एनसीआर में ग्रैप-3 लागू होते ही ठप हुआ कंस्ट्रक्शन, क्या घर का पजेशन मिलने में हो सकती है देरी? डेवलपर्स ने दिया जवाब

Can NCR Grap-3 delay home possession: दिल्ली-एनसीआर में बढ़ते प्रदूषण को कंट्रोल करने के लिए लागू किए गए ग्रैडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान (GRAP-3) ने एक बार फिर रियल एस्टेट सेक्टर की रफ्तार पर ब्रेक लगा दिया है. ग्रैप-3 के लागू होते ही कंस्ट्रक्शन एक्टिविटीज़ पर रोक लग गई है, ऐसे में सैकड़ों प्रोजेक्ट्स अगली गाइडलाइंस तक ठप हो गए हैं. एनसीआर में पिछले कुछ सालों से लगातार ऐसा देखने को मिल रहा है कि यह प्रदूषण का दौर पूरी सर्दियां या करीब 3-4 महीने तक बना रहता है. ऐसे में सबसे बड़ा सवाल है कि जिन लोगों ने एनसीआर के किसी भी शहर में घर बुक कराया है, तो क्या कंस्ट्रक्शन ठप होने से उन्हें घर मिलने में देरी हो सकती है? क्या इस निर्माण बंदी का असर प्रोजेक्टों की डिलिवरी पर पड़ता है? आइए जानते हैं..
क्रेडाई वेस्टर्न यूपी ने सभी डेवलपर्स को निर्देश जारी किए हैं. उन्होंने डेवलपर्स को निर्देश दिए हैं कि वे ग्रैप 3 की सभी गाइडलाइंस का पालन करें. इस दौरान प्रदूषण फैलाने वाले सभी कामों को बंद करना, लगातार साइट पर पानी का छिड़काव जैसे कदम शामिल हैं.
डेवलपर्स ने इन गाइडलाइंस का पालन करने का वादा करते हुए सरकार के सामने कुछ मांगे रखी हैं, साथ ही बताया है कि इसका निर्माण पर क्या असर पड़ रहा है.
15–20 दिन की रोक कई महीनों की देरी में बदल जाती है
आरजी ग्रुप के डायरेक्टर हिमांशु गर्ग कहते हैं, ‘हम सरकार के पॉल्यूशन कंट्रोल प्रयासों को पूरी तरह सपोर्ट करते हैं, लेकिन रियल एस्टेट का स्वभाव ऐसा है कि अगर एक स्टेज पर काम रुक जाए तो पूरा प्रोजेक्ट ठहर जाता है. 15–20 दिन का स्टॉप कई बार दो–तीन महीने की देरी में बदल जाता है. इससे होमबायर्स की उम्मीदें और डेवलपर्स की ब्रांड वैल्यू दोनों पर असर पड़ता है.’
मजदूर कर जाते हैं पलायन, लंबा हो जाता है इंतजार
रेनॉक्स ग्रुप के चेयरमैन शैलेन्द्र शर्मा ने बताया, ‘निर्माण कार्य बंदी का सबसे अहम प्रभाव मजदूर के पलायन पर पड़ता है. हम प्रोजेक्ट साइट पर अत्याधुनिक तकनीक से निर्माण कार्य करते है और प्रदूषण नियंत्रण के सभी संभव उपाय भी करते है. फिर भी हर बार जब काम रुकता है तो निर्माण से जुड़ी लेबर पलायन कर जाती है. ऐसे में दोबारा काम शुरू होने पर लेबर को वापस जुटाने में अनावश्यक समय लगता है जिससे कॉस्ट बढ़ती है, निर्माण का शेड्यूल पूरी तरह बिगड़ जाता है और पजेशन भी प्रभावित होता है.‘
घर खरीदारों को पजेशन मिलने में होती है देरी
ले.कर्नल अश्वनी नागपाल (रिटा.), सीओओ, डिलिजेंट बिल्डर्स ने बताया कि हर बार ग्रैप की पाबंदी लागू होने से अंदरूनी निर्माण के अलावा कॉमन एरिया के विकास कार्य भी रोकने पड जाते हैं. ऐसे में घर खरीदारों को दिए जाने वाले पजेशन की डेडलाइन भी आगे बढ़ जाती हैं. प्राधिकरण और सरकार को मिलकर ऐसा फ्रेमवर्क बनाना चाहिए जो पॉल्यूशन कंट्रोल और डेवलपमेंट, दोनों को साथ लेकर चले, तभी मार्केट में ट्रस्ट और स्टेबिलिटी बनी रहेगी.
रेरा को ऑटोमैटिक एक्सटेंशन देना चाहिए
क्रेडाई वेस्टर्न यूपी के प्रेसिडेंट दिनेश गुप्ता का कहना है कि जब सरकार के आदेश से कंस्ट्रक्शन बंद होता है, तो ये डेवलपर की गलती नहीं होती. ऐसे में रेरा को ऑटोमैटिकली एक से दो महीने का एक्सटेंशन देना चाहिए ताकि प्रोजेक्ट की डिलीवरी टाइमलाइन पर असर न पड़े. पॉल्यूशन कंट्रोल जरूरी है, लेकिन डेवलपमेंट का बैलेंस भी उतना ही जरूरी है.
ग्रीन टेक्नोलॉजी अपनाने वालों को राहत मिलनी चाहिए
वहीं निराला वर्ल्ड के सीएमडी सुरेश गर्ग कहते हैं कि जो डेवलपर्स डस्ट कंट्रोल सिस्टम, एंटी-स्मॉग गन और ग्रीन कंस्ट्रक्शन टेक्नोलॉजी यूज़ कर रहे हैं, उन्हें लिमिटेड कंडीशंस में काम जारी रखने की परमिशन दी जानी चाहिए. इससे एनवायरनमेंट भी सेफ रहेगा और प्रोजेक्ट टाइमलाइन भी मेंटेन रहेगी. ब्लैंकेट बैन किसी के लिए सॉल्यूशन नहीं है.



