक ‘ब्लैक बॉक्स’ है, और किसी को भी उनकी जांच करने की अनुमति नहीं है. हमारी चुनावी प्रक्रिया में पारदर्शिता को लेकर गंभीर चिंताएं जतायी जा रही हैं. जब संस्थाओं में जवाबदेही नहीं होती तो लोकतंत्र दिखावा बनकर रह जाता है और धांधली की आशंका बढ़ जाती है.”

उन्होंने मीडिया की उस खबर को भी टैग किया, जिसमें दावा किया गया था कि शिवसेना के उम्मीदवार रवींद्र वायकर के एक रिश्तेदार के पास एक ऐसा मोबाइल फोन था, जिससे ईवीएम ‘अनलॉक’ किया जा सकता था. वायकर ने मुंबई की उत्तर-पश्चिम सीट से 48 वोट से चुनाव जीता है.

वहीं, पूर्व केंद्रीय मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने ईवीएम के संबंध में मस्क की आलोचना के जवाब में कहा कि अरबपति व्यवसायी का दृष्टिकोण अमेरिका और अन्य स्थानों पर भी लागू हो सकता है, जहां वे ‘इंटरनेट से जुड़ी वोटिंग मशीन’ बनाने के लिए नियमित ‘कंप्यूट प्लेटफॉर्म’ का इस्तेमाल करते हैं.

चंद्रशेखर ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, “लेकिन भारतीय ईवीएम खासतौर पर तैयार की गई हैं, ये सुरक्षित हैं और किसी भी नेटवर्क या मीडिया से नहीं जुड़ी हैं – कोई कनेक्टिविटी नहीं, कोई ब्लूटूथ, वाईफाई, इंटरनेट नहीं. फैक्टरी-प्रोग्राम्ड कंट्रोलर, जिन्हें पुनः प्रोग्राम नहीं किया जा सकता.”

भाजपा नेता ने कहा, “इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों को ठीक उसी तरह निर्मित किया जा सकता है जैसा भारत ने किया है. हमें ट्यूटोरियल देने में खुशी होगी, एलन.” शिवसेना (यूबीटी) के नेता आदित्य ठाकरे और प्रियंका चतुर्वेदी ने भी खबर साझा की और मांग की कि मतगणना के दिन की सीसीटीवी फुटेज जारी की जाए.

चतुर्वेदी ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, “यह उच्चतम स्तर पर धोखाधड़ी है और फिर भी भारत का निर्वाचन आयोग सो रहा है. ‘हेरफेर’ करने वाले विजेता के रिश्तेदार मतगणना केंद्र पर एक मोबाइल फोन लेकर आए थे, जिसमें ईवीएम मशीन को अनलॉक करने की क्षमता थी. अगर ईसीआई ने इसमें हस्तक्षेप नहीं किया तो यह चंडीगढ़ मेयर चुनाव के बाद सबसे बड़ा चुनाव परिणाम घोटाला होगा और यह लड़ाई अदालतों में देखने को मिलेगी। इस कृत्य को दंडित किया जाना चाहिए.”

खबर में दावा किया गया है, ‘पुलिस इस बात की जांच कर रही है कि आरोपी को वह फोन कैसे मिला, जिस पर ओटीपी आया और मशीन अनलॉक हो गई.’ खबर पर प्रतिक्रिया देते हुए निर्वाचन क्षेत्र की निर्वाचन अधिकारी वंदना सूर्यवंशी ने कहा कि ईवीएम को ‘अनलॉक’ करने के लिए किसी ओटीपी की आवश्यकता नहीं है.

सूर्यवंशी ने रविवार को संवाददाता सम्मेलन में कहा, “ईवीएम एक स्वतंत्र प्रणाली है और इसे ‘अनलॉक’ करने के लिए किसी ओटीपी की कोई जरूरत नहीं होती है. इसे प्रोग्राम नहीं किया जा सकता और इसमें कोई वायरलेस संचार क्षमता नहीं. यह एक समाचार पत्र द्वारा फैलाया जा रहा पूर्णतः झूठ है. हमने मिड-डे अखबार को मानहानि और झूठी खबर फैलाने के लिए आईपीसी की धारा 499, 505 के तहत एक नोटिस जारी किया है.”

वनराई पुलिस के अनुसार, वायकर के रिश्तेदार मंगेश पांडिलकर पर 4 जून को आम चुनाव के परिणाम घोषित होने के दिन गोरेगांव स्थित एक मतगणना केंद्र पर मोबाइल फोन का इस्तेमाल करने के आरोप में भारतीय दंड संहिता की धारा 188 (आधिकारिक आदेश की अवहेलना) के तहत एक मामला दर्ज किया गया है.

सूर्यवंशी ने संवाददाता सम्मेलन में कहा कि जोगेश्वरी विधानसभा क्षेत्र के डेटा एंट्री ऑपरेटर दिनेश गुरव का निजी मोबाइल फोन एक अनधिकृत व्यक्ति के पास पाया गया और इस संबंध में कार्रवाई की जा रही है. सूर्यवंशी ने कहा, ‘डेटा प्रविष्टि और मतगणना दो अलग-अलग पहलू हैं. एक ओटीपी एआरओ को डेटा प्रविष्टि के लिए इनकोर लॉगिन सिस्टम खोलने में सक्षम बनाता है. मतगणना प्रक्रिया स्वतंत्र है और इसका मोबाइल फोन के अनधिकृत उपयोग से कोई लेना-देना नहीं है, जो एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना है और इसकी जांच की जा रही है.’

उन्होंने कहा, “किसी भी तरह की छेड़छाड़ की संभावना को खत्म करने के लिए उन्नत तकनीकी विशेषताएं और मजबूत प्रशासनिक सुरक्षा उपाय किए गए हैं. सुरक्षा उपायों में उम्मीदवारों या उनके एजेंट की मौजूदगी में सब कुछ करना शामिल है.” अधिकारी ने कहा कि न तो वायकर और न ही शिवसेना (यूबीटी) के हारे हुए उम्मीदवार अमोल कीर्तिकर ने पुनर्मतगणना की मांग की थी, लेकिन अमान्य डाक मतपत्रों के सत्यापन की मांग की गई थी और ऐसा किया गया.

सूर्यवंशी ने कहा कि इस मामले से संबंधित सीसीटीवी फुटेज तब तक नहीं दी जा सकती जब तक कि सक्षम अदालत से आदेश न मिल जाए. भाजपा प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने विपक्षी नेताओं के खिलाफ कार्रवाई की मांग करने के लिए चुनाव अधिकारी के स्पष्टीकरण का हवाला दिया. उन्होंने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में निर्वाचन आयोग को टैग करते हुए कहा, “जिन लोगों ने यह झूठ फैलाया कि ईवीएम के लिए ओटीपी की आवश्यकता है, उन पर मुकदमा चलाया जाना चाहिए. राहुल गांधी ने इस आलेख को फैलाया. प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा कि फोन के जरिये ईवीएम को अनलॉक किया जा सकता है.”

भाजपा के आईटी विभाग के प्रमुख अमित मालवीय ने खबर को ‘पूरी तरह से बकवास’ करार देते हुए खारिज कर दिया और कहा कि विपक्षी दल ‘एक चुनाव याचिका दायर करके इसे चुनौती दे सकते हैं.’ उन्होंने ‘एक्स’ पर कहा, “भाजपा नीत राजग (राष्ट्रीय जनंतांत्रिक गठबंधन) ने लगातार तीसरी बार जीत हासिल की है. इस तथ्य के साथ जीना सीखें. लोगों ने ‘इंडी’ गठबंधन को नकार दिया है. अंतहीन शिकायत करने का कोई मतलब नहीं है.” उन्होंने बाद में चुनाव अधिकारी द्वारा दिया गया स्पष्टीकरण भी पोस्ट किया.

इस मुद्दे पर भाजपा पर निशाना साधते हुए उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा, “आज जब विश्व के कई चुनावों में ईवीएम को लेकर गड़बड़ी की आशंका जाहिर की जा रही है और दुनिया के जाने-माने प्रौद्योगिकी विशेषज्ञ ईवीएम में हेराफेरी के खतरे की ओर खुलेआम लिख रहे हैं, तो फिर ईवीएम के इस्तेमाल की जिद के पीछे की वजह क्या है, ये भाजपाई स्पष्ट करें.”

Tags: Congress, Election Commission of India, Elon Musk, Rahul gandhi

FIRST PUBLISHED : June 16, 2024, 23:10 IST

Source link

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button

Uh oh. Looks like you're using an ad blocker.

We charge advertisers instead of our audience. Please whitelist our site to show your support for Nirala Samaj